किसी के पिता मजदूर तो कोई सिक्योरिटी गार्ड की बेटी, किसी के सिर पर पिता का साया भी नहीं, इसके बावजूद भारतीय महिला रग्बी टीम की प्लेयर्स का जज्बा कम नहीं हुआ. गरीबी से लड़ीं, गलत बात करने वाले समाज के खिलाफ गईं और अब वो तिरंगा लहराने की तैयारी कर रही हैं. पूरे देश की नजर इन बेटियों पर हैं, जो चीन में 23 सितंबर से शुरू होने वाले एशियन गेम्स में भारत की चुनौती पेश करेगी. हर खिलाड़ी कुछ कर गुजरने का जज्बा लेकर मैदान पर उतरने का इंतजार कर रही हैं. हर एक प्लेयर लंबी लड़ाई के बाद यहां तक पहुंची. हर एक खिलाड़ी की कहानी प्रेरणा देने वाली है. India Today- Aaj Tak से बात करते हुए इन प्लेयर्स ने अपने सफर के बारे में बात की. अपना संघर्ष बताया.
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- ओडिशा की तारुलता ने स्कूल के दिनों में रग्बी को चुना था. उनका परिवार चाहता था कि वो सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दें, मगर स्कूल से ही उन्होंने रग्बी खेलना शुरू कर दिया था. अब उनका सपना एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने का है.
- बिहार की श्वेता शाही ने यूट्यूब पर वीडियो देखते हुए रग्बी के बारे जाना. वो एशियन रग्बी सेवंस सीरीज में भारतीय टीम का हिस्सा थी. श्वेता ने कहा कि उन्होंने वीडियो देखकर इस खेल के बारे में सीखा. उन्होंने अपने पिता को भी वीडियो दिखाए. उनके सफर के दौरान हर जगह उनके पिता थे. उन्हें आर्थिक समस्या से भी जूझना पड़ा. इतना ही नहीं उनके परिवार को गलत बातें भी सुननी पड़ी. श्वेता ने बताया कि उनके गांव में लड़कियां पढ़ाई और कुछ सीखने के लिए बाहर नहीं जाती और वो उसी गांव में रग्बी खेल रही थीं. ऐसे में उनके परिवार को काफी कुछ गलत सुनना पड़ता था.
- ओडिशा के हुपी माझी जब 8 साल की थीं, तब उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया. वो काफी डरी हुई थीं. उन्होंने बताया कि उनके गांव वाले उन्हें शॉर्ट्स पहनने से मना करते थे. खेलने से मना करते थे. इसके बावजूद उन्होंने खेलना जारी रखा.
- टीम की कमान दिल्ली की शीतल शर्मा के हाथ में हैं, जो पिछले 8 साल से रग्बी खेल रही हैं. शीतल के सिर पर से पिता का साया काफी पहले ही उठ चुका है. पिता की मौत के बाद उनकी जिंदगी में भी काफी उतार चढ़ाव आए, मगर उन्हें हमेशा परिवार की तरफ से पूरा सपोर्ट मिला.
- टीम की उपकप्तान संध्या राय वेस्ट बंगाल से हैं. उनके पिता चाय के बागान में मजदूरी करते हैं. यहां तक पहुंचने के लिए वो काफी चैलेंज और भेदभाव से लड़ी और उस लड़ाई ने उन्हें इतना ताकतवर बना दिया कि अब वो चीन, जापान जैसी टीमों से टकराने के लिए तैयार हैं.
- महाराष्ट्र की कल्याणी के पिता सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं. कल्याणी ने स्कूल के दिनों में रग्बी खेलना शुरू किया था. परिवार की तरफ से तो उन्हें पूरा सपोर्ट मिला, मगर उनके आसपास के लोग अक्सर उन पर कमेंट करते रहते थे. इसके बावजूद उनकी हिस्मत नहीं टूटी और अब उनकी नजर चीन में तिरंगा लहराने की है.
रग्बी स्क्वॉड: श्वेता शाही, संध्या राय, मामा नायक, कल्याणी पाटिल, वैष्वणी पाटिल, लच्मी, दुमुनी, हुपी माझी, शिखा यादव, तारुलता नायक, शीतल शर्मा और प्रिया बसंल
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