पिता ने नौकरी से ली छुट्टी, 6 लाख का लिया कर्ज, बेटी नीतू घंघास ने लगाया गोल्डन 'पंच', जानें कैसा है गांव से गोल्ड मेडल तक का सफर

भारत में खेली जाने वाली वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप (Women's World Boxing Championship) में भारत की नीतू घंघास ने अपने करियर का पहल गोल्ड मेंडल हासिल कर डाला.

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भारत में खेली जाने वाली वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप (Women's World Boxing Championship) में भारत की नीतू घंघास ने अपने करियर का पहल गोल्ड मेंडल हासिल कर डाला. नीतू ने 48 किलो कैटेगरी में मंगोलिया की लुतसाइखान अल्टानसेटसेग को 5-0 से मात दी और वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली वह भारत की 6वीं महिला मुक्केबाज बनी. नीतू की आदर्श भारत की मैरीकॉम हैं, जो 6 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल हासिल कर चुकी हैं. इस तरह नीतू ने जीत के बाद स्पोर्ट्स तक से बातचीत में अपने पदक को जहां देश को समर्पित किया. वहीं उन्होंने पिता के द्वारा किए गए संघर्षों को भी याद किया.

 

पिता ने नौकरी से ली छुट्टी 


नीतू के बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने की राह आसान नहीं रही है. इसके लिए 19 अक्टूबर 2000 को हरियाणा के भिवानी जिले के धनाना गांव में पैदा हुई नीतू के परिवार ने उनका काफी साथ निभाया है. जिसमें नीतू के पिता ने जय भगवान ने अपनी बेटी को बॉक्सर बनाने के लिए चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य सभा से लीव विदआउट पे पर छुट्टी ले ली थी. यानि उन्हें छुट्टियों का पैसा मिलना बंद हो गया था.

 

बस का किराया देने के नहीं होते थे पैसे 


नीतू को आर्थिक संघर्षों का भी सामना करना पड़ा. जिसको याद करते हुए नीतू ने गोल्ड मेडल जीतने के बाद स्पोर्ट्स तक से बातचीत में कहा, "मेरे जीवन में आर्थिक समस्याएं भी काफी रहीं है. कई बार तो ऐसा होता था कि गांव से भिवानी जाने तक का बस से ट्रेवल करने का पैसा नहीं होता था. हालांकि इन मुश्किलों ने ही मुझे इतना मजबूत बना दिया कि मैंने इस मुकाम को हासिल कर सकी हूं."

 

पिता ने लिया लोन 


नीतू की ट्रेनिंग के लिए उनके पिता ने ना सिर्फ नौकरी से छुट्टी ली बल्कि अपनी जमीन के एक छोटे से हिस्से पर खेती शुरू की और लागत की देखभाल के लिए लगभग छह लाख रुपये का लोन भी लिया. जिससे नीतू के खान-पान और उसकी ट्रेनिंग पर भी वह पैसा खर्च कर सके. यही कारण है कि नीतू ने मेडल जीतने के बाद कहा, "मेडल जीतने तक काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. मेरे पिता ने मुझे काफी सपोर्ट किया और अपनी नौकरी छोड़कर मुझे इस खेल के प्रति समर्थन दिया. गोल्ड मेडल जीतने के सफर तक मैं अपन पिता और पूरे परिवार का सबसे पहले शुक्रिया अदा करना चाहती हूं कि उन्होंने मुझे इस काबिल बनाया."

 

बता दें कि नीतू स्ट्रैंड्जा मेमोरियल बॉक्सिंग टूर्नामेंट 2022 में गोल्ड मेडल, वीमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2022 में क्वार्टरफाइनल और कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में गोल्ड भी अपने नाम कर चुकी हैं. 

 

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