बजरंग पूनिया ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का किया ऐलान, WFI चुनाव नतीजों पर कहा- रोते हुए रात गुजारी है

बजरंग पूनिया पद्मश्री अवार्ड लौटाने का ऐलान करते हुए कहा कि अगर वह महिला पहलवानों को न्याय नहीं दिला सकते हैं तो इन सम्मान को रखकर क्या करेंगे.

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Shakti Shekhawat

बजरंग पूनिया ने ओलिंपिक मेडल समेत कुश्ती में कई सम्मान हासिल किए हैं.

बजरंग पूनिया ने ओलिंपिक मेडल समेत कुश्ती में कई सम्मान हासिल किए हैं.

Highlights:

बजरंग पूनिया ने विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के साथ मिलकर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दिया था.

भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनावों में बृजभूषण के करीबी संजय सिंह जीते हैं.

बजरंग पूनिया ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया है. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए यह जानकारी दी. बजरंग ने पद्मश्री लौटाने का फैसला कुश्ती महासंघ के चुनाव नतीजों में यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह की जीत के बाद किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं. कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है.' पत्र में बजरंग ने कहा कि चुनाव नतीजों के बाद साक्षी मलिक ने रोते हुए संन्यास लिया और उनकी हालत भी अच्छी नहीं रही. वे रातभर रोते रहे. बृजभूषण अभी भी कुश्ती महासंघ को अपने कब्जे में किए हुए हैं और ऐसे में वे सरकार की ओर से मिले सम्मान को स्वीकार नहीं कर सकते. बजरंग ने कहा कि अगर वह महिला पहलवानों को न्याय नहीं दिला सकते हैं तो इन सम्मान को रखकर क्या करेंगे.

 

बजरंग अपना पद्मश्री अवार्ड लौटाने के लिए प्रधानमंत्री आवास पहुंच गए और वे उनके घर जाना चाहते थे. लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया. ऐसे में बजरंग ने अपना मेडल पुलिस के जरिए पीएम आवास में पहुंचने की अपील की लेकिन ऐसा हो न सका. इस बीच बजरंग ने पद्मश्री को सड़क के पास फुटपाथ पर रख दिया. 

 

 

कुश्ती महासंघ के 21 दिसंबर को दिल्ली में चुनाव हुए थे. इसमें प्रेसीडेंट पद के लिए संजय सिंह जीते जो बृजभूषण के करीबी हैं. उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स मेडलिस्ट अनिता श्योराण को 40-7 के अंतर से हराया. चुनावों में केवल दो पदों को छोड़कर बाकी सभी में बृजभूषण के समर्थन वाला पैनल जीता है. नतीजे आने के बाद बृजभूषण और उनके समर्थकों ने दबदबा है और दबदबा रहेगा के नारे लगाए और ऐसी तख्तियां लहराईं.

 

'क्या सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं'

 

बजरंग ने इस बारे में अपने पत्र में लिखा, '21 दिसंबर को कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया. उसने स्टेटमेंट दी कि दबदबा है और दबदबा रहेगा. महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था. इसी मानसिक दबाव में आकर ओलिंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलावन साक्षी मलिक ने कुश्ती संन्यास ले लिया. हम सभी की रात रोते हुए निकली. समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाए, क्या करें और कैसे जिएं. इतना मान-सम्मान दिया सरकार ने, लोगों ने. क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं.'

 

पूनिया ने धरने की दिलाई याद

 

पूनिया ने आगे लिखा, ‘प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे. आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे. आपकी इस व्यस्तता के बीच आपका ध्यान देश की कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं. आपको पता होगा कि इस साल जनवरी में महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगायो थे. मैं भी उनके आंदोलन में शामिल हो गया था. सरकार ने जब ठोस कार्रवाई की बात की तो आंदोलन रूक गया था. लेकिन तीन महीने तक बृजभूषण के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी. हम अप्रैल में फिर सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने लगे ताकि पुलिस कम से कम उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे. जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल आते आते सात रह गयी. यानी इन तीन महीानों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया.’

 

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