अर्जुन बाबूता 10 मीटर एयर राइफल में भारत को मेडल दिलाने से चूक गए. वो चौथे स्थान पर रहे. हालांकि एक समय वो दूसरे स्थान पर चल रहे थे. वो टॉप के काफी करीब पहुंच गए थे, मगर दो खराब शॉट के कारण वो दूसरे से चौथे स्थान पर फिसल गए. बाबूता को दूसरे से चौथे स्थान पर फिसलता देख कोच दीपाली देशपांडे ने अपना फोन फेंक दिया था. बबूता के चौथे स्थान पर आने के सदमे से उबरने में कोच दीपाली देशपांडे को एक घंटे का समय लगा.
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हजारों मील दूर बैठी दीपाली बाबूता के दर्द को महसूस कर सकती थी. बबूता जब 16 साल की उम्र में नेशनल टीम में आए थे, वो तब से उन्हें कोचिंग दे रही हैं. साल 2015 में जसपाल राणा के साथ जूनियर कोचिंग टीम का हिस्सा रही दीपाली को भरोसा है कि बबूता जल्द ही इस झटके से उबर जाएंगे और 2028 लॉस एंजिल्स ओलिंपिक में उनका प्रदर्शन अच्छा होगा.
पैर सुन्न होने से गिर जाते थे बाबूता
बबूता एक समय सिल्वर जीतने की स्थिति में दिख रहे थे, लेकिन घबराहट में खराब निशाना लगा बैठे. दीपाली ने ‘पीटीआई’ से कहा-
वो बहुत बुरे दौर से गुजरे थे, जब पीठ में चोट लगी थी. जिससे तीन साल पहले टोक्यो ओलिंपिक में जगह बनाने की उनकी उम्मीदें खत्म हो गई थीं. निशानेबाजी के दौरान वो दो बार रेंज में गिर गए थे, क्योंकि उनके पैर सुन्न हो जाते थे. कोविड ने उन्हें आराम करने और ठीक होने का समय दिया, लेकिन हर बार वो फोन करके पूछता थे कि क्या मैं ट्रेनिंग शुरू कर सकता हूं और हर बार मुझे उन्हें बताना पड़ता था कि उन्हें पहले फिट होने की जरूरत है.
दीपाली ने आगे कहा-
मेरे लिए दिन मुश्किल था. मैंने उन्हें फाइनल में दूसरे से चौथे स्थान पर आते देख अपना फोन फेंक दिया.
दीपाली को पूरा भरोसा है कि बाबूता का दौर 2025 में शुरू होगा. कोच का मनाना है कि बाबूता उन निशानेबाजों में से एक है, जो फाइनल में लगातार 10.8 का स्कोर बना सकते हैं.
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