कपिल देव की युवा खिलाड़ियों को चेतावनी, 'मेहनत करो नहीं तो विनोद कांबली बन जाओगे'

भारत के पूर्व विश्व कप विजेता कप्तान और तेज गेंदबाजी के दिग्गज कपिल देव ने युवा पीढ़ी के खिलाड़ियों को अचानक मिली सफलता से विचलित न होने की चेतावनी देने के लिए विनोद कांबली का उदाहरण दिया है.

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भारत के पूर्व विश्व कप विजेता कप्तान और तेज गेंदबाजी के दिग्गज कपिल देव (Kapil Dev) ने युवा पीढ़ी के खिलाड़ियों को अचानक मिली सफलता से विचलित न होने की चेतावनी देने के लिए विनोद कांबली (Vinod Kambli) का उदाहरण दिया है. कांबली ने 1990 के दशक में अपने शुरुआती करियर के दौरान बहुत सारे रन बनाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सफलता हासिल की. हालांकि, उन्होंने जल्दी ही अपना फॉर्म खो दिया और आगे अपने करियर में मिले मौकों को भुनाने में पूरी तरह नाकामयाब रहे. युवा खिलाड़ियों के लिए ध्यान केंद्रित रहना क्यों महत्वपूर्ण है, इसको लेकर कपिल देव ने विनोद कांबली और अपने अच्छे दोस्त सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के बीच एक अंतर दिखाया. कांबली ने 17 टेस्ट में 1084 रन बनाए और भारत के लिए 2477 रन बनाने के लिए 104 एकदिवसीय मैच खेले. दूसरी ओर, तेंदुलकर ने क्रिकेट के इतिहास में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में खुद को साबित स्थापित किया.

 

कपिल ने कहा कि, “हमेशा दो तरह के क्रिकेटर होंगे. मैंने सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली दोनों के साथ खेला है. वे दोनों भारतीय क्रिकेट में अगली बड़ी चीज बनकर उभरे. विनोद समान रूप से प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे और उनमें कोई कमी नहीं थी, लेकिन जब उनका ध्यान अपने खेल पर नहीं था, तो उन्होंने भटकना शुरू कर दिया. बता दें कि, कपिल देव ने पिछले महीने U19 सितारों राज अंगद बावा और हरनूर सिंह के सम्मान समारोह के दौरान ये सारी बातें कही हैं.

 

खिलाड़ी को प्रदर्शन पर फोकस करना चाहिए

बता दें कि, तेंदुलकर ने 16 साल की बहुत कम उम्र में अपनी यात्रा शुरू की और खेल से संन्यास लेने से पहले सभी फॉर्मेट में 34000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय रन बनाए और 100 शतक बनाए. तेंदुलकर की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणादायक रही है, क्योंकि उन्होंने अपने पूरे करियर में 24 सालों तक कड़ी मेहनत की. कपिल ने आगे कहा कि, “जब कोई खिलाड़ी फोकस खो देता है, तो उसकी पहचान धीरे धीरे फीकी पड़ने लगती है. अंत में, एक चीज मायने रखती है, और वह है प्रदर्शन. करियर खत्म होने के बाद सबकुछ इसी बात पर आकर रुक जाती है कि, एक क्रिकेटर अंत में एक महान खिलाड़ी के रूप में जाना जाएगा या खोए हुए सितारे के रूप में. 

 

बता दें कि, कांबली और तेंदुलकर दोनों ने अपने करियर की शुरुआत में कपिल देव के साथ खेला है. कपिल के संन्यास को 28 साल हो चुके हैं और वह भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक हैं.

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