EXCLUSIVE: सरफराज खान और ध्रुव जुरेल ने सुनाए दो ऐसे किस्से, जिसे सुनकर नम हो जाएंगी हर किसी की आंखें

Sarfaraz Khan- Dhruv Jurel: सरफराज खान और ध्रुव जुरेल को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी है. किसी ने पिता की मदद की तो किसी ने क्रिकेट के लिए सोने की चेन बेच दी.

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Neeraj Singh

ध्रुव जुरेल और सरफराज खान

ध्रुव जुरेल और सरफराज खान

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Sarfaraz Khan- Dhruv Jurel: सरफराज खान और ध्रुव जुरेल ने अपने प्रदर्शन से टीम इंडिया में जगह पक्की कर ली है

Sarfaraz Khan- Dhruv Jurel: लेकिन यहां तक पहुंचने में दोनों को काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ा

इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान टीम इंडिया के लिए गदर मचाने वाले सरफराज खान और ध्रुव जुरेल ने अपनी बल्लेबाजी से ये साबित कर दिया कि आने वाले समय में दोनों रेगुलर तौर पर टीम इंडिया का हिस्सा बनेंगे. दोनों ने बेहद अच्छी बल्लेबाजी की जिसकी तारीफ टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने भी की. लेकिन इस मुकाम तक ये दोनों कैसे पहुंचे और इसके पीछे की संघर्ष की कहानी क्या है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच में दोनों से खास बातचीत में युवा क्रिकेटरों ने अपनी अपनी कहानी सुनाई जिसे सुन आप भावुक हो जाएंगे.

 

 

 

बारिश में भी पिता की मदद करते थे सरफराज

 

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच पर सरफराज ने अपने बचपन की कहानी बताई और कहा कि, मैं दिनभर मैदान पर रहता था. गर्मी की जब छुट्टियां होती थीं तब मैं प्लॉट पर सोता था. क्योंकि घर पर जाने के बाद मुझे काफी देर हो जाती थी और रात के 9 बज जाते थे. इसके बाद मुझे फिर सुबह मैदान पर आना पड़ता था. मैं शुरुआत से ही मैदान पर रहा हूं और माली के साथ मिलकर विकेट भी बनाई है. करियर के दौरान मेरे पिता का ट्रैक पैंट का भी धंधा था. उस दौरान मेरे पिता बाइक चलाते थे और मैं बड़ी सी थैली पकड़ पीछे बैठता था. मैंने बारिश में भी भीगकर ये काम किया है. मुझे पता है कि मैंने कितनी मेहनत की है जिसके चलते मैं यहां तक पहुंचा हूं. ऐसे में मैं हवा में नहीं उड़ना चाहता और जमीन पर ही रहना चाहता हूं.

 

 

 

क्रिकेट के लिए बेच थी मां की सोने की चेन

 

वहीं ध्रुव जुरेल ने भी कहा कि मेरे पिता आर्मी में थे तो मैं भी शुरुआत से ही आर्मी में जाना चाहता था. मैं एनडीए में जाना चाहता था. लेकिन मेरा मन सिर्फ क्रिकेट में ही लगता था. मेरे पिता डाइट और ट्रेनिंग में एकदम परफेक्ट थे और मैंने उनसे ही सबकुछ सीखा है. वो सुबह जाते थे और शाम को 5 बजे आते थे. वो मुझे क्रिकेटर नहीं बनाना चाहते थे. वो चाहते थे कि मिडिल क्लास होने के नाते मैं एक सरकारी नौकरी करूं. मैंने पापा को बिना बताए क्रिकेट शुरू की. पापा ने इस दौरान कहा कि क्रिकेट मत खेलो और पढ़ाई करो. इसके बाद मैं अपनी मां के पास गया लेकिन वो भी नहीं मानी और दोनों ने मुझे मना कर दिया.

 

जुरेल ने आगे कहा कि, मैंने पापा से बैट और किट की मांग की थी. बैट तो मिल गया लेकिन 5-6 हजार का किट नहीं मिला. पापा ने कहा कि तू क्रिकेट छोड़ दे क्योंकि मेरे पास इतने रुपए नहीं हैं. इसके बाद मैंने पापा को धमकी दी और कहा कि मैं घर छोड़कर चला जाऊंगा. लेकिन तभी मेरी मां ने कहा कि मेरी एक सोने की चेन है उसे बेच दो और इससे किट ले आओ. उस दौरान मुझे ये पता नहीं चला कि ये कितना बड़ा संघर्ष है. हालांकि मैंने मां को वादा किया था जब मैं क्रिकेट से अच्छी कमाई करूंगा तो गोल्ड की चेन दिलाऊंगा और मैंने पिछले साल ही उनके लिए नई सोने की चेन ली.

 

सरफराज की बात करें तो इस खिलाड़ी को डोमेस्टिक में धांसू प्रदर्शन करने के बाद टीम इंडिया में जगह मिली. सरफराज ने 45 फर्स्ट क्लास मैचों में कुल 3912 रन बनाए हैं. इस दौरान उनकी औसत 69.85 की रही है. सरफराज ने 14 शतक और 11 अर्धशतक ठोके हैं. वहीं ध्रुव जुरेल की बात करें तो उन्होंने राजकोट टेस्ट में डेब्यू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. जुरेल ने 90 रन की पारी खेल टीम को जीत भी दिलाई और प्लेयर ऑफ द मैच भी बने.
 

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