सुनील छेत्री ने मांगे लंबे टीम कैंप, बोले- फिर कैसे पता चलेगा कि ऑस्ट्रेलिया कितनी मजबूत है?

सुनील छेत्री ने एशिया में टॉप सात रैंकिंग पर काबिज टीम जैसे ईरान, जापान या सऊदी अरब के खिलाफ कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय मैत्री मैच कराने की भी वकालत की.

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Rahul Rawat

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SportsTak Hindi

भारतीय फुटबॉल (Indian Football Team) कप्तान सुनील छेत्री (Sunil Chhetri)  ने रविवार को मुख्य कोच इगोर स्टिमाक की अगले साल एशियाई कप से पहले कम से कम चार हफ्ते के शिविर की मांग का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि टीम को महाद्वीप में सर्वश्रेष्ठ टीमों से भिड़ने की तैयारी के लिए काफी समय की जरूरत है. छेत्री (38 साल) दोहा में (12 जनवरी से 10 फरवरी तक) अपना अंतिम एशियाई कप खेलेंगे और उन्होंने साथ ही इस महाद्वीपीय टूर्नामेंट से पहले एशिया में टॉप सात रैंकिंग पर काबिज टीम जैसे ईरान, जापान या सऊदी अरब के खिलाफ कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय मैत्री मैच कराने की भी वकालत की.

 

छेत्री ने मीडिया से वर्चुअल बातचीत में कहा, ‘हम एशियाई कप (ग्रुप मैच) में ऑस्ट्रेलिया, उज्बेकिस्तान और सीरिया से भिड़ने जा रहे हैं, इसलिए स्टिमाक (और गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू) ने लंबे शिविर लगाने की बात कही. हमें इसकी जरूरत है और मुझे उम्मीद है कि हमें ये मिलेंगे.’  उन्होंने पिछले दो टूर्नामेंट में टीम की सफलता के लिए 50 से ज्यादा दिन के लंबे शिविर को श्रेय देते हुए कहा, ‘जब आप राष्ट्रीय शिविर में जाते हो तो उसमें खिलाड़ियों को चोट भी होती हैं और वे अपने संबंधित क्लब से अलग मानसिक स्तर के साथ आते हैं. आपको इन सभी चीजों को देखना होता है और ये सब करने के लिए आपको और अधिक समय की जरूरत होती है.’

 

4 महीने में 3 टूर्नामेंट जीत चुका है भारत


भारत ने मणिपुर में 22 से 28 मार्च तक त्रिकोणीय अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतने के बाद नौ से 18 जून तक भुवनेश्वर में इंटरकांटिनेंटल कप और 21 जून से चार जुलाई तक बेंगलुरु में सैफ चैम्पियनशिप जीती. खिलाड़ी मई के मध्य से सैफ चैम्पियनशिप तक राष्ट्रीय शिविर में रहे थे. स्टिमक ने कहा था कि उन्हें एशियाई कप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कम से कम चार हफ्ते का शिविर चाहिए होगा जबकि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के शीर्ष अधिकारियों ने संकेत दिया था कि उनकी मांग पूरी करना मुश्किल होगा क्योंकि क्लब अपने खिलाड़ियों को घरेलू सत्र के बीच में इतने लंबे समय के लिए रिलीज करने के लिये शायद राजी नहीं होंगे.

 

इस करिश्माई स्ट्राइकर ने कहा, ‘अंत में हमें राष्ट्रीय शिविर के लिए कितने दिन मिलेंगे, यह हितधारकों के बीच बातचीत पर निर्भर करेगा लेकिन मुझे ज्यादा से ज्यादा दिन मिलने की उम्मीद है.’ सैफ चैम्पियनशिप में बतौर शीर्ष स्कोरर ‘मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर’ चुने गये छेत्री ने यह भी कहा कि टीम को एशियाई कप से पहले महाद्वीप में शीर्ष छह या सात रैंकिंग पर काबिज एक देश से कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने की जरूरत है.

 

'मजबूत टीमों से खेलने पर होगा फायदा'


उन्होंने कहा, ‘अगर हमें एशियाई कप से पहले कम से कम दो या तीन महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मैत्री मैच मिल जायें जो एशिया में शीर्ष छह या सात रैंकिंग पर काबिज एक देश के खिलाफ हों तो इससे हमें खुद की तैयारी के बारे में ज्यादा अच्छी तरह पता चल जायेगा और इससे हम अच्छी तरह तैयार हो पायेंगे. अगर मैं नाम दूं तो ये देश ईरान, जापान या सऊदी अरब हो सकते हैं. अगर हम जापान, ईरान या दक्षिण कोरिया के खिलाफ नहीं खेलेंगे तो हमें ऑस्ट्रेलिया (एशियाई कप में भारत की मजबूत प्रतिद्वंद्वी) के स्तर का पता नहीं चल पायेगा. शीर्ष टीमों के खिलाफ इतने बड़े मैचों की तैयारी के लिए हमें चार हफ्तों का शिविर चाहिए. अगर हमें राष्ट्रीय शिविर में पांच दिन मिलते हैं तो हम इन बड़े मुकाबलों के लिए तैयार नहीं होंगे. एशियाई कप में ऑस्ट्रेलिया का सामना करने के लिए हमें कम से कम आईएसएल (इंडियन सुपर लीग) से दो स्तर ऊपर होना चाहिए और इसकी तैयारी के लिए हमें लंबा समय चाहिए.’

 

भारतीय फुटबॉल टीम अब किससे खेलेगी


भारत की अगली प्रतियोगिता थाईलैंड में किंग्स कप (सात से 10 सितंबर तक) होगी जिसमें उसका सामना इराक, लेबनान और मेजबान देश से होगा. छेत्री ने कहा, ‘इराक के खिलाफ खेलने से हमें उज्बेकिस्तान के बारे में अंदाजा हो जाएगा क्योंकि उनके खिलाड़ियों का स्तर भी ऐसा ही है. लेबनान और कुवैत (सैफ चैम्पियनशिप में) के खिलाफ मैचों से हमें अंदाजा हो गया कि सीरिया कैसे टीम होगी, हालांकि सीरिया इन दोनों की तुलना में थोड़ी ऊपर है.’

 

इस करिश्माई खिलाड़ी ने एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे के बयान का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि देश को मध्य एशियाई फुटबॉल संघ (सीएएफए) टीमों से खेलना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मैं बड़े टूर्नामेंट में और बेहतर टीमों के खिलाफ खेलने के प्रस्ताव का स्वागत करता हूं. टीमें जितनी ज्यादा मुश्किल होंगी, हमारे लिए बेहतर होगा. लेकिन हम एक साल में जो अंतरराष्ट्रीय मैच खेलते हैं, उनकी संख्या कम नहीं होनी चाहिए और ना ही इन्हें ज्यादा होना चाहिए.’
 

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