IND vs ENG: टीम इंडिया के कोच का स्टोक्स-मैक्कलम को 'भारत जैसी पिच' वाले बयान पर मुंहतोड़ जवाब, बोले- ऐसा लगता है कि...

एजबेस्टन टेस्ट में भारत ने दोनों पारियों में मिलाकर 1000 से ज्यादा रन बनाए थे. इंग्लैंड की ओर से भी पहली पारी में 400 प्लस रन आए थे और मैच आखिरी दिन तक गया था.

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बेन स्टोक्स ने एजबेस्टन टेस्ट हारने के बाद पिच को भारत जैसी बताया था.

इंग्लैंड 2022 से घर पर फ्लैट पिचों पर खेलने को तरजीह देता है.

भारत के हाथों एजबेस्टन टेस्ट में हार के बाद इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने पिच में खामी निकाली थी. उनका कहना था कि पिच भारतीय उपमहाद्वीप जैसी बन गई थी. इंग्लैंड के हेड कोच ब्रेंडन मैक्कलम ने भी इसी तरह की बात नतीजे के एक दिन बाद कही. अब टीम इंडिया की ओर से इस बारे में प्रतिक्रिया आई है. बैटिंग कोच सितांशु कोटक ने स्टोक्स के बयान को खारिज किया. उन्होंने कहा कि भारत के गेंदबाजों ने तो उस पिच पर मदद हासिल की थी. एजबेस्टन में खेले गए टेस्ट में काफी रन बने थे. भारत ने पहली पारी में 587 रन बनाने के बाद दूसरी बारी में छह विकेट पर 427 रन बनाए. इंग्लैंड ने पहली पारी में 407 और दूसरी में 271 रन का स्कोर बनाया.

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कोटक ने लॉर्ड्स टेस्ट से दो दिन पहले पिच को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि जब भारत बॉलिंग कर रहा था तब तो गेंद हिल रही थी. ऐसा आखिरी दिन के खेल में भी हुआ. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'व्यक्तिगत रूप से कहूं तो मुझे उपमहाद्वीप जैसा विकेट नहीं लगा. हमारे गेंदबाजों ने जब भी बॉलिंग की तो गेंद हमेशा हिली. यहां तक कि दूसरी पारी में भी 40 ओवर तक तो गेंद हिल ही रही थी. आखिरी दिन थोड़ी गेंद स्पिन हुई लेकिन जब घास के साथ इतना हार्ड (कठोर) विकेट बनाओगे तो वहां ज्यादा रफ नहीं बनेगा लेकिन पैरों के निशान बनेंगे. पैरों के निशान वाली उस जगह से गेंद घूमेगा जैसा रवींद्र (जडेजा) ने पांचवें दिन किया था. ऐसा लगा कि उन्होंने बड़े स्कोर वाला विकेट बनाने की कोशिश की.'

लॉर्ड्स की ढलान पर क्या बोले कोटक

 

लॉर्ड्स के मैदान में गेंदबाज और बल्लेबाज दोनों को एक तरफ ढलान के चलते दिक्कत होती है. इस बारे में कोटक का कहना था कि इस बारे में खिलाड़ियों को ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'सब कुछ माइंडसेट पर निर्भर करता है. मैंने कुछ खिलाड़ी देखे हैं जो कहते हैं कि उन्हें ढलान समझ नहीं आती. और कुछ खिलाड़ियों को लगता है कि यह स्वाभाविक विविधता है. निश्चित रूप से ढलान के चलते खेल अलग होता है. लेकिन ऐसा तो गेंद के सीम पर गिरने के बाद भी होता है.'

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