जंतर मंतर पर देश के लिए मेडल जीत चुके पहलवान (Wrestlers Protest) धरना प्रदर्शन दे रहे हैं और वहां से हटने का नाम नहीं ले रहे हैं. इन पहलवानों की सिर्फ एक ही मांग है कि WFI चीफ बृजभूषण शरण सिंह को उनके पद से हटा दिया जाए. इस बीच अब सुप्रीम कोर्ट ने इन पहलवानों को बड़ा झटका दिया है. यौन उत्पीड़ने के मामले में महिला पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन अब कोर्ट ने इस केस को पूरी तरह बंद कर दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा कि, इस मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी है. ऐसे में अगर आपका कुछ और मामला है तो आप हाईकोर्ट या निचली अदालत जा सकते हैं.
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बता दें कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवान बैकफुट पर जाने के लिए तैयार नहीं हैं. दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. लेकिन अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है. महिला पहलवानों ने बुधवार को मुख्य जज डी वाई चंद्रचूड़ और पी एस नरसिम्हा की पीठ के सामने ये मामला रखा था.
पुलिस के साथ हुई पहलवानों की झड़प
बता दें कि गुरुवार की रात पहलवानों के लिए अच्छी नहीं रही. दरअसल, दिल्ली में बारिश के दौरान गद्दे भीगने से पहलवान फोल्डिंग बेड लेकर अंदर जाने लगे थे. दिल्ली पुलिस ने उन्हें बेड अंदर ले जाने से रोका. जिस पर पहलवानों और पुलिस के बीच दंगल छिड़ गया. इसी दंगल में गीता फोगाट के छोटे भाई दुष्यंत फ़ोगाट का सिर फूट गया और उन्हें चोट लग गई. जबकि उनके अलावा अन्य कई पहलवान घायल भी हुए हैं.
तीन मई की रात को होने वाली घटना के बाद विनेश ने आज तक से बातचीत में कहा, "जो काम ब्रज भूषण शरण सिंह के साथ करना चाहिए. इसके उलट वही काम हमारे साथ कर रहे हैं और ये बहुत ही बुरी बात है. हर तरह से हमें दबाने की कोशिश की जा रही है."
मेडल कर देंगे वापस
विनेश ने आगे कहा, "देश का संविधान समाप्त हो चुका है और कोई सुनने वाला नहीं है. मैं काफी थक चुकी हूं. अगर जरूरत पड़ी तो हम अपना मेडल, जिसे हमने अपनी मेहनत से हासिल करके देश का गौरव बढाया था. उसे भी वापस कर सकते हैं."
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