Exclusive: पब्जी के दीवाने लड़के को पिता ने शूटिंग में मोड़ा, उसने भारत को दिलाया गोल्ड, 3 साल से होली-दिवाली पर भी परिवार से दूर

एशियन गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट दिव्यांश सिंह पंवार राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं. वे पबजी खेला करते थे फिर पिता ने उन्हें शूटिंग की तरफ मोड़ दिया.

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Shakti Shekhawat

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भारत को एशियन गेम्स 2023 का पहला गोल्ड मेडल शूटिंग में मिला.ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर, दिव्यांश सिंह पंवार और रुद्रांक्ष पाटिल ने मिलकर 10 मीटर एयर राइफल टीम स्पर्धा में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ सोने पर निशाना लगाया.

भारत को एशियन गेम्स 2023 का पहला गोल्ड मेडल शूटिंग में मिला. ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर, दिव्यांश सिंह पंवार और रुद्रांक्ष पाटिल ने मिलकर 10 मीटर एयर राइफल टीम स्पर्धा में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ सोने पर निशाना लगाया. इन तीनों की तिकड़ी ने 1893.7 के कुल स्कोर के साथ चीन और दक्षिण कोरिया की मजबूत टीमों को पछाड़ते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया. भारत से पहले कुल स्कोर का पिछला विश्व रिकॉर्ड 1893.3 अंक का था जिसे एक महीने से भी कम समय पहले चीन की टीम ने अजरबेजान के बाकू में विश्व चैंपियनशिप के दौरान बनाया था. इन तीनों में शामिल दिव्यांश सिंह पंवार राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं. वे पबजी खेला करते थे फिर पिता ने उन्हें शूटिंग की तरफ मोड़ दिया. आज दिव्यांश देश के टॉप निशानेबाजों में शामिल होते हैं.

 

दिव्यांश ने हांगझू में स्पोर्ट्स तक से बातचीत में बताया कि उनके हिसाब से वे पबजी ज्यादा नहीं खेला करते थे. लेकिन घरवालों को लगता था कि यह ज्यादा है. ऐसे में पापा ने शूटिंग के लिए जाने को कहा. उन्हें लगता था कि आउटडोर एक्टिविटी में रहा जाए. दरअसल एक रिश्तेदार थे जो जयपुर की शूटिंग रेंज में गार्ड थे उन्होंने पापा से कहा था कि इसे शूटिंग रेंज भेज दो. फिर शूटिंग के लिए जाने लगे. शुरुआत में तो कोई चुनौती नहीं थी क्योंकि शूटिंग को टाइम पास की तरह लिया करते थे. इस दौरान स्कूल-कॉलेज हो गया. फिर जब टीम और कैंप में नाम आने लगा तब इसे गंभीरता से लेने का मोटिवेशन आने लगा. स्कूल के दिनों में तो मस्ती-मजाक करते हुए शूटिंग किया करते थे. फिर जब टीम में शामिल किया जाने लगा तो महसूस हुआ कि इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है.

 

दिव्यांश के माता-पिता क्या करते हैं?

 

दिव्यांश के पिता अशोक पंवार जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में सीनियर नर्सिंग स्टाफ हैं. उन्होंने बताया कि शूटिंग रेंज पर जाने से पहले सुबह चार बजे दिव्यांश का फोन आया था और उसने आशीर्वाद मांगा था. उन्होंने कहा कि जो भी कोच कहते हैं उसे मानना और उसके हिसाब से ही खेलना. इसके बाद उन्होंने काफी पूजा-पाठ किया. भगवान से मेहनत के हिसाब से नतीजे देने की प्रार्थना की. जब शूटिंग का इवेंट चल रहा था तब कोच उन्हें फोटो और वीडियो भेज रहे थे. अशोक ने बताया कि दिव्यांश दिल्ली में रहकर ही तैयारी कर रहा है. बहुत कम समय के लिए घर आता है. पिछले तीन साल से उसने परिवार के साथ होली-दिवाली नहीं मनाई है.

 

दिव्यांश की मां भी नर्सिंग स्टाफ में है. उनकी बहन अंजलि भी शूटर हैं. दिव्यांश 2020 टोक्यो ओलिंपिक्स में हिस्सा ले चुके हैं. अब उनकी नजरें 2024 पेरिस ओलिंपिक पर है.

 

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