कभी किट खरीदने के लिए बेचा दूध, संघर्ष के समय पिता से रहे दूर, जानें कैसे दुनिया के हिटमैन बने रोहित शर्मा

रोहित के हिटमैन बनने के सफर में एक समय ऐसा भी था, जब उन्हें हर दिन एक नई चुनौती से जूझना होता था और उनके पास क्रिकेट किट या बल्ला खरीदने तक के पैसे नहीं थे. 

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Shubham Pandey

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रोहित शर्मा

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रोहित शर्मा के संघर्ष की कहानीवर्ल्ड कप 2023 में टीम इंडिया की कप्तानी कर रहे हैं रोहित शर्मा

वर्तमान में टीम इंडिया (Team India) के कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) का नाम न सिर्फ भारत बल्कि पूरी क्रिकेट दुनिया के बेस्ट बल्लेबाजों में शुमार है. रोहित शर्मा को जहां लंबी-लंबी पारियां खेलना पसंद हैं. वहीं मैदान में बड़े-बड़े छक्के लगाना रोहित की फितरत सी बन गई है. यही कारण है कि रोहित वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक छक्के लगाने वाले खिलाड़ी बन चुके हैं और उन्हें क्रिकेट की दुनिया में हिटमैन के नाम से जाना जाता है. लेकिन रोहित के हिटमैन बनने के सफर में एक समय ऐसा भी था, जब उन्हें हर दिन एक नई चुनौती से जूझना होता था और उनके पास क्रिकेट किट या बल्ला खरीदने तक के पैसे नहीं थे. ऐसे में जानते हैं कि कैसे तमाम संघर्षों को पार करके रोहित ने वर्ल्ड क्रिकेट में अपना नाम बनाया.

 

पिता से दूर दादा के साथ रहे रोहित 


रोहित की बात करें तो उनका जन्म 30 अप्रैल, 1987 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था. रोहित के पिता गुरुनाथ शर्मा नागपुर की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते थे. जबकि उनकी माता पूर्णिमा घर संभालने का काम करती थी. रोहित के पिता की कमाई इतनी नहीं थी कि वह घर संभालने के साथ रोहित की पढ़ाई का भी भार संभाल पाते. इसके लिए रोहित के पिता ने उन्हें दादा के घर मुंबई भेज दिया. रोहित ने मुंबई आने के बाद गलियों और मैदानों में जमकर क्रिकेट खेला. इस तरह रोहित की क्रिकेट के प्रति लगन को देखकर रोहित के चाचा ने जैसे-तैसे पैसे जुटाकर उनका दाखिला पास की क्रिकेट अकादमी में करवा डाला.

 

 

 

रोहित ने बचपन में बेचा दूध  


रोहत के साथ बचपन के दिनों में भारत के पूर्व स्पिनर प्रज्ञान ओझा भी खेलते थे. ओझा ने रोहित के संघर्ष के दिनों को याद करते हुए एक इंटरव्यू में बताया था कि मुझे याद है हम सभी क्रिकेट की किट को लेकर बात कर रहे थे. इतने में रोहित काफी भावुक हो गए और तब उन्होंने मुझे बताया था कि क्रिकेट किट खरीदने के लिए उसने घर-घर दूध के पैकेट डिलीवर किए थे. हालंकि अब वो जिस मुकाम पर है. उसे देख कर काफी गर्व महसूस होता है.

 

रोहित को बल्ले से था काफी प्यार 


गरीबी को एक तरफ मात देने के साथ-साथ रोहित ने क्रिकेट खेलना कभी नहीं छोड़ा. रोहित ने जब नया बल्ला लिया था तो वह मैदान में अपने शरीर पर गेंद खा लेते थे. लेकिन बल्ला टूटने के डर से वह कई शॉट्स नहीं खेलते थे. रोहित अपने बल्ले को काफी संभालकर रखते थे. रोहित जब क्रिकेट कोच दिनेश लाड के पास पहुंचे तो वह ऑफ ब्रेक गेंदबाज बनना चाहते थे. लेकिन उनके कोच दिनेश ने रोहित से बैटिंग करने को कहा और रोहित ने ओपनिंग करते हुए दमदार शतक जड़ डाला. इस फैसले के बाद रोहित  बल्लेबाज बनकर सबके सामने आए.

 

 

रोहित का आगाज 


मुंबई में हर एक जगह रन बरसाने के बाद रोहित को पहली बार घरेलू क्रिकेट में साल 2005 में देवधर ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला. इसके बाद रणजी ट्रॉफी खेलते हुए रोहित ने साल 2007 में भारत के आयरलैंड दौरे पर डेब्यू किया.  23 जून, 2007 को आयरलैंड के खिलाफ डेब्यू करने के बाद रोहित टीम इंडिया के नियमित सदस्य बने रहे. हालांकि दुर्भाग्यवश साल 2011 वर्ल्ड कप वाली टीम इंडिया का हिस्सा नहीं बन सके. लेकिन इसके बाद रोहित ने जब साल 2013 में भारत के लिए ओपनिंग करना शुरू किया. तबसे वह वनडे क्रिकेट में तीन दोहरे शतक जमा चुके हैं. जिसमें रोहित के नाम 264 रनों की वनडे क्रिकेट में बेस्ट पारी शामिल है. रोहित की बैटिंग का अब पूरी दुनिया में हल्ला है और उनके नाम सबसे अधिक 571 अंतरराष्ट्रीय छक्के दर्ज हैं. भारत के लिए वह 52 टेस्ट मैचों में अभी तक 3677 रन, 257 वनडे मैचों में 10510 रन और 148 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में रोहित के नाम 3853 रन दर्ज हैं. 

 

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