अपनी कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी का नया इतिहास रचने वाली रानी रामपाल ने 29 साल की उम्र में संन्यास ले लिया है. रानी रामपाल की कप्तानी में भारत टोक्यो ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी. भारतीय महिला टीम पहली बार ओलिंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी. टीम चौथे स्थान पर रही थी. उन्होंने अब गुरुवार को अपने 16 साल के लंबे करियर को अलविदा कह दिया है.
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रानी ने भारत के लिए 254 मैच खेले, जिसमें करीब 120 गोल किए. संन्यास का ऐलान करने के साथ रानी रामपाल ने कहा कि उनके सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा, मगर वो खुश है कि वो देश के लिए खेली. उन्होंने कहा-
ये सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा, मगर मुझे खुशी है कि मैं भारत के लिए खेली. हमारे राष्ट्रीय ध्वज के लिए खेली. ये हमेशा खुश रहने वाली और अनमोल चीज है. जब मैंने ये शुरू किया था, ये आसान काम नहीं था. मैं जिस परिवार से आती हूं, उससे मुझे बहुत समर्थन मिला. मेरे पिता ड्राइव करते थे. मेरी मां घरों में काम करती थीं. मेरे पास भरपूर पैसा नहीं था, लेकिन मैं वहां से अपने कोच से मिली, मेरी यात्रा आज से शुरू होती है. मैं खुशी के साथ अपने संन्यास की घोषणा कर रही हूं, मुझे कोई अफसोस नहीं है. मैं हॉकी से जुड़ी रहूंगी. हमेशा उम्मीद करती हूं कि हमारी युवा पीढ़ी महिला हॉकी को आगे ले जाएगी.
हरियाणा की रहने वाले रानी रामपाल ने साल 2003 में फील्ड हॉकी में कदम रखा था. उन्होंने 14 साल की उम्र में सीनियर स्तर पर डेब्यू कर लिया था. वो भारतीय वुमेंस हॉकी टीम की सबसे युवा खिलाड़ी बन गई थीं. रानी रामपाल 36 साल के इंतजार के बाद साल 2016 में रियो ओलिंपिक में क्वालिफाई करने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थीं. इसके अगले ओलिंपिक यानी टोक्यो में तो उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को सेमीफाइनल तक पहुंचा दिया था. रानी रामपाल के पास एशियन गेम्स का सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल है.
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