ऑस्ट्रेलिया में 16 अक्टूबर से शुरू होने वाले आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप (ICC T20I World Cup) के लिए भाग लेने वाली सभी 16 टीमें इन दिनों कमर कस तैयारी में जुटी हुईं हैं. जिसमें से एक श्रीलंका की टीम भी इस टूर्नामेंट में भाग ले रही है. साल 2007 से शुरू हुए इस टी20 वर्ल्ड कप में श्रीलंका साल 2014 के बाद एक बार फिर से चैंपियन बनना चाहेगी. हाल ही में संपन्न हुए एशिया कप का ताज जीतने के बाद श्रीलंका के खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ नजर आ रहा है. ऐसे में श्रीलंका के क्रिकेट पर नजर डालें तो तमाम मुसीबतों, गृह युद्ध और गुलामी की जंजीरों को तोड़ते हुए अंग्रेजों के दिए हुए खेल से दुनिया पर बादशाहत कायम कर डाली. इस बात से पूरे क्रिकेट जगत में खलबली मची जब 20वीं सदी के अंत में साल 1996 में ये आजाद देश वर्ल्ड चैंपियन बना. चलिए जानते हैं श्रीलंका के क्रिकेट इतिहास पर एक नजर :-
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श्रीलंका की आजादी
श्रीलंका की बात करें तो ये देश हिन्द महासागर से चारों ओर से घिरा हुए एक द्वीप पर बसा है। इसके उत्तर में भारत है जबकि इसके अलावा इसके आसपास कोई भी देश नहीं है। श्रीलंका पर 16वीं सदी में पुर्तगालियों ने तो इसके बाद नीदरलैंड्स के डच और अंत में अंग्रेजों ने अपनी हुकूमत स्थापित की. हालांकि ब्रिटिश कॉलोनी होने के चलते श्रीलंका को क्रिकेट जैसा खेल भी गुलामी की विरासत में मिला और फिर उन्होंने इस खेल को कभी नहीं छोड़ा. साल 1948 में अंग्रेजों ने सीलोन (श्रीलंका का पूर्व नाम) को पूरी तरह से 1972 में छोड़ दिया और सिलोन का नाम बदलकर श्रीलंका देश की स्थापना हुई.
श्रीलंका में क्रिकेट
श्रीलंका में क्रिकेट की नींव ऐसा माना जाता है कि 1796 में जब अंग्रेजों ने इस देश में कदम रखा तभी से यहां की सरजमीं पर क्रिकेट जैसा खेल खेला जाने लगा था. श्रीलंका के लोगों ने भी इस खेल को सराहा और क्रिकेट का सबसे पहला निश्चित उल्लेख 5 सितंबर 1832 को कोलंबो जर्नल में एक रिपोर्ट था जिसमें क्रिकेट क्लब के गठन का संकेत दिया गया था। इस तरह 1832 में कोलंबो क्रिकेट क्लब के गठन के बाद प्रमुख रूप से प्रीमियर ट्रॉफी (1938 से शुरू) और प्रीमियर लिमिटेड ओवर टूर्नामेंट (1988-89 से शुरू) जैसे प्रमुख आयोजनों के साथ आगे बढ़ा है। हालांकि 1972 में आजादी मिलने के बाद श्रीलंका ने वनडे क्रिकेट में 1975 वनडे वर्ल्ड कप से कदम रखा और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
21 साल में बना बादशाह
साल 1975 में वनडे क्रिकेट डेब्यू के बाद श्रीलंकाई टीम को साल 1981 में आईसीसी की तरफ से टेस्ट क्रिकेट नेशन का दर्जा प्राप्त हो गया. इसके बाद श्रीलंका में क्रिकेट का खुमार बढ़ता गया और उनके पास एक से बढ़कर एक खिलाड़ी टीम में आने लगे. जिसका नतीजा ये रहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट शुरू किए हुए 11 साल में ही श्रीलंका पूरी दुनिया में गुलामी की जंजीर को तोड़ क्रिकेट खेल का बादशाह बनकर सामने आया. साल 1996 के फाइनल मैच में श्रीलंका की तरफ से अरविंद डी सिल्वा ने नाबाद 107 रन तो अर्जुन रणतुंगा 47 रन बनाकर नाबाद रहे. जिससे उसने ऑस्ट्रेलिया के 242 रनों के लक्ष्य को तीन विकेट खोकर हासिल किया और 7 विकेट से फाइनल जीत कर पाकिस्तान के लाहौर में विश्व पटल पर पहली बार अपना झंडा लहराया.
गृह युद्ध में भी पनपा क्रिकेट
श्रीलंका को 1972 में आजादी मिली तो इसके कुछ साल बाद ही 23 जुलाई 1983 से इस देश को एक और बड़े संकट यानि कि गृह युद्ध का सामना करना पड़ा. यहां पर रहने वाली दो कम्युनिटी सिंहली और तमिल (लिट्टे) के बीच भीषण युद्ध हुआ. मुख्यतः यह श्रीलंकाई सरकार और अलगाववादी गुट लिट्टे के बीच 25 साल तक ये देश गृह युद्ध के चपेट में रहा. 2009 में इसके खत्म होने से पहले देश में लगभग 80 हजार लोगों की जान इस युद्ध के कारण गई. इस तरह जहां एक तरफ गृह युद्ध से देश में मातम की लहर थी. वहीं श्रीलंका क्रिकेट ने अपने दबदबे से मुल्क के लोगों में 1996 वर्ल्ड कप जीतकर ख़ुशी की लहर दौड़ा दी थी.
श्रीलंका का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रदर्शन
श्रीलंका ने 1996 में क्रिकेट विश्व कप, 2002 में भारत के साथ सह विजेता आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी, 2014 में आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप 20 जीता। वे 1986, 1997, 2004, 2008, 2014 और 2022 में एशिया कप के 6 बार चैंपियन भी रहे हैं और 2007 क्रिकेट विश्व कप, 2011 क्रिकेट विश्व कप, 2009 आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप और 2012 आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप में उपविजेता रहे हैं. वहीं श्रीलंका की टीम साल 1982 से लेकर अभी तक कुल 307 टेस्ट मैच खेल चुकी है. जिसमें उसके नाम 98 जीत दर्ज है जबकि वनडे की बात करें तो ये देश अभी तक 875 वनडे मैचों में 398 मैच जीत चुका है. जबकि टी20 क्रिकेट की बात करें तो साल 2006 से लेकर अभी तक 165 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं. इसमें उसके नाम 74 जीत तो 86 हार दर्ज है.