Yashasvi Jaiswal IND vs ENG Test: भारत की राजकोट टेस्ट में इंग्लैंड पर 434 रन की विशालकाय जीत में ओपनर बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल का अहम रोल रहा. उन्होंने लगातार दूसरे टेस्ट में दोहरा शतक उड़ाया और नाबाद 214 रन की पारी खेली. इस पारी के जरिए जायसवाल ने कई रिकॉर्ड बनाए और साबित किया कि क्यों उन्हें भविष्य के बड़े बल्लेबाजों में गिना जाता है. उन्होंने मैच खत्म होने के बाद बताया कि वे किस माइंडसेट से खेलते हैं और जब बैटिंग कर रहे होते हैं तब उनके दिमाग में क्या रहता है. जायसवाल ने कहा कि वे हमेशा बड़ी पारी खेलने की कोशिश करते हैं. जब आप अच्छा खेलते हैं तब आपको बड़े रन बनाने चाहिए.
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यशस्वी जायसवाल ने कहा कि टीम इंडिया में सीनियर्स का साफ कहना है कि बड़ी पारियां खेलीं. उन्होंने कहा, 'मैं खुद से कहता हूं कि जब सैट हो जाऊं तब मुझे अच्छे से स्कोर करना क्योंकि आप किसी भी समय आउट हो सकते हैं. मेरे सीनियर्स ने कहा है कि अपने मौकों का फायदा उठाओ. जिस तरह से रोहित भाई और जड्डू भाई खेले उससे मुझे काफी मोटिवेशन मिला. उनके जुनून से मुझे सेशन दर सेशन खेलने की प्रेरणा मिली. जब मैं डग आउट में था तब मैंने सोचा कि मैं खेलने जाऊंगा तो पूरा फायदा लूंगा. टेस्ट क्रिकेट मुश्किल है लेकिन मैंने सोचा कि जब मैं पिच पर रहूंगा तो अपना 100 फीसदी दूंगा.'
जायसवाल ने की छक्कों के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी
जायसवाल की पारी में 14 चौके और 12 छक्के शामिल रहे. उन्होंने इसके जरिए टेस्ट मैच की एक पारी में सर्वाधिक छक्के लगाने के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी की. पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वसीम अकरम ने भी एक पारी में 12 छक्के लगा रखे हैं. जायसवाल ने राजकोट टेस्ट में जेम्स एंडरसन को खासा निशाने पर लिया. उन्होंने चौथे दिन इस सीनियर गेंदबाज को लगातार तीन छक्के लगाए.
जायसवाल ने बताया शुरू में क्यों की धीमी बैटिंग
जायसवाल ने दूसरी पारी में शुरुआत धीमे अंदाज में की थी लेकिन इसके बाद गति पकड़ ली थी. इस बारे में उन्होंने कहा, 'मुझे लगा कि विकेट में गेंदबाजों के लिए मदद है और गेंद भी सख्त है. मेरे लिए जरूरी था कि टीम को अच्छी
शुरुआत दूं और इसके लिए लंबा खेलना जरूरी था. मेरे लिए शुरुआत में रन जुटाना काफी मुश्किल था. इसलिए वह सेशन खेलना था और सेट होना था. तब मुझे लगा कि मैं रन बना सकता हूं. कुछ समय बाद मेरी पीठ में दिक्कत थी. मैं बाहर नहीं जाना चाहता था लेकिन दर्द ज्यादा था तो जाना पड़ा. आज जब मैं आया तो यह सोचकर आया कि खेल को आगे ले जाना है और आखिर तक खेलना है.'
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