Ranji Trophy Bad Umpiring : भारत के घरेलू क्रिकेट में 20 साल तक खेलने के बाद हाल ही में संन्यास लेने वाले बंगाल के पूर्व खिलाड़ी मनोज तिवारी ने जहां रणजी ट्रॉफी को खत्म करने को कहा था. वहीं अब मनोज तिवारी ने रणजी ट्रॉफी में होने वाली खराब अंपायरिंग पर भी निशाना साधा और कहा कि अंपायर रात में विह्स्की ऑन द रॉक्स (बिना पानी के बर्फ के साथ शराब) लेकर आते हैं और फिर मैदान में नशे में डूबे होते हैं.
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अंपायर्स पर साधा निशाना
इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में मनोज तिवारी से जब रणजी ट्रॉफी में होने वाली अंपायरिंग पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जिस तरह से रणजी ट्रॉफी में खिलाड़ियों का डोप टेस्ट होता है. ठीक उसी तरह घरेलू क्रिकेट में अंपायर का भी डोप टेस्ट होना चाहिए. कई बार मैंने देखा है कि मैदान में अंपायर नशे की हालत में हैंगओवर से जूझ रहे होते हैं. अंपायर सोते हुए नजर आते हैं. इस स्थिति में सही तरीके से अंपायरिंग कैसे हो सकती है.
तिवारी ने आगे कहा कि एक मैच के दौरान अंपायर से मैंने पूछा कि सर कल रात में क्या लिया था. उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि मैंने विह्स्की ऑन द रॉक्स (बिना पानी के बर्फ के साथ शराब) ली थी. इसलिए बीसीसीआई को अंपायर पर भी नजर रखनी चाहिए और हर एक सेशन से पहले उनकी जांच होनी चाहिए.
आईपीएल पर भी साधा निशाना
वहीं मनोज तिवारी ने आगे कहा,
हर साल आईपीएल का ऑक्शन रणजी ट्रॉफी से पहले होता है और जो भी खिलाड़ी आईपीएल के लिए सेलेक्ट हो जाता है. फिर वह रणजी ट्रॉफी की सीरियस नहीं लेता है. उसे डर रहता है कि कहीं वह रणजी ट्रॉफी के दौरान चोटिल ना हो जाए. इसलिए धीरे-धीरे रणजी ट्रॉफी की उपयोगिता समाप्त होती जा रही है. इस पर विचार किया जाना चाहिए. यही कारण है कि मैंने रणजी ट्रॉफी को समाप्त करने की बात सामने रखी थी.
मनोज के नाम 10 हजार से अधिक रन
मनोज तिवारी के करियर की बात करें तो 38 साल के हो चुके इस खिलाड़ी ने 148 फर्स्ट क्लास मैचों में 10195 रन बनाए. जबकि भारत के लिए 12 वनडे मैचों में मनोज के नाम 287 रन और तीन टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में मनोज के नाम सिर्फ 15 रन दर्ज हैं.
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