भारतीय विकेटकीपर इशान किशन (Ishan Kishan) ने टेस्ट क्रिकेट में मैच की स्थिति के अनुसार बल्लेबाजी करने की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि हर मैच में आक्रामक बल्लेबाजी करने की जरूरत है. उन्होंने साथ ही कहा कि इंग्लैंड जिस तरह की पिचों पर खेल रहा है उन्हें भी देखना चाहिए. भारत मुश्किल पिचों पर टेस्ट खेलता है. वेस्ट इंडीज दौरे पर टेस्ट में डेब्यू करने वाले इशान ने दूसरे मैच की दूसरी पारी में आक्रामक बल्लेबाजी करते हुए 34 गेंद में नाबाद 52 रन बनाए थे. भारतीय टीम ने इस दौरान 7.54 के रन रेट से दो विकेट पर 181 रन बनाकर पारी घोषित की थी. मैच के चौथे दिन वेस्ट इंडीज ने 365 रन के मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए दो विकेट पर 76 रन बनाए थे. पांचवां दिन पूरी तरह से बारिश की भेंट चढ़ गया.
ADVERTISEMENT
हालिया समय में इंग्लैंड ने टेस्ट मैचों में तेजी से रन जुटाने की रणनीति अपनाई है जिसे 'बैजबॉल' कहा जाता है. इसके बाद से हरेक टीम से इस रणनीति के बारे में पूछा जाता है. किशन से भी इंग्लिश क्रिकेट टीम के टेस्ट खेलने के तरीके को टीम इंडिया में आजमाने को लेकर पूछा गया था. मैच के बाद किशन से जब तेजी से बल्लेबाजी करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी नहीं है कि आप हर मैच में फटाफट क्रिकेट खेलने लगें. यह स्थिति पर निर्भर होना चाहिए. पिचों की परिस्थिति भी इसमें भूमिका निभाती है कि कोई कितनी तेजी से रन बना सकता है. अगर आपको ऐसा विकेट मिलता है जहां आप तेजी से रन बना सकते हैं और टीम को इसकी जरूरत है तो इस (भारतीय) टीम में हर खिलाड़ी उस भूमिका को निभाने की क्षमता रखता है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास जिस तरह के खिलाड़ी हैं और हम जितने फॉर्मेट और मैचों में खेलते हैं, हर कोई अपनी भूमिका जानता है कि किस मैच को किस तरह से खेलना है. व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है, हर मैच को इस तरह (आक्रामक बल्लेबाजी) खेलने की जरूरत नहीं है. यह मैच की परिस्थितियों पर निर्भर होना चाहिए. इंग्लैंड जिस तरह से खेल रहा है आपको उन पिचों को भी देखना होगा. हम जिस तरह कि पिच पर खेलतें है उनमें काफी टर्न और उछाल है इसलिए हम परिस्थिति के अनुकूल बल्लेबाजी करते हैं. जब पिच बल्लेबाजी के अनुकूल होती है तो रन बनाना आसान हो जाता है.'
टीम इंडिया में शामिल होने पर क्या बोले किशन
इशान को भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा और जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हर खिलाड़ी का व्यक्तित्व अलग होता है. यह कुछ के लिए निराशाजनक हो सकता है, लेकिन अन्य खिलाड़ी इसे एक चुनौती के रूप में ले सकते हैं कि मैं उस स्तर तक पहुंचने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा हूं. अगर किसी और को टीम में चुना जाता है और वह प्रदर्शन करता है तो मैं उसकी सराहना करता हूं क्योंकि मुझे पता है कि यह खेल कितना कठिन है, मानसिक रूप से आपकी परीक्षा कैसे होती है, जब इतनी उम्मीदें और दबाव हो तो वह प्रदर्शन करना कितना कठिन होता है. इसलिए, जब भी मैं टीम से बाहर पर होता हूं या नहीं खेलता हूं तो मेरी कोशिश होती है कि मैं अपने अभ्यास पर ध्यान केंद्रित करूं ताकि जब भी मुझे मौका मिले, मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकूं.’
ये भी पढ़ें
IND vs WI: वेस्ट इंडीज से टेस्ट ड्रॉ होना भारत को पड़ सकता है भारी, बारिश के चलते धुल जाएगा यह सपना!
पंजाब किंग्स के गेंदबाज की स्पीड में उड़े नीतीश राणा के योद्धा, 60 पर ढेर, 9 बल्लेबाज दहाई तक भी नहीं पहुंचे, 185 रन से मिली करारी शिकस्त
सुपरकिंग्स का नायक बना केएल राहुल का साथी, पहले लिए 2 विकेट फिर 18 गेंद में ठोके 42 रन, टीम को प्लेऑफ में पहुंचाया
विराट कोहली से गले लगकर गदगद हुआ टीम इंडिया का यह सितारा, कहा- उन्हें टीवी पर देखता था…