भारत में खेली जाने वाली वीमेंस प्रीमियर लीग (WPL) का तीसरा सीजन जारी है. इसके दूसरे ही मुकाबले में तब हंगामा खड़ा हो गया जब थर्ड अंपायर ने रन आउट के फैसले पर एक दो नहीं बल्कि तीन बार बड़ी गलती की. इसका नतीजा ये रहा कि मुंबई इंडियंस की टीम को हार का सामना करना पड़ा. जबकि दिल्ली कैपिटल्स ने अंत में बाजी मारी. लेकिन थर्ड अंपायर के फैसले पर अब सवाल खड़ा होने लगा है. जिसके चलते आईसीसी का नियम सामने आया.
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क्या है मामला और थर्ड अंपायर ने क्या किया ?
दरअसल, दिल्ली कैपिटल्स की टीम जब मुंबई इंडियंस के सामने 165 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही थी. तभी पारी के 18वें ओवर में पहले शिखा पांडे को रन आउट नहीं दिया दिया. जबकि इसके बाद 19वें ओवर में राधा यादव और अंतिम ओवर की आखिरी गेंद पर अरुंधति रेड्डी के खिलाफ भी थर्ड अंपायर गायत्री ने स्टंप्स की लाइट नहीं बल्कि बेल्स पर ही जोर दिया.जिससे ये तीनों खिलाड़ी नॉट रहीं और दिल्ली ने अंतिम गेंद पर बाजी मार ली.
अब थर्ड अंपायर गायत्री से क्या गलती हुई. इस पर ध्यान दें तो तीनों मामले में जब स्टंप्स की लाइट जली तो उनका बल्ला क्रीज से बाहर था. लेकिन थर्ड अंपायर ने बेल्स के हवा में उछलने का इन्तजार किया. जिससे बैटर नॉट आउट रहीं. जबकि आईसीसी का नियम कुछ और कहता है.
क्या कहता है नियम ?
क्रिकेट के आधिकारिक नियमों के अनुसार अगर LED स्टंप्स का इस्तेमाल किया जा रहा हा तो विकेट गिरने का समय वहीं माना जाता है. जब पहली बार बेल्स की लाइट जल जाती है. खेल के नियम के 4.2 आर्टिकल के अनुसार LED स्टंप्स में लाइट जलने मात्र से ही रन आउट मान लिया जाता है. जबकि 29.1 के नियमानुसार विकेट (क्लीन बोल्ड) गिरा हुआ तभी माना जाता है जब बेल्स पूरे तरह स्टंप्स से अलग हो चुकी होती हैं. WPL मैच के दौरान थर्ड अंपायर गायत्री से यही गलती हुई और वह नियमों के अनुसार फैसला नहीं ले सकी.
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