'भारत विकेट से छेड़छाड़ के चक्कर में फंसा', मोहम्मद कैफ वर्ल्ड कप फाइनल हारने पर बरसे, बोले- क्यूरेटर अपना काम करता है, यह बकवास है
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भारत को वर्ल्ड कप 2023 फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से सात विकेट से हार मिली थी.
भारतीय बल्लेबाज वर्ल्ड कप फाइनल की धीमी पिच पर रन जुटाने में नाकाम रहे थे.
भारत को वर्ल्ड कप 2023 फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार झेलनी पड़ी. अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम की पिच उस दिन धीमी रही और यह दांव भारत के लिए भारी पड़ गया. उसके बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के आगे रन नहीं बना सके. नतीजा रहा कि लगातार 10 मैच खेलकर फाइनल में पहुंची टीम इंडिया के हाथों से तीसरी बार चैंपियन बनने का मौका फिसल गया. पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ का कहना है कि भारत को फाइनल में धीमी पिच ले डूबी. ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों को देखते हुए धीमी पिच देने का फैसला हुआ था और यह गलत साबित हुआ. अगर कोई कहता है कि पिच से छेड़छाड़ नहीं होती है तो बकवास है.
कैफ ने दी लल्लनटॉप से बातचीत में कहा कि वे फाइनल मुकाबले के लिए अहमदाबाद में थे. उन्होंने पिच का रंग बदलते हुए देखा. उन्होंने कहा,
मैं वहां पर फाइनल से पहले तीन दिन से था. (राहुल) द्रविड़ वहां पर शाम को आए. रोहित (शर्मा) शाम को आए, घूमे, पिच को देखा. आधा घंटा-घंटा भर रहे. दूसरे दिन आए वही सब हुआ. यह तीन दिन तक हुआ है. और मैंने पिच का रंग बदलते हुए देखा है. जैसे मैं नीला पहनकर आया हूं तो तीन दिन बाद पीला दिखेगा. ऐसा रंग बदलते देखा मैंने. पिच पर कोई पानी नहीं, कोई घास नहीं. उनका था कि धीमा पिच दो. यह सच बात है चाहे लोग नहीं माने. मैं वहां कमेंटेटर के तौर पर मौजूद था. इनके पास (पैट) कमिंस, (मिचेल) स्टार्क हैं, इनके पास तेज गेंदबाजी है तो इन्हें धीमा पिच दो. और वहां गलती हुई 100 फीसदी. चाहे लोग कितना ही बोले कि क्यूरेटर अपना काम करता है. बकवास है.
कैफ बोले- कमिंस ने पहले मैच से लिया सबक
कैफ ने कहा कि जब घर पर मैच होता है तो पिच मेजबान के हिसाब से बनाई जाती है. इसमें कुछ गलत नहीं है. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत के खिलाफ पहले मुकाबले से सबक सीखा. कैफ ने कहा,
जब आप वहां (पिच) टहल रहे होते हैं तो 100 फीसदी बात करते हैं. क्यूरेटर से कह देते हैं कि घास कम कर दो. पानी कम डालना. दो लाइन तो बोलनी है. यह होता है. सच बात है. और होना भी चाहिए. आप घर में मैच खेल रहे हो तो एडवांटेज लीजिए. लेकिन एडवांटेज के चक्कर में उन्हें धीमा पिच मिला. लेकिन कमिंस ने एक सबक सीखा. पहला मैच चेन्नई में था. वहां कमिंस ने टॉस जीता था और पहले बैटिंग ली थी. बाद में ओस गिरी और भारत आराम से मैच जीत गया था. कमिंस इससे सीखे कि धीमी पिच पर पहले बैटिंग नहीं करना है. फाइनल में लोग टॉस जीतकर पहले बॉलिंग नहीं करते हैं. हमने 2003 में किया था और वहां भी मैच हार गए थे. कमिंस ने लेकिन धीमी पिच देखी तो ओस और बाद में बैटिंग के हिसाब से बॉलिंग ली. हम फंस गए. अगर नॉर्मल पिच होती तो भारत मैच जीत जाता. वहां विकेट पर डॉक्टरी के चक्कर में हम फंस गए.
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