भारत की स्टार तीरंदाज ज्योति सुरेखा वेन्नम ने वर्ल्ड कप फाइनल में इतिहास रच दिया है. वह वर्ल्ड कप फाइनल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला कंपाउंड तीरंदाज बन गई हैं. उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया.एशियाई खेल चैंपियन ज्योति ने दुनिया की दूसरे नंबर की तीरंदाज ब्रिटेन की एला गिब्सन को 150- 145 से हराकर पहली बार इस टूर्नामेंट में पोडियम पर जगह बनाई. आठ तीरंदाजों के वर्ल्ड कप सत्र के फाइनल में 29 साल की ज्योति ने क्वार्टर फाइनल में अमेरिका की एलेक्सिस रूइज को 143-140 से हराया था.
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वह सेमीफाइनल में दुनिया की नंबर एक तीरंदाज मैक्सिको की आंद्रिया बेसेरा से 143- 145 से हार गई. विश्व कप फाइनल में ज्योति तीसरी बार उतरी थी. इससे पहले वह 2022 और 2023 में पहले दौर में बाहर हो गई थी. भारत की मधुरा धमनगांवकर पहले दौर में मैक्सिको की मरियाना बेरनाल से 142 - 145 से हारकर बाहर हो गई. मैंस कैटेगरी में ऋषभ यादव अकेले भारतीय हैं जो साउथ कोरिया के किम जोंघो से पहले दौर में खेलेंगे. रिकर्व वर्ग में कोई भारतीय क्वालीफाई नहीं कर पाया.
कौन हैं ज्योति सुरेखा वेन्नम?
आंध्र प्रदेश की ज्योति सुरेखा वेन्नम कपाउंड तीरंदाज है. एशियन गेम्स में वह तीन गोल्ड समेत कुल पांच मेडल जीत चुके हैं. वर्ल्ड गेम्स में वह ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी है. जबकि 2023 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में टीम इवेंट में गोल्ड जीता था.
ज्योति सुरेखा का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में क्यों हुआ था दर्ज?
ज्योति ने करीब छह साल की उम्र में कृष्णा नदी में तीन घंटे 20 मिनट और छह सेकेंड में करीब 5 किलोमीटर तैराकी की थी. वह लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाने वाली सबसे युवा थीं.
ज्योति ने आर्चरी में कब कदम रखा?
ज्योति ने 11 साल की उम्र में तीरंदाजी में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. उन्होंने जूनियर लेवल पर कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था. इसके बाद 2011 में एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीता और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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