605 विकेट लेने वाले भारत के धाकड़ गेंदबाज का निधन, करियर में 13 बार दस विकेट लेने का किया था कमाल

भारत के धाकड़ गेंदबाज पद्माकर शिवालकर ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. मुंबई के महान स्पिनर शिवलकर 84 साल के थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे.

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पद्माकर शिवालकर ने दुनिया को अलविदा कह दिया है

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पद्माकर शिवालकर का 84 की उम्र में निधन.

उनके नाम करियर में कुल 605 विकेट थे.

भारत के धाकड़ गेंदबाज पद्माकर शिवालकर ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. मुंबई के महान स्पिनर शिवलकर 84 साल के थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. मुंबई के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में शामिल रहे शिवालकर के नाम कुल 605 विकेट  लिए थे.  1961-62 से 1987-88 के बीच उन्‍होंने कुल 124 फर्स्‍ट क्‍लास मैच खेले थे और 19.69 की औसत से 589 विकेट लिए. इसके अलावा 12 लिस्‍ट मैचों में उनके नाम 16 विकेट थे. 
बाएं हाथ के स्पिनर ने 22 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्‍यू किया और 48 साल की उम्र तक खेलना जारी रखा. उन्होंने भारत की सबसे बड़ी घरेलू प्रतियोगिता में 361 विकेट लिए, जिसमें 11 बार मैच में 10 विकेट लेने का कमाल किया था. उन्‍होंने अपने पूरे करियर में कुल 13 बार 10 विकेट लिए थे. 

शिवालकर को बीसीसीआई ने 2017 में सीके नायडू ‘लाइफटाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से सम्मानित किया था. मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) के अध्यक्ष अजिंक्य नाइक ने कहा- 

मुंबई क्रिकेट ने आज एक सच्चे दिग्गज को खो दिया है. पद्माकर शिवालकर सर का खेल में योगदान, खासकर अब तक के सबसे बेहतरीन स्पिनरों में से एक के रूप में हमेशा याद किया जाएगा.  

उन्होंने आगे कहा- 

मुंबई क्रिकेट में उनका समर्पण, कौशल और प्रभाव अद्भुत है. उनका निधन क्रिकेट जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है. 

 

वहीं सुनील गावस्कर ने शिवालकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह ‘कुछ अन्य की तुलना में भारतीय टीम में खेलने के अधिक हकदार थे’. शिवालकर  ने घरेलू क्रिकेट में लंबे समय तक अपना दबदबा बनाए रखा था, मगर भारत के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्‍यू नहीं कर पाए.गावस्कर ने शिवालकर के निधन पर एक इमोशनल मैसेज लिखा. गावस्कर ने लिखा- 

यह वाकई बहुत दुखद खबर है. कुछ ही समय में मुंबई क्रिकेट ने अपने दो दिग्गज खिलाड़ियों मिलिंद और पद्माकर को खो दिया है. यह दोनों कई जीत के सूत्रधार थे.

उन्होंने आगे कहा-

भारतीय कप्तान के तौर पर मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं नेशनल चयनकर्तााओं को ‘पैडी’ को टेस्ट टीम में शामिल करने के लिए राजी नहीं कर पाया. वह कुछ अन्य गेंदबाजों की तुलना में भारतीय टीम में शामिल होने के अधिक हकदार थे. आप इसे किस्मत कह सकते हैं. 

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