आज से 17 साल पहले कॉलेज के क्लासरूम में व्हाइटबोर्ड पर पावरप्वाइंट प्रेजेंटेशन चल रही थी. टॉपिक था लेजेंड रोजर फेडरर. हाथ में टेनिस रैकेट, मुस्कुराता चेहरा और खुद की बनाई एक मोटी रिकॉर्डबुक. 21वीं सदी की शुरुआत में कॉलेज के युवा मन पर टेनिस जगत की कुछ ऐसी ही तस्वीर चस्पां थी. टेनिस के आसमान पर रोजर फेडरर नाम का सितारा बुलंद हुआ. खेल तो जादू जैसा था ही लेकिन सोने पर सुहागा थी उनकी मासूमियत से भरी मनमोहक मुस्कान. तब पुरुष सिंगल्स में पीट सम्प्रास का 14 ग्रैंडस्लैम जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड महानता की निशानी के तौर पर दर्ज था. स्विट्जरलैंड के इसी मासूम से दिखने वाले अपने जैसे लगने वाले फेडरर ने तब सुनहरी मंजिल के सपनीले रास्ते पर अपने कदमों को रफ्तार देना शुरू किया.
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खूबसूरत बैकहैंड. नायाब स्लाइस के साथ ही स्क्वैश शॉटनुमा दिलकश फोरहैंड स्लैश खेलते फेडरर के कदमों और हाथों की करिश्माई जुगलबंदी. मानो पंडित जसराज का जादुई शास्त्रीय गायन हो, या रंग बिखेरती उस्ताद बिस्मिल्ला खां की शहनाई, या फिर तबले पर थिरकती जाकिर हुसैन की बेधड़क अंगुलियां. कुछ ऐसा ही जादू था फेडरर के खेल में. कुछ ऐसा ही जलवा था उनके व्यक्तित्व का. और जब फेड एक्सप्रेस महान पीट सम्प्रास के 14 ग्रैंडस्लैम के स्टेशन को पीछे छोड़कर तेजी से आगे बढ़ी. तब न तो राफेल नडाल की पहचान फेडरर के समकक्षों के तौर पर होती थी और दिग्गजों की जमात में जोकोविच का तो कोई नामलेवा तक नहीं था. तब टेनिस की दुनिया का अगर कोई चमकता ध्रुवतारा था तो वो फेडरर ही थे.
मां के गुण बेटे में उतरे
साल 1981 में स्विट्जरलैंड के बासेल में जन्मे रोजर फेडरर की मां लिनेटे साउथ अफ्रीका से थीं और पिता रॉबर्ट स्विट्जरलैंड से. रॉबर्ट साउथ अफ्रीका घूमने गए थे जहां वो लिनेटे से मिले. इसके बाद दोनों ने फार्मास्यूटिकल कंपनी में साथ काम किया. फेडरर को खेलों का डीएनए अपनी मां से विरासत में मिला था. दरअसल, उनकी मां नेटबॉल, ट्रैक एंड फील्ड और फील्ड हॉकी खेलती थीं.
आठ की उम्र में टेनिस की राह तो पियानो की भी ली ट्रेनिंग
मां से मिली खेलों की विरासत के तहत बचपन में रोजर फेडरर की दिलचस्पी बैडमिंटन और बास्केटबॉल में थी लेकिन उन्होंने आठ साल की उम्र से अपनी राह टेनिस की ओर मोड़ दी. 11 साल तक आते-आते वो शीर्ष जूनियर टेनिस प्लेयर्स में शामिल हो चुके थे. जिन्हें नहीं पता उनके लिए बता दें कि फेडरर 16 साल की उम्र तक पूरी तरह वेजीटेरियन थे. इतना ही नहीं, फेडरर बहुत अच्छा पियानो भी बजाते हैं जिसके लिए उन्होंने बचपन में ट्रेनिंग भी ली थी.
एक महीना, दो टूर्नामेंट, ढेरों दिग्गज
फेडरर जब अपने सपने की ओर बढ़ रहे थे तब वो हर महीने अलग-अलग शहरों में जाकर दो टूर्नामेंट में हिस्सा लेते थे और वहां के सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों के खिलाफ खेलते थे. ये मेहनत काम आई और 14 साल की उम्र में वो सभी ग्रुप में स्विट्जरलैंड के नेशनल चैंपियन बन गए.
पिता की सलाह, फेडरर का सलाम
यूं तो फेडरर के पेरेंट्स ने उन्हें कभी जबरदस्ती टेनिस की ओर पुश नहीं किया, लेकिन पिता रॉबर्ट ने हमेशा उनसे एक बात कही थी. उन्होंने कहा कि अगर रोजर सच में टेनिस खेलना चाहते हैं तो उन्हें शीर्ष 100 टेनिस प्लेयर्स में आने का लक्ष्य रखना चाहिए ताकि उन्हें खेलने के पैसे मिल सकें न कि टूर्नामेंट में एंट्री और ट्रैवल के लिए उन्हें खुद खर्च करना पड़े. रोजर ने पिता की सलाह को गंभीरता से लिया और साल 2004 में वो नंबर दो स्थान पर पहुंचे तो उसके अगले साल यानी 2005 में नंबर वन भी बन गए.
1998 से शुरू हुआ करिश्माई सफर
रोजर फेडरर साल 1998 में प्रोफेशनल टेनिस खेलने लगे हालांकि वो उससे पहले ही जूनियर लेवल पर विंबलडन खिताब अपने नाम कर चुके थे. एक बार उनसे पूछा गया कि सबसे मुश्किल बात क्या लगती है तब उन्होंने कहा था कि टेनिस की सबसे मुश्किल चीज उन्हें सर्विस करना लगता है क्योंकि इसके लिए बहुत सारी बातों का सही होना जरूरी होता है. सर्विंग उनका कमजोर पक्ष था तो उन्होंने जानबूझकर कलाई का अधिक इस्तेमाल करना शुरू कर दिया जिससे उन्हें ताकत मिल सके.
दुनिया का चक्कर
स्विस टेनिस स्टार रोजर फेडरर 23 देशों में टेनिस टूर्नामेंट खेल चुके हैं जिनमें से उन्होंने 15 देशों में जीत भी दर्ज की.
ओलिंपिक में मिला हमसफर
रोजर फेडरर ने साल 2009 में मिर्का वावरिनेक से शादी की, लेकिन इन दोनों की लवस्टोरी भी कम दिलचस्प नहीं है. दरअसल, 2000 के सिडनी ओलिंपिक्स में फेडरर और मिर्का टेनिस में स्विट्जरलैंड का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. दो हफ्तों तक एक-दूसरे को जानने समझने के बाद दोनों ने ओलिंपिक के आखिरी दिन अपना पहला किस किया. और उसके कुछ साल बाद शादी के बंधन में बंध गए. दिलचस्प बात ये है कि फेडरर के चारों बच्चे जुड़वा हैं. मिर्का ने पहले दो जुड़वा बच्चियों माइला और चार्लीन को जन्म दिया और फिर जुड़वा बेटों लियो और लेनी को जन्म दिया.
फेडरर को इनाम में मिली तीन गाय
फेडरर ने जब साल 2003 में स्विस ओपन जीता तब उन्हें इनाम में जूलियट नाम की गाय दी गई. साल 2013 में एक बार फिर उन्हें डिजायर नाम की गाय पुरस्कार स्वरूप दी गई और फिर तीसरी बार भी वो टूर्नामेंट जीतने पर डिजायर नाम की गाय दी गई. फेडरर ने इन गायों को डेयरी फार्मर्स को भेंट कर दिया क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि इन गायों का क्या करना है.
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