एमसीसी की वर्ल्ड क्रिकेट कमिटी ने टेस्ट क्रिकेट को रोमांचक बनाने और द्विपक्षीय सीरीज के लिए दौरे पर जाने वाली टीमों को लेकर नए सुझाव दिए हैं. उसका कहना है कि दो देशों के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज कम से कम तीन मैच की होनी चाहिए. जो देश द्विपक्षीय सीरीज की मेजबानी कर रहा है उसे मेहमान टीम के सभी खर्चे उठाने चाहिए. यह दो अहम सिफारिश साउथ अफ्रीका के शहर केप टाउन में पिछले सप्ताह मेरिलबॉन क्रिकेट क्लब की वर्ल्ड क्रिकेट कमिटी की बैठक से सामने आईं. कमिटी ने तीन टेस्ट की सीरीज के लिए भारत और साउथ अफ्रीका व ऑस्ट्रेलिया व वेस्ट इंडीज के बीच हालिया टेस्ट सीरीज का उदाहरण दिया. इन दोनों सीरीज में 1-1 से दोनों टीमें बराबर रही थीं और रोमांचक खेल देखने को मिला था.
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वर्ल्ड क्रिकेट कमिटी की अध्यक्षता अभी श्रीलंका के महान क्रिकेटर कुमार संगकारा के पास है. उनके साथ क्लेयर कॉनोर, कुमार धर्मसेना, सौरव गांगुली, झुलन गोस्वामी, हेदर नाइट, जस्टिन लैंगर, ऑएन मॉर्गन, रमीज राजा, रिकी स्केरिट और ग्रीम स्मिथ जैसे दिग्गज शामिल हैं. कमिटी की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'रोमांचित करने वाले टेस्ट क्रिकेट के पक्ष में डब्ल्यूसीसी की सिफारिश है कि पुरुष टेस्ट सीरीज कम से कम तीन मैच की खेली जाए. ऐसा आईसीसी के 2028 से शुरू होने वाले अगले फ्यूचर टूर्स प्रोग्राम से किया जाए.'
क्रिकेट के नए बाजार तलाशने की गुजारिश
डब्ल्यूसीसी ने इस बात की तरफ भी ध्यान खींचा कि आईसीसी के सदस्यों में अभी काफी असमानता है ऐसे में खेल नए क्षेत्रों में जाना चाहिए. उसकी तरफ से कहा गया, खेल भारत की भूमिका को सराहता है. उसकी वजह से इस खेल में पैसा आ रहा है. लेकिन भारत पर निर्भर रहना यह दिखाता है कि खेल को नए बाजार तलाशने होंगे जिससे कि इस खेल का विकास हो. अभी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अगली साइकिल में मीडिया राइट्स कैसे होंगे. कमिटी का मानना है कि अमेरिका में टी20 वर्ल्ड कप 2024 होने और 2028 ओलिंपिक्स में क्रिकेट को जगह मिलने से वहां एक नया बाजार मिला है.
मेजबान उठाए दौरा करने वाली टीमों का खर्चा
हाल में वेस्ट इंडीज क्रिकेट की तरफ से कहा गया था कि उनके बोर्ड के बजट का मोटा हिस्सा दूसरे देशों में खेलने जाने पर खर्च हो जाता है. मेजबानी करने वाली टीम को ही उस सीरीज का सारा पैसा मिलता है जिसमें मीडिया राइट्स, टिकट्स बिक्री शामिल होती है. डब्ल्यूसीसी ने इस व्यवस्था में बदलाव के संकेत दिए हैं. उसका कहना है, डब्ल्यूसीसी को काफी समय से खेल की वैश्विक अर्थव्यवस्था की जानकारी है जो दौरा करने वाली टीमों के लिए काफी ज्यादा असंतुलित है. उन्हें सफर का खर्च उठाना पड़ता है जबकि सीरीज की पूरी कमाई मेजबान के पास जाती है. कमिटी समिति इस मॉडल पर पुनर्विचार करने का फैसला करती है जिसमें भविष्य के सभी द्विपक्षीय क्रिकेट के लिए दौरा करने वाली टीम का खर्चा घरेलू बोर्ड द्वारा उठाने जाने का विश्लेषण किया जाना चाहिए.
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