Champions Trophy पर पूर्व चेयरमैन ने पाकिस्तानी बोर्ड को सुनाया, भारत का बॉयकॉट करने की बताई कीमत, बोले- ICC से बाहर हो जाओगे और...

चैंपियंस ट्रॉफी 2024 को लेकर चल रही खींचतान के बीच पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को उसके पूर्व चेयरमैन नजम सेठी ने एक सलाह दी है. उनका कहना है कि पीसीबी को भारत का बॉयकॉट करने की जगह तार्किक समाधान ढूंढ़ना चाहिए.

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India's captain Rohit Sharma (R) and former Pakistan skipper Babar Azam

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चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की मेजबानी पाकिस्तान के पास है.

चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत 19 फरवरी से होनी है और फाइनल मुकाबला 9 मार्च को तय हुआ है.

चैंपियंस ट्रॉफी 2024 को लेकर चल रही खींचतान के बीच पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को उसके पूर्व चेयरमैन नजम सेठी ने एक सलाह दी है. उनका कहना है कि पीसीबी को भारत का बॉयकॉट करने की जगह तार्किक समाधान ढूंढ़ना चाहिए. सेठी को लगता है कि आईसीसी हमेशा बीसीसीआई का पक्ष लेगा और चैंपियंस ट्रॉफी नहीं हो पाती है तब पाकिस्तान बोर्ड को ज्यादा नुकसान होगा. भारत ने फरवरी-मार्च 2025 में प्रस्तावित चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने से मना कर दिया है. बीसीसीआई का कहना है कि सुरक्षा कारणों के चलते उन्हें भारत सरकार से मंजूरी नहीं मिली. ऐसे में हाइब्रिड मॉडल यानी भारत के मुकाबले दूसरे देश में कराने की बात हो रही है. लेकिन पीसीबी इस पर रजामंद नहीं है. 

नजम सेठी ने समा टीवी से बात करते हुए कहा कि पाकिस्तान का आईसीसी के सामने विरोध करना बेकार है क्योंकि वह हमेशा बीसीसीआई का पक्ष लेता है. अगर पाकिस्तान टूर्नामेंट से हटता है तो उसे पैसों का तगड़ा नुकसान होगा और इसे पीसीबी सह नहीं पाएगा. वहीं बीसीसीआई अमीर बोर्ड है उसे फर्क नहीं पड़ेगा.

'भारत काफी अमीर उसे फर्क नहीं पड़ेगा'

 

सेठी ने कहा, 'आईसीसी हमेशा भारत की तरफदारी करता है. इसे याद रखिए. अब अगर वे टूर्नामेंट को श्रीलंका या दुबई में शिफ्ट कर देते हैं और पाकिस्तान हिस्सा नहीं लेता है तो आईसीसी, भारत और पाकिस्तान पर असर पड़ेगा क्योंकि आईसीसी की कमाई सबमें बंटती है. सबसे बड़ा हिस्सा भारत को जाता है और पाकिस्तान को चौथे नंबर का हिस्सा मिलता है. भारत को इससे ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. वे काफी अमीर है.'

सेठी बोले- बॉयकॉट पड़ सकता है भारी

 

सेठी ने पीसीबी को तर्क के हिसाब से सोचने और फैसला करने की नसीहत दी. उन्होंने कहा कि चैंपियंस ट्रॉफी छोड़ने का असर बाकी आईसीसी इवेंट्स पर भी पड़ेगा और पाकिस्तान बोर्ड केवल द्विपक्षीय सीरीज के दम पर जिंदा नहीं रह सकता. उन्होंने कहा, 'क्या वे इस मसले को समझदारी भरे फैसले तक ले जाएंगे? इसका मतलब है कि अगर आप भारत के आने इनकार करने के बाद हाइब्रिज मॉडल को मना कर दें और दूसरे देश में खेलने भी नहीं जाएं तब आप आईसीसी के आगामी इवेंट भी नहीं खेल पाएंगे. इसलिए आप खुद को आईसीसी से बाहर कर दोगे. और अगर ऐसा किया तो सिर्फ द्विपक्षीय क्रिकेट बच जाएगा. द्विपक्षीय क्रिकेट में ज्यादा पैसा नहीं है क्योंकि कोई आपके यहां खेलने आएगा तो आपको भी वहां जाना होगा. ऐसे में पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो जाएगी.'


 

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