आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का इतिहास काफी पुराना है. साल 1998 में बांग्लादेश के ढाका में ये टूर्नामेंट पहली बार खेला गया था. इसके बाद दूसरे एडिशन में टीम इंडिया ने धमाकेदार खेल दिखाकर फाइनल में जगह बनाई थी. जबकि नैरोबी में खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट में न्यूजीलैंड ने भी शानदार क्रिकेट से फाइनल में जगह बनाई थी. जिससे चैंपियंस ट्रॉफी के इतिहास में पहली बार भारत और न्यूजीलैंड के बीच फाइनल खेला गया और इसके 25 साल बाद अब फिर से दोनों टीमें खिताबी मुकाबले में आमने-सामने हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि 25 साल पहले किस टीम ने बाजी मारी और किसे मिले थे हार के जख्म?
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सौरव गांगुली ने ठोका शतक
भारत और न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का पहला फाइनल मुकाबला नैरोबी के मैदान में साल 2000 में खेला गया था. इस मुकाबले में टीम इंडिया के कप्तान सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर के बीच 141 रनों की ओपनिंग साझेदारी हुई थी. सचिन तेंदुलकर 83 गेंद में 10 चौके और एक छक्के से 69 रन बनाकर चलते बने, जबकि गांगुली ने 130 गेंद में नौ चौके और चार छक्के से 117 रन बनाए थे. इन दोनों के अलावा युवराज सिंह (18), राहुल द्रविड़ (18) और विनोद कांबली (1) कुछ नहीं कर सके, जिससे टीम इंडिया 50 ओवर में छह विकेट पर 264 रन ही बना सकी थी.
भारत को मिले थे हार के जख्म
265 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी साउथ अफ्रीका के 82 रन पर ही तीन विकेट गिर गए थे. लेकिन उनके धाकड़ बल्लेबाज क्रिस कैर्न्स ने 113 गेंद में आठ चौके और दो छक्के से 102 रनों की नाबाद शतकीय पारी खेलकर न्यूजीलैंड को पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जिताया था. इसके बाद से लेकर अभी तक न्यूजीलैंड दोबारा इस खिताब को हासिल नहीं कर सकी है. अब टीम इंडिया एक बार फिर से 25 साल बाद इस टूर्नामेंट में न्यूजीलैंड का सामना करने उतरेगी तो 25 साल पहले मिलने वाले हार के जख्म का बदला लेना चाहेगी.
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