माता-पिता को खोया, 16 की उम्र में सिर पर आई तीन छोटे भाई-बहनों की जिम्‍मेदारी, अब 18 की उम्र में बना भारतीय टीम का कप्‍तान

क्रिकेट दौरों के दौरान मिलने वाले दैनिक भत्ते से मोह‍म्‍मद अमन अपने छोटे भाई बहनों का पेट भरते थे और पिछले अंडर-19 सीजन के दौरान कमाए गए हर पैसे को अपने घर की मरम्मत के लिए बचाते थे. 

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मोहम्‍मद अमन ने एक बार क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था

मोहम्‍मद अमन ने एक बार क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था

Highlights:

मोहम्‍मद अमन भारतीय ए टीम के कप्‍तान हैं

अमन के सिर पर तीन भाई बहनों की जिम्‍मेदारी है

मोहम्‍मद अमन की अगुआई में भारतीय जूनियर टीम ऑस्‍ट्रेलिया की अंडर 19 टीम के खिलाफ सीरीज खेलेगी. अमन के कंधों पर अब भारत की जूनियर टीम की जिम्‍मेदारी है. हालांकि उनका यहां तक पहुंचने का सफर काफी कठिन रहा. एक बार तो उन्‍होंने क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया था. दरअसल 16 साल की उम्र में उनके सिर से माता पिता का साया उठ गया. जिसके बाद उनके सिर पर तीन छोटे भाई बहनों की जिम्‍मेदारी आ गई.  साल 2020 में कोविड के दौरान अमन की मां सायबा का निधन हो गया था. उनके पिता मेहताब, जो ट्रक ड्राइवर थे, उनकी भी नौकरी छूट गई थी. इसके दो साल बाद ही लंबी बीमारी से उनका भी निधन  हो गया.

 

इसके बाद अमन के पास सिर्फ दो ही विकल्‍प थे. पहला कि वो क्रिकेट खेलना जारी रखें और दूसरा ये कि सपने को भूलकर नौकरी की तरफ देखें. बीते दिन उन्‍हें मेहनत का फल मिला और उन्‍हें भारत की अंडर-19 वनडे क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया, जो अगले महीने पुडुचेरी में ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 से भिड़ेगी. पूर्व भारतीय कप्तान और विश्व कप विजेता कोच राहुल द्रविड़ के बेटे समित द्रविड़ भी उनकी कप्‍तानी में खेलेंगे.


उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले अमन को अपने अतीत को देखने पर इस बात का यकीन नहीं होता कि वो उस बुरे हालात में भी कैसे टिके रहे. इंडियन एक्‍सप्रेस के अनुसार अमन ने कहा-

 

जब मैंने अपने पिता को खोया, तो ऐसा लगा कि जैसे मैं एक दिन में ही अचानक बड़ा हो गया. मैं परिवार का मुखिया था और मुझे अपनी छोटी बहन और दो भाइयों की देखभाल करनी थी. मैंने खुद से कहा कि मुझे क्रिकेट छोड़ देना चाहिए और मैंने सहारनपुर में नौकरी भी तलाशी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. हालांकि कुछ लोग चाहते थे कि मैं अपना खेल जारी रखूं और मदद करने को तैयार थे.

 

खाना बर्बाद नहीं करते अमन

 

अमन ने अनुसार वो कई बार भूखे सोए. उन्‍होंने कहा-

 

भूख से बड़ा कुछ नहीं. मैं अब भी अपना खाना बर्बाद नहीं करता, क्‍योंकि मैं जानता हूं कि इसे कमाना कितना मुश्किल होता है.

 

अमन ने बताया कि उन्‍होंने टॉयलेट के पास बैठकर ट्रेन में सफर किया है. उन्‍होंने कहा- 


हम कानपुर में उत्‍तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के एज ग्रुप ट्रायल्‍स देते थे. मैं ट्रेन के जनरल डिब्बे में सफर करता था, टॉयलेट के पास बैठता था, क्योंकि वहां बहुत भीड़ होती थी.


अमन उन दिनों को याद करते हैं जब वो भूखे पेट सोते थे. क्रिकेट दौरों के दौरान मिलने वाले दैनिक भत्ते से वो अपने परिवार का पेट भरते थे और पिछले अंडर-19 सीजन के दौरान कमाए गए हर पैसे को अपने घर की मरम्मत के लिए बचाते थे.

 

अमन ने बताया कि वो खुद का उत्‍साह बढ़ाते थे. वो खुद से कहते थे कि हार मत मानो. कोशिश करते रहो. अंधेरा जल्द ही खत्म हो जाएगा. उनके कोई विकल्प नहीं था. उनका कहना है कि अगर उन्‍हें अपने परिवार का पेट पालना है, तो क्रिकेट ही एकमात्र ऐसी चीज है जो वो जानते हैं. 
 

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