फुटबॉल (Football) का सबसे बड़ा त्योहार यानी की फीफा वर्ल्ड कप 2022 (Fifa World Cup 2022) के शुरू होने में 10 दिन से भी कम का समय बाकी है. इस साल के फीफा वर्ल्ड कप की शुरुआत 20 नवंबर से हो रही है जहां फुटबॉलर्स का ये महामेला 18 दिसंबर तक चलेगा. ये फीफा वर्ल्ड कप का 22वां एडिशन है. ऐसे में इसका आयोजन पहली बार किसी मध्य पूर्वी देश में हो रहा है. इस बार का फीफा वर्ल्ड कप कतर में खेला जा रहा है. दूसरी बार ऐसा हो रहा है जब कोई एशियाई देश इसकी मेजबानी कर रहा है. इससे पहले साल 2002 की मेजबानी जापान और दक्षिण कोरिया ने की थी. कतर को जब से फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी मिली तब से ये देश इसकी तैयारियों में जुट गया. कतर ने वर्ल्ड कप की तैयारी के लिए काफी खर्चा भी किया है. ऐसे में दुनिया के तमाम खिलाड़ी और टीमें कतर में शिरकत करने लगी हैं. हम आपके लिए कतर के उन स्टेडियम्स की जानकारी लेकर आए हैं जिसमें इस साल के वर्ल्ड कप के तमाम मैच खेले जाएंगे.
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कितने स्टेडियम्स में होंगे मैच?
कतर में होने वाला फीफा वर्ल्ड कप पांच अलग अलग शहरों में खेला जाएगा. इन शहरों के कुल 8 स्टेडियम्स में तमाम मैच होंगे. ये स्टेडियम्स 32 टीमों के बीच होने वाले 64 मैचों की मेजबानी करेंगे. फीफा वर्ल्ड कप 2022 लुसैल के आइकॉनिक स्टेडियम, अल खोर का अल बेयत स्टेडियम, अल वकराह का अल जानूब स्टेडियम, अहमद बिन अली स्टेडियम, खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम और अल रेयान एजुकेशन सिटी स्टेडियम, स्टेडियम 974 और दोहा में अल थुमामा स्टेडियम में खेला जाएगा. ये सभी स्टेडियम्स कतर की राजधानी दोहा के 55 किलोमीटर के दायरे में हैं.
बता दें कि खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम ही इकलौता ऐसा स्टेडियम हैं जिसे साल 1976 में बनाया गया था. इसके अलावा बाकी के सभी स्टेडियम्स को पिछले तीन सालों के भीतर फीफा वर्ल्ड कप को देखते हुए बनाया गया है. 8 स्टेडियमों में सबसे अधिक क्षमता लुसैल आइकॉनिक स्टेडियम की है जो 80,000 है. ऐसे में इस स्टेडियम में ही फाइनल मैच खेला जाएगा. इसमें कुल 10 मैच खेले जाएंगे.
इन स्टेडियम्स में खेले जाएंगे ग्रुप मैच
ग्रुप ए, बी, ई और एफ: अल बेयट स्टेडियम, खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम, अल थुमामा स्टेडियम, अहमद बिन अली स्टेडियम
ग्रुप सी, डी, जी और एच: लुसैल आइकॉनिक स्टेडियम, स्टेडियम 974, एजुकेशन सिटी स्टेडियम, अल जानौब स्टेडियम
स्टेडियम्स को बनाने में आया कितना खर्चा?
अहमद बिन अली स्टेडियम
रेगिस्तान की सीमाओं में स्थित, यह वेन्यू मूल अल रेयान स्टेडियम के ऊपर बनाया गया था, जिसे 2015 में ध्वस्त कर दिया गया था. कतर की सुप्रीम कमेटी फॉर डिलीवरी एंड लिगेसी की जानकारी के अनुसार इस स्टेडियम के 90 प्रतिशत मटेरियल का इस्तेमाल फिर से किया गया है. इसे दिसंबर 2020 में ही खोला गया था और इसकी अनुमानित लागत लगभग 360 मिलियन डॉलर थी. अहमद बिन अली स्टेडियम का निर्माण 2003 में हुआ था. इसकी दर्शक क्षमता 44,740 है. यहां पर अमेरिका, वेल्स, बेल्जियम, कनाडा, ईरान, जापान, कोस्टा रिका, इंग्लैंड और क्रोएशिया की टीमें ग्रुप राउंड में अपना मैच खेलेंगी.
अल बेयट स्टेडियम
एक विशाल अरबी तम्बू से इस स्टेडियम की पहचान होती थी. स्टेडियम का काम नवंबर 2015 में शुरू हुआ और 2021 के अंत तक इसे खोल दिया गया. अल बेयट फीफा विश्व कप कतर 2022 का पहला गेम आयोजित करेगा. यही कारण है कि इसके निर्माण में 847 मिलियन डॉलर की लागत आई है. यह वर्ल्ड कप का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम है. 6 साल के निर्माण के बाद फीफा वर्ल्ड कप के लिए 30 नवंबर 2021 को इस स्टेडियम को खोला गया था. वर्ल्ड कप में यह नौ मैचों की मेजबानी करेगा. इनमें तीन नॉक आउट मैच शामिल हैं. इसकी दर्शक क्षमता 60 हजार है.
अल जानौब स्टेडियम
2014 में इसका काम शुरू हुआ था. इसके छत के डिजाइन को समुद्र के लहरों की तरह बनाया गया है. स्टेडियम ने 2019 में अपनी सीट्स को जनता के लिए खोल दिया था. कथित तौर पर, इसकी लागत लगभग 656 मिलियन डॉलर थी. ब्रिटिश-इराकी वास्तुकार जाहा हदीद ने इस स्टेडियम का डिजाइन किया था. इसकी दर्शक क्षमता 40 हजार है.
अल थुमामा स्टेडियम
अक्टूबर 2021 में इस स्टेडियम को खोला गया था. इस वेन्यू का बाहरी भाग गहफिया से प्रेरित है, जो अरबी पुरुषों के जरिए इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक टोपी है, और इसके आसपास के क्षेत्र काफी हरे-भरे हैं. इस स्टेडियम की लागत 342 मिलियन डॉलर थी. इस स्टेडियम का उद्घाटन 22 अक्टूबर 2021 को किया गया था. अल थुमामा स्टेडियम का इस्तेमाल वर्ल्ड कप के क्वार्टर फाइनल तक किया जाएगा. इस स्टेडियम की क्षमता 40 हजार है.
एजुकेशन सिटी स्टेडियम
डेजर्ट के डायमंड के रूप में भी इस स्टेडियम को जाना जाता है. यह स्टेडियम कतर के शैक्षिक और वैज्ञानिक कोर के करीब है. इसका काम 2015 में शुरू हुआ था और आयोजन स्थल 2020 में खोला गया था. कतर 2022 के अधिकांश स्टेडियमों की तरह इसमें भी कूलिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. यह 700 मिलियन डॉलर की लागत वाली आगामी फीफा विश्व कप की सबसे महंगी प्रोजेक्ट में से एक है. इस स्टेडियम की क्षमता 45,320 है.
खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम
ये स्टेडियम इकलौता ऐसा स्टेडियम है जिसका अंत तक पूरा नहीं हो पाया था. यह 1976 में खोला गया था और तब से कतरी फुटबॉल का घर रहा है. यह 2014 से 2017 तक रेनोवेशन के माध्यम से चलता गया जहां बाद में इसे दोबारा खोला गया. इस स्टेडियम की लागत 374 मिलियन डॉलर है. इसका नाम कतर के पूर्व अमीर खलीफा बिन हमद अल थानी के नाम पर रखा गया है. यह राष्ट्रीय टीम का होम ग्राउंड है. इस स्टेडियम की क्षमता 45,416 है.
लुसैल आइकॉनिक स्टेडियम
फीफा विश्व कप कतर 2022 का आखिरी मैच यहीं पर आयोजित किया जाएगा, ऐसे में ये काफी शानदार होना था. अंत में यह उम्मीदों पर खरा उतरा. इसका बाहरी डिजाइन अरब और इस्लामी दुनिया के कटोरे, बर्तन और अन्य कलाकृतियों की नकल करता है. इसका निर्माण 2017 में शुरू हुआ था और इसे 2022 में 767 मिलियन डॉलर की कथित लागत के साथ खोला गया था. इस स्टेडियम की क्षमता 80 हजार है.
974 स्टेडियम
ये स्टेडियम बेहद खास है क्योंकि फीफा वर्ल्ड कप इतिहास में ये पहला ऐसा वेन्यू है जिसे बाद में गिराया भी जा सकता है और वो भी आसानी से. इसमें 974 शिपिंग कंटेनर्स का इस्तेमाल किया गया है जो एक मुखौटा बनाता है. इस स्टेडियम को बनाने की शुरुआत साल 2017 में हुई थी. लेकिन साल 2021 में इसे खोला गया. इस स्टेडियम को बनाने में 202 मिलियन डॉलर्स का खर्चा हुआ था. इस स्टेडियम की क्षमता 40 हजार है. फीफा वर्ल्ड कप 2022 खत्म होने के बाद इस स्टेडियम को पूरी तरह गिरा दिया जाएगा.
स्टेडियम्स में किया गया है इस खास तकनीक का इस्तेमाल
इन 8 स्टेडियम्स को पूरी तरह से एयर कंडीशंड बनाया गया है. यानी की फैंस को बिल्कुल भी दिक्कत नहीं होगी और न ही गर्मी लगेगी. लेकिन ऐसा करने में लाखों डॉलर्स खर्च किए जा चुके हैं. कतर में तापमान काफी ज्यादा होगा ऐसे में खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए एसी लगाए गए हैं. सभी 8 स्टेडियम में अलग तरह की कूलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है. ये एसी स्टेडियम के भीतर एक शील्ड बना देगा. इससे खिलाड़ी और फैंस बाहरी गर्मी से बचे रहेंगे. इस टेक्नोलॉजी के पीछे एक सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है जो सोलर एनर्जी से चलता है. इस टेक्नोलॉजी के पीछे जिस शख्स का हाथ है उनका नाम सऊद अब्दुलअज़ीज़ अब्दुल गनी है जिन्हें डॉक्टर कूल के नाम से भी जाना जाता है. स्टेडियम के भीतर अगर ठंडी हवा बनी रहेगी तो इससे खिलाड़ी कम चोटिल होंगे और उन्हें ज्यादा थकावट भी महसूस नहीं होगी.
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