भारत के युवा मुक्केबाज हितेश गुलिया ने अपने करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए पूर्व वर्ल्ड चैंपियन और एशियाई खेलों के चैंपियन जापान के सेवोन ओकाजावा को हरा दिया है और इसी के साथ ही वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में जगह बना ली है. टूर्नामेंट के दूसरे दिन भी भारतीय मुक्केबाजों का शानदार प्रदर्शन जारी रहा. हितेश ने 70 किलो वेट कैटेगरी में जापान के स्टार मुक्केबाज को कांटे की टक्कर में 3- 2 से हरा दिया .
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उनके अलावा जदुमणि सिंह (50 किलो ), पवन बर्तवाल (55 किलो ), सुमित कुंडू ( 75 किलो ) और नवीन कुमार ( 90 किलो ) भी अपने क्वार्टर फाइनल मुकाबले जीत गए है. वर्ल्ड कप में भारत के अभी तक 20 मेडल पक्के हो गए हैं. नौ मुक्केबाजों ने क्वार्टर फाइनल मुकाबले जीत लिये, जबकि 11 मुक्केबाज अभियान की शुरुआत ही सेमीफाइनल या फाइनल से कर रहे हैं.
ये भी जीते
सेना के बर्तवाल ने विश्व मुक्केबाजी कप के गोल्ड मेडलिस्ट कजाखस्तान के अल्तिनबेक नूरसुल्तान को 5-0 से हराया. सुमित ने साउथ कोरिया के किम हियोन ताए को 75 किलो वर्ग के क्वार्टर फाइनल में 5-0 से मात दी. वहीं स्ट्रांजा 2024 पदक विजेता नवीन ने कजाखस्तान के बेकत तंगातार को हराया. मौजूदा महिला 48 किग्रा विश्व चैंपियन मीनाक्षी हुड्डा, नरेंद्र बेरवाल (+90 किग्रा) और अंकुश फंगाल (80 किग्रा) ने भी सेमीफाइनल में पहुंचकर भारत के लिए और पदक पक्के किए.
प्रीति पंवार का पदक पक्का
इससे पहले प्रीति पंवार ने एक साल बाद शानदार वापसी करते हुए भारत के लिए पदक पक्का किया. हेपेटाइटिस ए से जूझने के बाद और इंटरनेशनल क्रिकेट से एक साल दूर रहने वाली प्रीति ने हांग्झोउ एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता उज्बेकिस्तान की निगिना उक्तामोवा को सर्वसम्मत निर्णय से हराकर महिलाओं के 54 किग्रा वर्ग के सेमीफाइनल में प्रवेश किया था.
बीमारी से वापसी
पेरिस ओलिंपिक से एक महीने पहले प्रीति को हेपेटाइटिस ए होने का पता चला था. अपने मुकाबले के बाद प्रीति ने कहा कि यह मेरे लिए एक चुनौतीपूर्ण दौर रहा है क्योंकि ओलिंपिक से एक महीने पहले मुझे हेपेटाइटिस ए होने का पता चला था,लेकिन इसने मुझे वापसी करने और खुद को और मजबूत महसूस करने के लिए प्रेरित भी किया.
बीमारी के बावजूद उन्होंने ओलिंपिक में अपनी जगह पक्की कर ली और विश्व चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता कोलंबिया की येनी एरियास से राउंड 16 के कड़े मुकाबले में हारकर बाहर हो गईं, लेकिन घर लौटते ही संक्रमण का असर उन पर फिर से दिखने लगा. ओलिंपिक के बाद वह तीन महीने तक पूरी तरह बिस्तर पर रही थीं.
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