IPL Auction: साल 2008 में जब धोनी को खरीदने के लिए फ्रेंचाइजियों के बीच छिड़ी जंग, ऑक्शनर रिचर्ड मैडली का बड़ा खुलासा

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नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) अपने फॉर्मेट, खिलाड़ियों और फ्रेंचाइजियों (Franchise) के लिए मशहूर है लेकिन एक चेहरा ऐसा भी जिसकी पहचान नीलामी से ही होती है. जी हां हम यहां ऑक्शनर रिचर्ड मैडली (Richard Madley) की बात कर रहे हैं. साल 2008 में जब आईपीएल की शुरुआत हुई तब रिचर्ड मैडली ही वो शख्स थे जो फ्रेंचाइजियों की बोली और उनकी कीमत पर मुहर लगाते थे. ऐसे में अब रिचर्ड ने चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान एमएस धोनी (Ms Dhoni) को लेकर बड़ा खुलासा किया है. मैडली ने धोनी को लेकर आर अश्विन के साथ उनके यूट्यूब चैनल पर खास बातचीत में कई चीजों को लेकर खुलासा किया. 


जब धोनी के लिए छिड़ी जंग
64 साल के मैडली ने उस वक्त को याद किया जब साल 2008 नीलामी में उन्होंने धोनी का नाम निकाला था. ये वो समय था जब धोनी को लेकर फ्रेंचाइजियों के बीच जंग देखने को मिली थी. मैडली ने कहा कि, मैंने अल्टीमेट ऑलराउंडर महेंद्र सिंह धोनी का नाम निकाला. उस दौरान धोनी को चेन्नई सुपर किंग्स ने 1.5 मिलियन डॉलर में अपना बनया था. ऐसे में मुंबई इंडियंस को भी इस खिलाड़ी में दिलचस्पी थी लेकिन उस दौरान चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक एन श्रीनिवासन ने अलग प्लानिंग की और धोनी को खरीद लिया. 2 साल पहले एक इंटरव्यू में श्रीनिवासन ने कहा था कि, पंजाब को युवराज चाहिए था, दिल्ली को सहवाग और मुंबई बिना सचिन के खुद को टूर्नामेंट में खेलता हुआ सोच भी नहीं सकता था. ऐसे में सभी को स्टार खिलाड़ी चाहिए थे. उस दौरान फ्रेंचाइजी को स्टार प्लेयर को खरीदने के लिए टीम के सबसे महंगे खिलाड़ी की तुलना में 10 प्रतिशत ज्यादा रकम देनी होती थी. ऐसे में जब धोनी के लिए बोली आई तो मैं अपनी कीमत तय कर चुका था.


श्रीनिवासन ने आगे कहा कि, जब धोनी को 1.5 मिलियन डॉलर्स मिले तब मुंबई सचिन को 1.65 मिलियन डॉलर्स दे चुका था. उस दौरान 5 मिलियन पर्स की वैल्यू थी और अगर दोनों खिलाड़ियों को कोई लेता तो 60 प्रतिशत इन दो खिलाड़ियों पर ही लग जाता . ऐसे में मुंबई ने धोनी पर दांव लगाना बंद कर दिया और कुछ इस तरह अंत में धोनी हमारी टीम में आए.


बेस कीमत पर बिके थे वॉर्न
मैडली ने कहा कि, उस दौरान शेन वॉर्न भी नीलामी में थे. राजस्थान ने उन्हें बेस कीमत पर अपना बनाया था. और राजस्थान का ये मूव देखकर मैं चौंक गया था क्योंकि अपने करियर के अंत में वॉर्न ने काफी कुछ हासिल किया था. इसलिए राजस्थान ने अपना पैसा वॉर्न पर लगाया था जिसका फायदा उन्हें पहले सीजन में ही टूर्नामेंट जीतकर मिला.

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