Exclusive | वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप फाइनल में नीरज चोपड़ा हो गए थे चोटिल, खुद बताई गोल्ड हाथ से फिसलने की वजह

वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप (World Athletics Championship) में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra)  ने जैसे ही 88.

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वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप (World Athletics Championship) में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra)  ने जैसे ही 88.13 मीटर की दुरी पर भाला फेंका  (Javelin Throw) तो भारत ख़ुशी से झूम उठा. हालांकि टोक्यो ओलिंपिक के गोल्ड मेडललिस्ट नीरज इस बार गोल्ड नहीं बल्कि सिल्वर मेडल ही जीत सके और उन्हें ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने 90.54 मीटर की दूरी पर भाला फेंक कर दूसरे स्थान पर ही रहने को मजबूर कर दिया. मगर एक समय चौथे थ्रो के बाद नीरज को मैदान कराहते देखा गया और वह अगले दो थ्रो में इतनी ताकत नहीं झोक सके. जिसके चलते उन्हें सिल्वर से ही संतोष करना पड़ा. इस पर नीरज ने आज तक को दिए ख़ास इंटरव्यू में कहा कि मेरी तैयारी पूरी है बस उस दिन का इंतजार है जिस दिन मैं 90 मीटर के आंकड़े को पार करूंगा. चौथे थ्रो के बाद मुझे हल्की इंजरी हो गई शायद इसलिए गोल्ड मेडल से दूर रह गए.

 

चौथे थ्रो के बाद हुई थी इंजरी 
ओलिंपिक और उसके बाद वर्ल्ड चैंपियनशिप में इतिहास रहने के बाद नीरज ने बातचीत में कहा, "हर दिन की कंडीशन अलग होती है और आज थोड़ा हवा ज्यादा थी. क्वालिफिकेशन में थोड़ा रिलैक्स फील होता है. लेकिन शुरुआत के कुछ थ्रो से पहले मुझे खुद में इतना वार्मअप  नहीं लग रहा था. लेकिन धीरे-धीरे मैंने थ्रो करना जारी रखा और कंपटीशन में बना रहा. चौथे थ्रो में पूरी ताकत लगाई और उसके बाद मेरी ग्रोईन में थोड़ा परेशानी हुई. जिसके चलते मैं अंतिम के दो थ्रो सही से नहीं लगा सका. इस बार हवा का सबसे बड़ा चैंलेज रहा. सभी लोगों की दिक्कत आ रही थी लेकिन पीटर्स ने काफी अच्छे से चुनौतियों को पार किया शानदार थ्रो लगाए."

 

इसी माह के अंत में 28 जुलाई से इंग्लैंड के बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू हो रहे हैं. जिसके लिए अपनी चोट पर बात करते हुए नीरज ने आगे कहा, "उम्मीद करता हूं चोट ज्यादा बड़ी न हो क्योंकि अभी तो नहीं इसका पता अगले दिन ही लगेगा. फिजियो और डॉक्टर से बातचीत करेंगे और देखेंगे कि आगे कैसा रहता है. मैं तो यही चाहता हूं कि फिट रहूं और कॉमनवेल्थ गेम्स में अच्छा प्रदर्शन करूं."

 

90 मीटर के लिए पूरी तैयारी 
2020 टोक्यो ओलिंपिक से अब तक अपनी तकनीक और स्टाइल में किए बदलाव के बारे में नीरज ने कहा, "देखिए ओलिंपिक के बाद हमने देरी से प्रैक्टिस अभियान शुरू किया तो काफी कम समय मिला. इसके अलावा थ्रोईंग पर हमने काफी ज्यादा काम किया. इसलिए हर कंपटीशन में प्रदर्शन में निरंतरता बनी हुई है. जिसके चलते ज्यादा ख़ुशी है और 90 मीटर का आंकड़ा हमेशा लगता है कि पार कर जाऊंगा लेकिन मुझे बस उस दिन का इंतजार है. अब देखते हैं कि वो दिन कब आता है. मैं इसके काफी करीब हूं."

 

फाउल से नीरज ने की थी शुरुआत 
वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल राउंड की बात करें तो नीरज चोपड़ा की शुरुआत सही नहीं रही थी. पहले प्रयास में नीरज फाउल कर बैठे थे. जबकि ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने पहले ही थ्रो में 90.21 मीटर की दूरी तय करके दिखा दिया कि अब गोल्ड मेडल जीतने के लिए बाकी सभी को 90 मीटर का मार्क पार करना होगा. नीरज ने दूसरे प्रयास में 82.39 मीटर तो तीसरे प्रयास में 86.37 मीटर दूर भाला फेंका. इस तरह पहले तीन प्रयास में नीरज चौथे स्थान पर चल रहे थे जबकि चेक रिपब्लिक के याकूब वैडलेक ने अपने तीसरे प्रयास में 88.09 मीटर की दूरी से दूसरे स्थान पर कब्जा जमा रखा था. इसके बाद अंतिम राउंड और कुल अपने चौथे प्रयास में नीरज ने 88.13 मीटर दूर भाला फेंक कर सिल्वर मेडल के लिए दावा पेश कर दिया. इसके बाद बाकी कोई भी एथलीट नीरज से सिल्वर मेडल नहीं छीन सका. वहीं ग्रेनाडा के पीटर्स ने पहले थ्रो के बाद अंतिम थ्रो सबसे अधिक 90.54 मीटर दूर फेंक कर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया. जबकि अंतिम दो थ्रो में नीरज गोल्ड मेडल के लिए दूरी तय नहीं कर सके.

 

 

 


 

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