क्या है DEXA टेस्ट जिसे BCCI ने हर खिलाड़ी के लिए बनाया जरूरी, फेल हुए तो होगी टीम से छुट्टी

टीम इंडिया (Team India) के लिए मुंबई में रखी गई रिव्यू मीटिंग खत्म हो चुकी है.

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टीम इंडिया (Team India) के लिए मुंबई में रखी गई रिव्यू मीटिंग खत्म हो चुकी है. बीसीसीआई (BCCI) ने इस मीटिंग में भारतीय क्रिकेट को लेकर कई अहम फैसले किए. लेकिन इस मीटिंग में कुछ ऐसा भी हुआ जो अब फैंस के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. हम यहां DEXA टेस्ट की बात कर रहे हैं. अब तक टीम इंडिया के चयन के लिए यो यो टेस्ट बेहद जरूरी हुआ करता था लेकिन अब इसमें डेक्सा का भी नाम जुड़ गया है. डेक्सा यानी की डुअल एनर्जी एक्स रे एब्सॉर्पशियोमेटरी टेस्ट अब उन चोटिल खिलाड़ियों के लिए जरूरी होगा जो रिकवरी के बाद टीम इंडिया में वापसी करेंगे.

 

क्या होता है डेक्सा टेस्ट?
डेक्सा टेस्ट एक ऐसा टेस्ट होता है जिसमें किसी व्यक्ति के हड्डियों की जांच होती है. इस टेस्ट के जरिए ये पता लगाया जा सकता है कि, खिलाड़ी की हड्डियां कितनी मजबूत हैं और क्या वो कोई हड्डी की बीमारी से तो नहीं जूझ रहा. इसके अलावा इस टेस्ट से ये भी बताया जा सकेगा कि खिलाड़ी की हड्डियों में किस खनिज और कितने कैल्शियम की कमी है.  डेक्‍सा स्‍कैन का नतीजा यह बता सकता है कि हड्डी में फ्रेक्‍चर आने की संभावना कितनी है. इससे शरीर की संरचना को समझने में भी मदद मिलती है. शरीर के अंदर फैट और मांसपेशियों के बारे में इससे अहम जानकारी मिल जाती है. जिस तरह से एक्स रे और एमआरआई होता है उसी प्रकार इस टेस्ट को भी किया जाता है.

 

खिलाड़ियों को मिलेगी मदद?

बता दें कि ये टेस्ट टीम इंडिया के खिलाड़ियों के लिए इसलिए जरूरी होगा क्योंकि कई बार जब एक खिलाड़ी चोट से वापसी करता है तो उसका शरीर पहले जैसा काम नहीं करता है. वहीं कई बार हड्डियां भी पहले की तरह मजबूत नहीं रहती. ऐसे में अगर किसी खिलाड़ी में कमी दिखेगी तो उसे टीम में नहीं लिया जाएगा जब तक वो पूरी तरह रिकवर नहीं हो जाता. हाल ही में हमने ये देखा है कि, टीम के खिलाड़ी चोटिल होकर मैदान से बाहर जाते हैं. रिकवरी करते हैं और फिर वापसी के बाद कुछ मैचों के भीतर ही दोबारा चोटिल हो जाते हैं. ऐसे में खिलाड़ियों का चोटिल होना अब दिन ब दिन टीम इंडिया का सिरदर्द और बढ़ाता जा रहा है.

 

बता दें कि बोर्ड यहां वर्कलोड मैनेजमेंट पर काफी ज्यादा ध्यान दे रहा है. जिस तरह से स्पोर्ट्स साइंस में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. उससे क्रिकेट को भी नई नई टेक्नोलॉजी मिल रही है. इससे अंत में खिलाड़ियों को ही फायदा पहुंच रहा है. क्योंकि अब तक हम कई बार देख चुके हैं कि चोट के चलते टीम के अहम खिलाड़ियों ने कई बड़े टूर्नामेंट मिस किए हैं.

यो- यो टेस्ट और डेक्सा टेस्ट की पूरी जिम्मेदारी यहां नेशनल क्रिकेट अकादमी बैंगलोर पर होगी. क्योंकि अंत में एनसीए ही फैसला लेगा कि किस खिलाड़ी को आगे भेजना है और किसे अभी और रिकवरी की जरूरत है.

 

बैठक में ये तीन नए प्रस्ताव पेश किए गए
1. इमर्जिंग खिलाड़ियों को अब घरेलू सीरीज में लगातार खेलना होगा, ताकि वो नेशनल टीम के सेलेक्शन के लिए तैयार हो सकें

2. यो-यो टेस्ट और डेक्सा सेलेक्शन प्रोसेसे का हिस्सा बनेगा, सीनियर टीम के पूल में जो खिलाड़ी हैं उनपर इसे लागू किया जाएगा.

3. वनडे वर्ल्ड कप 2023 और बाकी सीरीज को देखते हुए एनसीए अभी आईपीएल फ्रेंचाइजी से बात करेगा और खिलाड़ियों के वर्कलोड मैनेजमेंट पर चर्चा करेगा.

 

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