2 टेस्ट 6 दिन में हारे, कप्तान को जाना पड़ा घर, 3 खिलाड़ी सीरीज से बाहर फिर ऑस्ट्रेलिया ने भारत को कैसे धूल चटाई

ऑस्ट्रेलिया ने इंदौर टेस्ट सवा दो दिन में जीत लिया.

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ऑस्ट्रेलिया (Australia Cricket Team) ने इंदौर टेस्ट (Indore Test) सवा दो दिन में जीत लिया. भारत से मिले 76 रन के लक्ष्य को महज एक विकेट गंवाकर हासिल किया. स्पिनर्स के लिए स्वर्ग जैसी पिच पर मेहमान टीम ने तीसरे दिन के पहले ही सेशन में बाजी मार ली. पहले दो टेस्ट तीन-तीन दिन में गंवा देने वाली टीम इस तरह से पलटवार करेगी इसकी उम्मीद कम ही थी. वह भी ऐसे हालात में जब ऑस्ट्रेलियन टीम नियमित कप्तान पैट कमिंस के बिना खेल रही थी. कमिंस को मां की बीमारी के चलते दिल्ली टेस्ट के बाद घर जाना पड़ा. वे तीसरे टेस्ट के लिए भी नहीं आ सके. स्टीव स्मिथ को कप्तानी संभालनी पड़ी.

 

कमिंस ही नहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम डेविड वॉर्नर, जॉश हेजलवुड के बिना भी खेल रही थी. ये दोनों चोटिल होने की वजह से सीरीज से बाहर हो गए. बाएं हाथ के फिरकी गेंदबाज एश्टन एगर बिना एक भी टेस्ट खेले घर लौट गए. दिल्ली टेस्ट के बाद कंगारू टीम की हालत पतली थी और लगभग तय मान लिया गया था कि इंदौर में इंडिया की जय-जय होगी.लेकिन बाजी पलट गई! शिकारी अपने ही जाल में फंसकर शिकार बन गया. यह सब हुआ कैसे?

 

तीन बड़े खिलाड़ी सीरीज छोड़ गए घर

 

दिल्ली टेस्ट हारने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम को एक के बाद एक झटके लग रहे थे. एक-एक कर बड़े और जरूरी खिलाड़ी घर लौट रहे थे. सुबह खबर आती थी, 'आज पैट कमिंस लौट गए', 'हेजलवुड बाहर हो गए', 'वॉर्नर सीरीज से बाहर', 'एगर घरेलू क्रिकेट खेलेंगे और भारत दौरे से रवानगी हुई', 'मैट रेनशॉ भी बाहर हो सकते हैं',  बाहर से देखने पर साफ लग रहा था कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी सीरीज ही नहीं मन से भी हार चुके हैं. लेकिन उसके खिलाड़ियों ने दिल्ली में डेरा डाले रखा और लगातार प्रैक्टिस जारी रखी. हार और बड़े खिलाड़ियों का बाहर होना टीम को एकजुट कर गया. ठीक वैसे ही जैसे 2020-21 के दौरे पर टीम इंडिया एकजुट हुई थी. जिसने एडिलेड फजीहत के बाद गाबा का घमंड तोड़ने का काम किया. वैसा ही असर ऑस्ट्रेलियन टीम में हुआ और नतीजा इंदौर में साफ दिखा.

 

भारत ने नहीं सुधारी अपनी गलतियां

 

पहले दो टेस्ट जीतने के बाद टीम इंडिया काफी निश्चिंत थी. ऐसा नहीं था कि उसके खेल में कोई खामी नहीं थी. उसकी बैटिंग भी घुटने टेक रही थी. टॉप ऑर्डर में रोहित शर्मा के अलावा बाकी सब नाकाम रहे थे. लॉअर ऑर्डर में रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल और आर अश्विन ही बैटिंग से टीम की नैया बचा रहे थे. इंदौर में भी वही हुआ जो पहले दो टेस्ट में हुआ. भारत के लिए ज्यादा बुरा यह हो गया कि इंदौर में उसका निचले क्रम का टॉप ऑर्डर नहीं चला. नतीजा रहा कि दोनों पारियों में मेजबान टीम से एक बार भी 200 रन तक नहीं बने. वह भी तब जब टॉस का सिक्का उसके पाले में गिरा और उसे पहले बैटिंग चुनी थी. इससे इतर ऑस्ट्रेलिया लड़ा और उसने 200 के करीब पहली पारी में टांग दिए. आखिरकार वही हो गया जिसका डर पहले दो टेस्ट में दिखा था.

 

बैकफुट पर गए और टेस्ट में पीछे हो गए

 

भारत से इतर ऑस्ट्रेलिया ने टेम्परेरी कप्तान स्टीव स्मिथ की कप्तानी में पूरा दम झोंक दिया. टीम इंडिया की घिसी-पिटी बैटिंग ने उनकी पूरी मदद की. स्मिथ ने कप्तानी में सक्रियता बरती और जबरदस्त बॉलिंग चेंज के साथ ही फील्ड रिप्लेसमेंट के जरिए भारत को वापसी का कोई मौका नहीं दिया. उनके नेतृत्व में स्पिन तिकड़ी ने इंदौर की पिच पर ऐसा जाल बिछाया जिसे काटना भारतीय बल्लेबाजों के लिए मुश्किल हो गया. पहले दो टेस्ट में भारतीय बल्लेबाज बैकफुट पर जाकर ऑस्ट्रेलियन स्पिन को काट रहे थे लेकिन इंदौर की पिच पर यह दांव कारगर नहीं रहा. भारत के लगभग सभी बड़े बल्लेबाज कम से कम एक बार बैकफुट पर जरूर आउट हुए. इंदौर टेस्ट में नौ विकेट बैकफुट पर स्पिन को खेलते हुए गिरे और इनमें से सात भारत के थे. इंदौर की पिच पर नीची रहती गेंदों पर भारत ने बार-बार बैकफुट पर खेलने की गलती उसी तरह से की जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया ने दिल्ली में स्वीप शॉप पर अंधा भरोसा कर की थी.

 

रही कसी कसर किस्मत पर डाली जा सकती है. रवींद्र जडेजा की नो बॉल फेंकने की रिवायत जारी रही. इस बार यह गलती बहुत भारी पड़ी. जो मार्नस लाबुशेन सस्ते में आउट हो जाने थे वे निर्णायक साझेदारी कर गए. इसी तरह भारत की दूसरी पारी में स्टीव स्मिथ ने लेग स्लिप में लाजवाब कैच लपका और चेतेश्वर पुजारा का विकेट निकाला. इसके बाद भारत की पारी महज चार ओवर ही चल सकी. भले ही ऑस्ट्रेलिया नौ विकेट से जीत गया हो लेकिन अगर भारत ने टारगेट 150 से ऊपर दिया होता तो खेल हो सकता था.

 

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