इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन का मानना है कि भारतीय बल्लेबाज ऋषभ पंत की इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में टूटे पैर के बावजूद खेली गई अर्धशतकीय पारी उनके जज्बे का शानदार नमूना थी, लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि मेडिकल सब्स्टिट्यूट की अनुमति देने के मामले में क्रिकेट अंधकार युग में है.
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पंत ने ओल्ड ट्रैफर्ड में गुरुवार को दाहिने पैर के अंगूठे में फ्रैक्चर होने के बावजूद 37 रन से अपनी पारी आगे बढ़ाई और अर्धशतक पूरा किया. उन्होंने इस दौरान 28 गेंद का सामना किया और 17 रन बनाए. वॉन ने ‘द टेलीग्राफ’ में अपने कॉलम में लिखा-
मैं कई सालों से महसूस करता रहा हूं कि टेस्ट क्रिकेट में स्पष्ट चोटों के मामले में रिप्लेसमेंट खिलाड़ी मुहैया कराए जाने चाहिए, जैसा कि हमने ओल्ड ट्रैफर्ड में चौथे टेस्ट में ऋषभ पंत के मामले में देखा.
उन्होंने आगे कहा-
दूसरे दिन सुबह पंत को टूटे पैर के साथ बल्लेबाज़ी करते देखना वाकई शानदार अनुभव था. यह अविश्वसनीय साहस था और 28 गेंदों में 17 रन बनाना अद्भुत कौशल था, लेकिन वह बल्लेबाज़ी के लिए फिट नहीं थे, दौड़ नहीं सकते थे और इससे उनकी चोट और भी गंभीर हो सकती थी.
वॉन ने कहा-
सोचने वाली बात यह है कि उन्हें (पंत को) विकेटकीपर के रूप में सब्स्टिट्यूट की अनुमति दी गई, लेकिन बल्लेबाजी या गेंदबाजी की अनुमति नहीं दी गई. यह सब थोड़ा अजीब और असंगत है. हमारा खेल एकमात्र ऐसा टीम खेल है जिसमें ऐसा होता है और मुझे लगता है कि इससे यह पता चलता है कि क्रिकेट अब भी अंधकार युग में जी रहा है.
उनका मानना है कि पुराने नियमों पर अड़े रहने से जानबूझकर खेल का प्रभाव कम किया जा रहा है क्योंकि एक टीम को इसके कारण मैच के चार दिनों तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ रहा है.
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने कहा-
यदि किसी खिलाड़ी को नई चोट लगती है, जैसे हड्डी टूटना या मांसपेशियों में इतना अधिक खिंचाव कि वह खेल में आगे भाग नहीं ले सकता. ऐसी चोट जो स्कैन और चिकित्सक आसानी से प्रमाणित हो सकती है तो उसके स्थान पर समान योग्यता रखने वाले खिलाड़ी को सब्स्टिट्यूट के रूप में उतारा जा सकता है जैसा कि कन्कशन (सर में चोट लगने पर बेहोशी की स्थिति) के मामले में होता है.
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