Exclusive: सुमित अंतिल ने बताई 9 साल पहले हुई एक्सीडेंट की कहानी, कहा- जब मैंने अपनी टांग गंवाई तब लोगों ने...

सुमित अंतिल ने कहा कि टोक्यो ओलिंपिक के बाद मेरे लिए सबकुछ बदल गया. मैंने लोगों को काफी ज्यादा मोटिवेट किया है. मुझे देख लोग हार नहीं मानते हैं और आगे बढ़ते हैं.

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Neeraj Singh

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बात करते सुमित अंतिल

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बात करते सुमित अंतिल

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सुमित अंतिल ने कहा कि मैंने लोगों को मोटिवेट किया हैसमित ने कहा कि साल 2017 से मेरे लिए सबकुछ बदल गया

पैरालिंपियन सुमित अंतिल ने उस वक्त को याद किया है जब उनका एक्सीडेंट हुआ था. सुमित अंतिल का साल 2015 में एक्सीडेंट हुआ था. ऐसे में इस पैरालिंपियन ने हाल ही में खत्म हुए पेरिस पैरालिंपिक्स में अफने प्रदर्शन से कमाल कर दिया. जैवलिन थ्रो इवेंट में सुमित ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. साल 2021 में 26 साल के खिलाड़ी को टोक्यो में भी गोल्ड मेडल मिला था. इस दौरान सुमित ने 68.55 मीटर का थ्रो फेंका था. वहीं पेरिस ने उन्होंने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए और 70.59 मीटर का थ्रो फेंका.

 

सुमित ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बातचीत के दौरान कहा कि जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था तब मैं खुद को स्वीकार नहीं कर पा रहा था. लेकिन साल 2017 में मेरी जिंदगी पलटी जब मैंने जैवलिन चुना. इसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और पेरिस और टोक्यो में भारत के लिए मेडल लाया. सुमित ने बताया कि लोगो का आज भी एक्सीडेंट होता है तो वो पैरा एथलीट्स को देखकर मोटिवेट होते हैं.

 

मैंने लोगों को मोटिवेट किया है: सुमित अंतिल

 

सुमित ने बताया कि, "जब 2015 में मेरा एक्सीडेंट हुआ था, तब पैरा स्पोर्ट्स के बारे में बहुत कम जानकारी थी. यहां तक ​​कि मुझे भी इसके बारे में पता नहीं था. लेकिन जब मैंने इस पर रिसर्च की और 2017 में इसके बारे में पता चला, तो मैंने जैवलिन थ्रो करना शुरू कर दिया. जब मैंने टोक्यो में गोल्ड जीता तो लोगों को मेरी उपलब्धि के बारे में पता चला. मुझे सोशल मीडिया पर बहुत सारे मैसेज मिले, जिसमें कहा गया था कि 'मेरा भी एक्सीडेंट हुआ था और डॉक्टरों ने मेरा पैर काट दिया था, लेकिन मैं तुम्हें देखकर प्रेरित हुआ'."

 

सुमित ने कहा, "जब आप किसी एक्सीडेंट में होते हैं तो आप पूरी तरह से टूट जाते हैं. एक तो बचपन से ही दिव्यांग होना और दूसरा पूरी तरह से फिट होने के बाद खुद को खो देना है. उस समय खुद को स्वीकार करना मुश्किल होता है और मुझे यह स्वीकार करने में दो साल लग गए कि मैं इसके बारे में कुछ नहीं कर सकता." "हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करते देखना उन्हें प्रेरणा और उम्मीद देता है. हम तकनीक की मदद से चल और दौड़ सकते हैं. यह दर्द को पूरी तरह से दूर नहीं करेगा, लेकिन 50-60 प्रतिशत कम कर देता है.

 

सुमित ने कहा, "जब मेरे कुछ परिचितों के साथ दुर्घटना हुई तो मैं उनसे मिलने गया.  उनके परिवार ने कहा, 'हम तनाव में थे, लेकिन आपको देखने के बाद, हमें राहत मिली कि हम फिर से सामान्य हो सकते हैं." सुमित ने पेरिस पैरालिंपिक्स में अपने छह थ्रो के दौरान दो बार अपना ही पैरालिंपिक रिकॉर्ड तोड़ दिया जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.

 

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