स्वप्निल कुसाले ने मेंस 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में भारत की झोली में ब्रॉन्ज मेडल डाल दिया है. वो इस इवेंट में ओलिंपिक मेडल जीतने वाले पहले भारतीय निशोनबाज बन गए हैं. स्वप्निल ने मनु भाकर और सरबजोत सिंह के बाद इस ओलिंपिक में भारत को तीसरा मेडल दिलाया. कुसाले के ऐतिहासिक मेडल जीतने के बाद पेरिस ओलिंपिक 2024 के लिए भारत के चीफ डि मिशन और ओलिंपिक मेडलिस्ट निशानेबाज गगन नारंग लाइव टीवी पर फूट फूटकर रो पड़े.
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अपने पूर्व टीममेट जॉयदीप कर्माकर के साथ शो में बातचीत के दौरान नारंग अपनी आंसूओं पर कंट्रोल नहीं रख पाए. स्वप्निल का ब्रॉन्ज मेडल एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. दरअसल उन्होंने जिस इवेंट में कमाल किया, उसे भारतीय शूटिंग में कभी उतनी अहमियत नहीं मिली. राइफल थ्री पोजीशन इवेंट को शूटिंग में सबसे मुश्किल इवेंट में से एक माना जाता है, जहां निशानेबाजों को नीलिंग, प्रोन और स्टैंडिंग तीन अलग पोजीशन में अपनी लय बनाए रखनी होती है.
टीम तक नहीं भेजती थी अथॉरिटी
लंदन ओलिंपिक 2012 में 50 मीटर राइफल प्रोन इवेंट में चौथे नंबर पर रहने वाले कर्माकर ने खुलासा किया कि वह टूर्नामेंट में भाग नहीं ले पाए, क्योंकि अथॉरिटी ‘कम महत्वपूर्ण’ इवेंट में टीम नहीं भेजना चाहती थी. जियो सिनेमा पर नारंग से बातचीत में कर्माकर ने कहा-
मैंने 1998 में वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया था, लेकिन मुझे बताया गया कि ये इवेंट अहम नहीं है, इसलिए हम टीम नहीं भेजेंगे. स्वप्निल ने उस शीशे को तोड़ दिया, जिसके पार इस इवेंट को नहीं देखा जाता था. क्या आपको लगता है कि चीजें सुधरेंगी और अब इस इवेंट को पहचान मिलेगी?
कर्माकर के इस सवाल का जवाब देते हुए 10 मीटर राइफल में लंदन ओलिंपिक के मेडलिस्ट नारंग रो पड़े और लाइव टीवी पर अपने इमोशन को कंट्रोल करते हुए कहा-
हां जॉयदीप, आपको याद होगा कि हमारे समय में हमें किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. बुलेट्स और अन्य सुविधाओं की कमी थी, लेकिन आखिरकार स्वप्निल ने ये कर दिखाया.उन पर गर्व हैं.
नारंग का कहना है कि स्वप्निल का ब्रॉन्ज गोल्ड से भी बड़ा है और भारतीय शूटिंग इतिहास का यादगार पल है.
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