पाकिस्तानी खिलाड़ी की इटली के पास नाव डूबने से मौत, बेटे के इलाज के लिए छोड़ा था मुल्क

पाकिस्तान की महिला हॉकी खिलाड़ी शाहिदा रज़ा (Shahida Raza) की रविवार (26 फरवरी) को इटली के पास नाव पलटने से हुए हादसे में मौत हो गई.

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पाकिस्तान की महिला हॉकी खिलाड़ी शाहिदा रज़ा (Shahida Raza) की रविवार (26 फरवरी) को इटली के पास नाव पलटने से हुए हादसे में मौत हो गई. वह तीन साल के बेटे के इलाज के लिए इटली पहुंचने की कोशिश कर रही थी. जिस नाव में वह सवार थी वह पलट गई और इस हादसे में 60 लोग मारे गए. यह नाव तुर्की से रवाना हुई थी. इनमें शाहिदा रज़ा भी शामिल थी. वह पाकिस्तानी हॉकी टीम की सदस्य रही है. साथ ही घरेलू स्तर पर उन्होंने फुटबॉल भी खेला. शाहिदा की बहन सादिया ने बीबीसी से बातचीत में मौत की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि जहाज से उसका कॉल आया था और वह इटली पहुंचने वाली थी. लेकिन कॉल कट गया और दोबारा संपर्क नहीं हो पाया.

 

27 साल की शाहिदा वह बलूचिस्तान सूबे में रहती थी और हजारा समुदाय से ताल्लुक रखती थी. पाकिस्तान में हजारा समुदाय के साथ बुरा बर्ताव होता है. लेकिन शाहिदा का पाकिस्तान छोड़ने का फैसला इस वजह से नहीं था. वह तीन साल के बेटे के इलाज के लिए इटली जाने की कोशिश में थी. उनका बेटा जब 40 दिन का था तब बुखार की वजह से स्ट्रोक आया और दिमाग के एक हिस्से को नुकसान पहुंचा. इससे शरीर का एक हिस्सा पूरी तरह लकवाग्रस्त हो गया. कराची में गई अस्पतालों में बेटे को दिखाया गया लेकिन उनके पास इसका उपचार नहीं था. उन्होंने विदेश ले जाने और वहां इलाज कराने की सलाह दी.

 

 

पति ने दे दिया था तलाक

 

परिवार का कहना है कि बेटे के साथ हुए हादसे के बाद शाहिदा के पति ने तलाक ले लिया था. ऐसे में बच्चे के देखभाल की जिम्मेदारी पूरी तरह शाहिदा पर आ गई. शाहिदा ने देश के लिए हॉकी और फुटबॉल खेला लेकिन पैसे काफी कम मिलते थे. मां बनने के बाद वह खेल से दूर हो गई थी. इससे जो पैसे मिलते थे वे भी बंद हो गए और आर्थिक हालात काफी खराब हो गए.

 

 

4 महीने पहले छोड़ा था घर

 

ऐसे में शाहिदा ने यूरोप में रिफ्यूजी के रूप में शरण लेकर बेटे का इलाज कराने का फैसला किया. वह तुर्की तक कानूनी तरीके से गईं. चार महीने पहले वह ईरान से लगती बॉर्डर से देश से बाहर गई. ईरान से होते हुए वह तुर्की पहुंची. यहां से वह अवैध रूप से यूरोप में दाखिल होने वाली नाव में सवार हुई. इस नाव में अफगानिस्तान, सोमालिया, सीरिया, पाकिस्तान, इराक और ईरान के लोग सवार थे. नाव में 200 लोगे थे और यह लकड़ी की बनी हुई थी.

 

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