'विराट कोहली से कहना चाहिए था कि ये शॉट मत खेलो', युवराज सिंह‍ के पिता का गौतम गंभीर की कोचिंग को लेकर विस्‍फोटक बयान

विराट कोहली ने 5 टेस्‍ट की नौ पारियों में एक शतक सहित कुल 190 रन बनाए. इस सीरीज में वो 8 बार आउटसाइड ऑफ स्‍टंप बॉल पर आउट हुए.

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गौतम गंभीर और विराट कोहली

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विराट कोहली ने ऑस्‍ट्रेलिया दौरे पर 5 मैचों में 190 रन बनाए.

वो 8 बार एक ही तरह से आउट हुए.

कोहली की टीम में जगह पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं.

टीम इंडिया ने 1-3 से बॉर्डर गावस्‍कर ट्रॉफी गंवा दी है. इस  सीरीज में रोहित शर्मा और विराट कोहली की फॉर्म की काफी आलोचना हुई. रोहित ने  तीन टेस्‍ट में कुल 31 रन बनाए. जबकि कोहली ने 5 टेस्‍ट की नौ पारियों में  एक शतक सहित कुल 190 रन बनाए.इस सीरीज में वो 8 बार आउटसाइड ऑफ स्‍टंप बॉल पर आउट हुए. अब पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने कोहली की फॉर्म को लेकर विस्‍फोटक बयान दिया है. उन्‍होंने पूरी सीरीज में कोहली के एक ही तरह से आउट होने का जिक्र करते हुए जोर देकर कहा कि किसी को इस स्टार बल्लेबाज को यह शॉट नहीं खेलने के लिए कहना चाहिए था. 

पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह ने कहा कि यदि कोई खिलाड़ी भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है तो उसे पारंपरिक रूप से कोचिंग की जरूरत नहीं है, बल्कि उसे अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए मैन-मैनेजमेंट की जरूरत है. एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा-

 

जब आप भारत के लिए खेल रहे होते हैं तो कोच की भूमिका एक अहम सवाल बन जाती है. जब आप भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एक असाधारण खिलाड़ी होते हैं तो आपको पारंपरिक कोचिंग की जरूरत नहीं होती है. आपको वास्तव में मैन मैनेजमेंट के लिए किसी की जरूरत होती है. कभी-कभी किसी खिलाड़ी का दिमाग ब्‍लॉक हो जाता है. हो सकता है कि वे रन न बना पाएं या वे बार-बार आउट हो रहे हों. कोई भी खिलाड़ी कितना भी महान क्यों न हो, वह खेल से बड़ा नहीं हो सकता. 

ऐसे खिलाड़ियों को किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जो उन्हें गाइडेंस दे सके. जो कहे, 'चलो नेट्स पर चलते हैं और इस पर काम करते हैं'. उदाहरण के लिए विराट कोहली कई बार अपना पसंदीदा शॉट खेलते हुए आउट हो गए. दाएं हाथ से पुश करना. यह शॉट भारतीय पिचों, इंग्लैंड और अन्य जगहों पर कारगर है, लेकिन कुछ पिचों पर जहां गेंद ज्‍यादा बाउंस है और ज़्यादा दूर तक जाती है. किसी को उनसे कहना चाहिए था- 'विराट, यह शॉट मत खेलो'. बस सीधा खेलो या इस गेंद को छोड़ दो. 

यह कोचिंग और मैनेजमेंट के बीच के डिफरेंस को दिखाता है. किसी खिलाड़ी की तकनीकी गलती को पहचानना और उसे बताना ही कोचिंग है. किसी को इन तकनीकी समस्याओं को पहचान कर खिलाड़ियों को बताना चाहिए, लेकिन रोहित शर्मा या विराट कोहली को कौन बताएगा? वे भी चाहते हैं कि कोई आकर उन्हें बताए कि क्या गलत हो रहा है. 

योगराज सिंह का मानना है कि सही मैनेजमेंट की जरूरत है. किसी ऐसे की जरूरत है तो ये समझे कि खिलाड़ी का दिमाग कब ब्‍लॉक हो जाता है. गौतम गंभीर की कोचिंग स्‍टाइल के बारे में बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि वो तेज दिमाग के सापथ वो एक शानदार क्रिकेटर हैं. उनके पास टीम को आगे ले जाने की क्षमता है.  वो गलती को बताते है, जो सही भी है, मगर युवा प्‍लेयर्स को साथ रखने के लिए सही तरीके से मैनेजमेंट की जरूरत है. 

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