मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक 2024 में 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक जीता. इस शूटर ने टोक्यो ओलिंपिक की निराशा को पीछे छोड़ते हुए इस बार कोई गलती नहीं की और भारत को 12 साल बाद शूटिंग में मेडल दिलाया. लेकिन पेरिस ओलिंपिक से पहले मनु ने कोच जसपाल राणा के साथ मिलकर ट्रेनिंग में खूब मेहनत की. राणा ने प्रैक्टिस के दौरान इस युवा शूटर को कोई राहत नहीं दी. उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान मनु के लिए टारगेट तय किया और जब भी वह इससे दूर रहती तब उन्हें उतने पैसे दान करने पड़ते. यह पैसे जरूरतमंदों को दिए जाते.
ADVERTISEMENT
भाकर ने मेडल जीतने के बाद बताया कि वह दुनिया में कहीं पर भी ट्रेनिंग करें, जसपाल राणा ने उनके लिए स्पष्ट लक्ष्य रखे हुए थे. अगर वह इन्हें हासिल नहीं कर पाती तब उन्हें पैसे दान करने पड़ते. भाकर ने कहा,
उनके कामकाज का तरीका बाकी के लोगों से काफी अलग है. आमतौर पर वह एक लक्ष्य बनाते और अगर आप उतना स्कोर बना देते तो ठीक है. और अगर आप उतना स्कोर नहीं कर पाते तब जितना स्कोर कम होता उतने पैसे देने जाते. उदाहरण के लिए हमने 582 का स्कोर तय किया और मैंने 587 बनाए. तब चार अंक 40 यूरो के बराबर होते. देश और हालात के हिसाब से कभीकभार 400 यूरो भी हो जाते. आपको उतने पैसे दान करने पड़ते.
देहरादून में गायों को गुड़, लक्जमबर्ग में 40 यूरो का दान
जसपाल राणा ने इस मैथड के बारे में कहा,
मुझे याद है देहरादून में एक बार उसने गायों के लिए हजारों रुपये का गुड़ खरीदा था. पैसों का इस्तेमाल दुनियाभर के भूखे लोगों को खाना खिलाने में जाते थे. हाल ही में जब हम लक्जमबर्ग में थे तो उसने एक रेस्तरां में 40 यूरो दे दिए थे. वे लोग भी इस कदम से हैरान रह गए थे.
10 मीटर एयर पिस्टल के बाद अब भाकर की नजरें 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम और 25 मीटर पिस्टल इवेंट में मेडल जीतने पर हैं. जसपाल राणा ने कहा कि उसने ओलिंपिक्स के लिए काफी हदें पार की हैं. वह काफी कुछ जीतेगी.
ये भी पढ़ें
Manu Bhaker : मनु भाकर ने भगवद् गीता पढ़कर जीता ओलिंपिक मेडल, मां के सिखाए इस श्लोक से बढ़ाया भारत का गौरव, जानिए पूरी कहानी
मनु भाकर ने शूटर बनने से पहले 5 खेलों में आजमाया हाथ, जीते 60 से ज्यादा मेडल, आंख में चोट लगी तो बनी निशानेबाज
ADVERTISEMENT