टीम इंडिया को चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचाने के बाद केएल राहुल ने अपनी बैटिंग पोजीशन से छेड़छाड़ पर चुप्पी तोड़ी है. उनका कहना है कि उन्हें आदत हो गई है, मगर उन्हें ऊपर बैटिंग करना पसंद है. राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में नॉटआउट 42 रन बनाए थे. उनके बल्ले से विनिंग सिक्स निकला. इसी के साथ भारत ने ऑस्ट्रेलिया को चार विकेट से हराकर फाइनल में एंट्री कर ली. जीत के बाद केएल राहुल ने अपनी बैटिंग पोजीशन में बदलाव पर बड़ा बयान दिया है.
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वनडे में फुल टाइम नंबर पांच पर जमने के बाद राहुल ने मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाज के रूप में अपनी रेंज को फैलाया. 2020 के बाद से किसी का भी उस पोजीशन में 61.52 से अधिक औसत नहीं है (न्यूनतम 20 पारियों के लिए). हेनरिक क्लासेन भी नहीं, जिनका औसत राहुल से लगभग सात अंक कम है, लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी में मैनेजमेंट ने अक्षर पटेल को नंबर 5 पर प्रमोट कर दिया और राहुल को नंबर छह पर आना पड़ा, उन्होंने उस स्थिति के लिए भी खुद को ढाल लिया है और वह बाउंड्री हिटिंग पर बहुत अधिक काम कर रहे हैं. बैटिंग पोजीशन बदलने पर मैच के बाद स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए उन्होंने कहा-
हां मुझे [ऊपर बल्लेबाजी करना] अच्छा लगता है. मेरा मतलब है कि मैं झूठ नहीं बोलूंगा. यह ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट मैचों में बल्लेबाजी की शुरुआत करने और ऑस्ट्रेलिया में उस अटैक का सामना करने के बाद है और आप जानते हैं कि लाल गेंद कितना कठिन है. मैंने वहां बल्लेबाजी की शुरुआत की और फिर यहां आकर कम बल्लेबाजी करना थोड़ा अलग लगता है, मगर पिछले चार-पांच सालों में मैंने इसी तरह से सफेद गेंद का क्रिकेट खेला है.
इसलिए मैं बैटिंग ऑर्डर में ऊपर-नीचे का आदी हो चुका हूं. इसलिए मैं मिडिल ऑर्डर में खेलने का मौका पाकर खुश हूं और मुझे जो भी भूमिका दी जाती है, मुझे लगता है कि इससे मुझे अपने खेल को और अधिक समझने में मदद मिली है और मुझे पिछले एक साल में बाउंड्री हिटिंग पर काफी काम करना पड़ा है, क्योंकि श्रीलंका में हमने जो आखिरी वनडे खेला था, उसमें मैंने नंबर 6 पर बल्लेबाजी की थी. इसलिए मुझे पता था कि मैं वहीं बल्लेबाजी करूंगा और हमें टॉप ऑर्डर में एक बाएं हाथ के बल्लेबाज की जरूरत थी.
ईमानदारी से कहूं तो, मेरा मतलब है कि 2020 से मैं नंबर 5 पर बल्लेबाजी कर रहा हूं और कई बार लोग भूल जाते हैं कि मैं वहीं बल्लेबाजी कर रहा हूं. और हर बार जब मैं किसी सीरीज में अच्छा प्रदर्शन करता हूं और फिर वनडे सीरीज, वनडे क्रिकेट से ब्रेक होता है और फिर हम चार या पांच महीने बाद वापस आते हैं तो फिर से एक सवालिया निशान होता है कि 'क्या वह प्लेइंग इलेवन में खेलेगा, वह कहां फिट बैठता है' और कभी-कभी मैं वहां बैठकर सोचता हूं कि मैं और क्या कर सकता हूं. मुझे जहां भी खेलने के लिए कहा गया, मैंने खेला और मुझे लगता है कि मैंने अपनी भूमिका नि
भाई है.
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