स्टार भारतीय खिलाड़ी सुमित अंतिल ने अगस्त में पेरिस में होने वाले पैरालिंपिक से पहले बड़ा कमाल कर दिया है. अंतिल मंगलवार को एफ64 जेवलिन में अपना वर्ल्ड टाइटल डिफेंड करने में सफल रहे, जबकि थंगावेलु मरियप्पन और एकता भयान ने भी ऊंची कूद और क्लब थ्रो में गोल्ड मेडल जीते. जिससे भारत विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीसरे स्थान पर पहुंच गया. पांचवें दिन पांच पदक जीतने वाले भारत के कुल 10 पदक हो गए हैं, जिसमें चार गोल्ड, चार सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं. भारत अभी चीन (15 स्वर्ण, 13 रजत और 13 कांस्य) और ब्राजील (14 स्वर्ण, छह रजत और पांच कांस्य) के बाद तीसरे स्थान पर चल रहा है. टोक्यो पैरालिंपिक और 2023 विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले सुमित ने भाले को 69.50 मीटर की दूरी तक फेंककर खिताब अपने नाम किया.
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हरियाणा के 25 साल के सुमित ने इस तरह एफ64 भाला फेंक स्पर्धा में अपना वैश्विक वर्चस्व जारी रखा. ओलिंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा के दोस्त सुमित ने पिछले साल चीन के हांगझोउ में पैरा एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान 73.29 मीटर की दूरी तक भाला फेंककर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया था. विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप का 70.83 मीटर का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम है जो उन्होंने 2023 में पेरिस में पिछले सत्र में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान बनाया था. सुमित के हमवतन संदीप ने इसी स्पर्धा में 60.41 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता जबकि श्रीलंका के दुलान कोडिथुवाकु ने 66.49 मीटर के प्रयास से रजत पदक जीता.
एक्सीडेंट ने बदल दी जिंदगी
सुमित ने नौ खिलाड़ियों के बीच पूरे मुकाबले के दौरान बढ़त बनाए रखी. उन्होंने 68.17 मीटर के प्रयास के साथ शुरुआत की और फिर अपने दूसरे प्रयास में 69.50 मीटर का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. उन्होंने अगले चार प्रयास में भाले को क्रमश: 64.04 मीटर, 65.58 मीटर, 69.03 मीटर और 68.08 मीटर की दूरी तक फेंका. कभी कुश्ती में अपना करियर बनाने वाले सुमित का 2015 में 17 साल की उम्र में एक्सीडेंट हो गया. ट्यूशन से घर लौटते समय उनकी मोटरसाइकिल को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी. जिस वजह से उनका बायां पैर काटना पड़ा और उन्हें पहलवान बनने का सपना छोड़ना पड़ा.
टोक्यो पैरालिंपिक के सिल्वर मेडलिस्ट विजेता मरियप्पन ने इसके बाद 1.88 मीटर के चैंपियनशिप रिकॉर्ड के साथ टी63 ऊंची कूद में स्वर्ण पदक हासिल किया. ये किसी बड़ी प्रतियोगिता में आठ साल में उनका पहला स्वर्ण पदक है. पांच साल की उम्र में मरियप्पन को अपने दाहिने पैर में स्थायी दिव्यांगता का सामना करना पड़ा. स्कूल जाते समय शराब के नशे में एक बस चालक ने उनका पैर कुचल दिया था.
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