आर अश्विन राजकोट टेस्ट छोड़कर घर गए तो ICU में भर्ती मां ने कहा- तुम क्यों आए? जाओ मैच चल रहा है

R Ashwin Mother Illeness: आर अश्विन की मां चित्रा राजकोट टेस्ट के दौरान अचानक बीमार हो गई थीं. उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था. वह बेहोश हो गई थीं.

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Shakti Shekhawat

आर अश्विन दूसरे ही भारतीय बॉलर हैं जिन्होंने 500 टेस्ट विकेट लिए हैं.

आर अश्विन दूसरे ही भारतीय बॉलर हैं जिन्होंने 500 टेस्ट विकेट लिए हैं.

Highlights:

R Ashwin को 500वां टेस्ट विकेट लेने के कुछ घंटे बाद घर जाना पड़ा था.

R Ashwin मां की बीमारी के चलते राजकोट टेस्ट में एक दिन के खेल से दूर रहे थे.

आर अश्विन को भारत और इंग्लैंड के बीच राजकोट टेस्ट के दौरान घर जाना पड़ा था. वे दूसरे दिन के खेल के बाद चेन्नई चले गए थे. बीसीसीआई ने तब बताया था कि निजी कारणों के चलते अश्विन टेस्ट में आगे हिस्सा नहीं ले पाएंगे. अब खुलासा हुआ है कि इस स्टार क्रिकेटर को मां की बीमारी के चलते घर लौटना पड़ा. हालांकि वे एक दिन बाद वापस टेस्ट खेलने आ गए थे और उन्होंने इंग्लैंड की दूसरी पारी में भी बॉलिंग की थी. आर अश्विन ने अब मामले पर खुलकर बात की है. उन्होंने बताया कि तब क्या हुआ था और कैसे परिवार ने उन्हें क्रिकेट खेलने में मदद की.

 

अश्विन की मां चित्रा रविचंद्रन चेन्नई के एक अस्पताल में आईसीयू में एडमिट थी. वह बार-बार बेहोश हो जा रही थी. जब उन्होंने बिस्तर के पास अश्विन को देखा तो उनका ही एक ही सवाल था, 'तुम क्यों आए?' अश्विन राजकोट टेस्ट के दौरान 500वां विकेट लेने के कुछ घंटे बाद ही घर गए थे. वे अनिल कुम्बले के बाद दूसरे भारतीय गेंदबाज बने थे जिन्होंने 500 टेस्ट विकेट लिए थे. अश्विन ने मां की बीमारी को लेकर ESPNCricinfo से कहा,

 

जब मैं पहुंचा तो सीधा अस्पताल गया. मेरी मां होश में आ और जा रही थी और पहली चीज जो उन्होंने मुझसे पूछी वह थी, तुम क्यों आए? अगली बार जब वह होश में आईं तो उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि तुम्हें वापस जाना चाहिए क्योंकि टेस्ट मैच चल रहा है.

 

अश्विन ने बताया कि कैसे उनके पिता रविचंद्रन और मां चित्रा ने उन्हें क्रिकेटर बनाने के पूरी जान लगा दी थी. दोनों ने मिलकर क्रिकेट का सपना देखा और इसे उनके जरिए पूरा किया. अश्विन का कहना है कि कई बार उन्हें ऐसा लगता है कि खेल उनसे ज्यादा उनके परिवार के लिए ज्यादा जरूरी है. बकौल अश्विन,

 

पूरा परिवार क्रिकेट के जरिए बना और मेरे करियर की तैयारी की. यह आसान नहीं था. उनके लिए यह बहुत मुश्किल था. उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे. मैं 40 साल के करीब हूं और मेरे पिता अभी भी मैच ऐसे देखते हैं जैसा वह मेरा पहला इंटरनेशनल मैच हो. उनके लिए यह काफी अहम है. उनकी तुलना में यह मेरे लिए कम मतलब रखता है. उन्होंने मेरे क्रिकेट के रास्ते में आने वाली हरेक चीज को हटा दिया. जहां तक मुझे याद है उनके जीवन का यही एक मकसद है. 

 

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