TATA Retains IPL Title Rights: इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल के टाइटल राइट्स को टाटा ग्रुप ने फिर से हासिल कर लिया. उसने अगले पांच साल के लिए बीसीसीआई से डील बढ़ा ली है. इसके तहत टाटा ग्रुप आईपीएल टाइटल राइट्स के लिए बीसीसीआई को हर सीजन के 500 करोड़ रुपये यानी कुल 2500 करोड़ रुपये देगा. उसने 2024 से 2028 तक के लिए यह अधिकार हासिल किए हैं. क्रिकबज़ की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. पिछले दो सीजन से टाटा का नाम ही आईपीएल के साथ आर रहा था. उसने 2022 में चीनी मोबाइल कंपनी वीवो से इन्हें लिया था. चीनी कंपनी ने अलग-अलग कारणों से हटने का फैसला किया था. आईपीएल 2024 का आयोजन मार्च से मई के बीच होना है.
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बीसीसीआई ने पिछले दिनों आईपीएल टाइटल राइट्स के लिए टेंडर मंगाए थे. इसमें 365 करोड़ रुपये रिजर्व प्राइस रखी गई थी. इसका मतलब है कि बोली लगाने वाली कंपनियों को 365 करोड़ रुपये से ऊपर बोली लगानी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि आदित्य बिड़ला ग्रुप ने सबसे मोटी बोली लगाई और उसने 2500 करोड़ रुपये पांच सीजन के लिए देने का फैसला किया. टाटा ग्रुप के पास पहले टाइटल राइट्स थे तो उसे यह छूट थी कि वह किसी और कंपनी की तरफ से लगाई गई सर्वोच्च बोली को मैच करते हुए टाइटल राइट्स अपने पास रख सकता है. टाटा ग्रुप ने ऐसा ही किया और उसने आदित्य बिड़ला ग्रुप के बराबर पैसे देने पर हामी भर दी. बीसीसीआई ने भी 19 जनवरी को इसे मंजूरी दे दी. अभी आईपीएल के साथ वीमेंस प्रीमियर लीग के टाइटल राइट्स भी टाटा ग्रुप के पास ही हैं.
वीवो ने कितने में लिए थे आईपीएल टाइटल राइट्स
बीसीसीआई को 2018 से 2022 की अवधि में आईपीएल टाइटल राइट्स से 2199 करोड़ रुपये मिले थे. अब उसे 2500 करोड़ रुपये मिलेंगे यानी उसकी तिजोरी में 301 करोड़ रुपये ज्यादा आएंगे. वीवो ने 2018 में टाइटल राइट्स लिए थे. इन्हें 2022 तक ही चलना था लेकिन 2020 में कोविड-19 के चलते यह डील 2023 तक चली यानी छह साल के लिए. 2020 में वीवो हट गया था और ड्रीम 11 ने टाइटल राइट्स के लिए पैसे भरे थे. भारत और चीन के रिश्तों में तल्खी आने के बाद वीवो के लिए आईपीएल के साथ बने रहना मुश्किल हो गया था. ऐसे में उसने अपने अधिकार आखिरी दो साल के लिए टाटा ग्रुप को बेच दिए थे. टाटा ने इस दौरान हरेक सीजन के लिए 365 करोड़ रुपये चुकाए. बाकी के जो भी पैसे बने वे वीवो ने ही बीसीसीआई को दिए.
बीसीसीआई ने इस बार पहले ही साफ कर दिया था कि वह चीनी कंपनियों की ओर से लगाई गई बोली को स्वीकार नहीं करेगा. हालांकि उसने चीन का नाम नहीं लिखा था. बीसीसीआई ने कहा था कि भारत के साथ जिन देशों के दोस्ताना संबंध नहीं है वह उनके साथ नहीं जुड़ेगा. इस लाइन से चीनी कंपनियों के लिए रास्ता बंद हो गया था.
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