भारत के खिलाफ कछुए की चाल से रन बनाने वाले को मिली बांग्‍लादेश क्रिकेट बोर्ड की कमान, 12 साल कुर्सी पर बैठे नजमुल हसन को किया रिप्‍लेस

नजमुल हसन 12 साल तक बांग्‍लादेश क्रिकेट बोर्ड के अध्‍यक्ष रहे, मगर बांग्‍लादेश में राजनीतिक उठापटक के बीच उन्‍होंने भी इस्‍तीफा दे दिया था

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किरण सिंह

फारूक अहमद शॉट लगाते हुए (फाइल फोटो: Getty Images)

फारूक अहमद शॉट लगाते हुए (फाइल फोटो: Getty Images)

Highlights:

नजमुल हसन के युग का अंत हो गया है.

फारूक अहमद बने बांग्‍लादेश क्रिकेट बोर्ड के नए अध्‍यक्ष

भारत के खिलाफ कछुए की चाल से रन बनाने वाले पूर्व बल्‍लेबाज को बांग्‍लादेश क्रिकेट की कमान मिल गई है. बांग्‍लादेश के पूर्व टॉप ऑर्डर बल्‍लेबाज फारूक अहमद ने 12 साल तक अध्‍यक्ष की कुर्सी पर बैठे नजमुल हसन को रिप्‍लेस किया. हसन के इस्तीफे के बाद 21 अगस्त को ढाका में बोर्ड की बैठक हुई. अहमद बीसीबी निदेशकों की बैठक में शामिल हुए, क्योंकि उन्हें और नजमुल आबेदीन फहीम को नेशनल स्‍पोर्ट्स काउंसिल (एनएससी) ने बोर्ड में निदेशक के रूप में नामित किया गया था.

 
दरअसल हाल ही में भंग हुई शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण बांग्‍लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है. हसन उथल पुथल शुरू होने के बाद पत्नी के साथ लंदन में हैं. हसन के इस्तीफे के साथ बीसीबी में उनके 12 साल के युग का अंत हो गया है. उन्होंने पहली बार 2012 में सरकार की नियुक्ति पर बीसीबी के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था.

 

 

मुख्‍य चयनकर्ता भी रह चुके हैं अहमद


फारूक इससे पहले 2003 से 2007 तक और 2013 से 2016 तक दो बार बीसीबी के मुख्य चयनकर्ता रह चुके हैं.  उन्होंने सेलेक्‍शन पैनल में सदस्‍यों की संख्‍या तीन से बढ़ाकर अधिक करने के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के कारण अपना दूसरा कार्यकाल पूरा होने से पहले ही मुख्य चयनकर्ता के पद से इस्तीफा दे दिया था.  बीसीबी इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है. बीते दिन ही बांग्‍लादेश  को करारा झटका लगा है, क्योंकि आईसीसी ने वीमेंस टी20 वर्ल्‍ड कप 2024 को बांग्लादेश से बाहर स्थानांतरित कर दिया है. टूर्नामेंट अब यूएई में होगा और बीसीबी इस आयोजन की मेज़बानी जारी रखेगा.

 

अहमद का करियर 

 

फारूक अहमद की बात करें तो उन्‍होंने 22 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे डेब्‍यू किया था. उन्‍होंने दिसंबर 1990 में भारत के खिलाफ चंडीगढ़ में अपनी पहली फिफ्टी लगाई थी. उन्होंने मोहम्मद अजहरुद्दीन की अगुआई वाली भारतीय टीम के खिलाफ 126 गेंदों पर 57 रन बनाए थे, लेकिन टीम हार गई. 1990 में उन्‍हें टीम से बाहर कर दिया गया था. जिसके बाद उन्‍होंने 9 साल बाद वनडे टीम में वापसी की. खराब फॉर्म के बाद उन्‍हें फिर से टीम से ड्रॉप कर दिया गया था. 7 वनडे मैचों में उन्‍होंने 15 की औसत और 38.46 की स्‍ट्राइक रेट से 105 रन बनाए थे.

 

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