पेरिस ओलिंपिक के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट अमन सेहरावत का कहना है कि वह अपने मेडल को भूल गए हैं, क्योंकि अतीत की उपलब्धियों पर बैठे रहने से वह अपने बड़े सपनों को पूरा नहीं कर पाएंगे. कम उम्र में ही माता पिता को खोने के कारण भारत के स्टार पहलवान की जिंदगी आसान नहीं रही. उनके चाचा ने उनका पूरा साथ दिया, लेकिन पारिवारिक ज़िम्मेदारियां अमन पर भारी पड़ती रहीं. हालांकि पिछले साल पेरिस में ब्रॉन्ज मेडल जीतने से उन्हें पहचान और पैसा मिला, जिससे उनका जिंदगी आसान हो गई.
ADVERTISEMENT
अब अपनी मर्जी से आराम नहीं ले पाएंगे खिलाड़ी! इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज ड्रॉ होने के बाद BCCI उठाने वाली है बड़ा कदम
वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए 57 किग्रा चयन ट्रायल जीतने के बाद अमन ने पीटीआई से कहा-
ओलिंपिक मेडल ने मेरी जिंदगी 90 फीसदी बदल दी. इससे पहले मुझे कोई नहीं जानता था. पहले मेरे प्रदर्शन पर ध्यान नहीं किया जाता था, लेकिन पेरिस की सफलता के बाद लोग मुझे जानने लगे, मेरा सम्मान करने लगे. मुझे लगा कि मैंने देश के लिए कुछ किया है और 10-15 साल की कड़ी मेहनत रंग लाई है.
उन्होंने कहा-
ओलिंपिक मेडल भगवान का आशीर्वाद है. मुझे जीतने की उम्मीद भी नहीं थी. महिला पहलवानों से तो उम्मीदें ज़्यादा थीं. ये तो भगवान का दिया प्रसाद ही है.
अमन ने कहा-
इससे मुझे भी प्रेरणा मिली. लोग अब मुझसे गोल्ड मेडल की उम्मीद कर रहे हैं. मैं अपने ब्रॉन्ज मेडल को पहले ही भूल चुका हूं. मैं इससे संतुष्ट होकर यह नहीं कह सकता कि मैंने काफी कुछ हासिल कर लिया है. अब मैं गोल्ड मेडल के लिए तैयारी कर रहा हूं.
शीर्ष स्तर पर सफलता ने किस प्रकार उनके जीवन को बदल दिया, इस बारे में उन्होंने कहा-
अब मैं जो चाहूं खरीद सकता हूं. पहले मुझ पर दबाव था कि भविष्य में मुझे अपनी छोटी बहन को पढ़ाना है और उसकी शादी करनी है. अब मैं निश्चिंत होकर अभ्यास कर सकता हूं. अब मुझे पैसों की चिंता करने की जरूरत नहीं है.
अमन ने कहा-
ऐसा नहीं है कि हमारा ध्यान नहीं रखा गया. मेरे चाचा ने हमेशा हमारा साथ दिया है, लेकिन एक बड़े भाई की जिम्मेदारी क्या होती है इसके बारे में तो सभी सोचते हैं.
पेरिस ओलिंपिक के बाद से अमन ने सिर्फ दो टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया है. वह सीनियर एशियाई चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाए थे. उन्होंने कहा-
ओलिंपिक के बाद मैंने सोचा था कि मैं विदेश में अभ्यास करूंगा, लेकिन चीजें हमेशा वैसी नहीं होतीं जैसी आप उम्मीद करते हैं. फिर मैं चोटिल भी हो गया.
अमन ने कहा-
ओलिंपिक मेडल जीतने के बाद हारने का डर भी मुझ पर हावी हो गया था. मैंने सोचा कि अगर मैं हार गया तो लोग कहेंगे कि सफलता ने मुझे बिगाड़ दिया है. इसलिए कोचों ने कहा कि आप एक अलग स्तर पर हैं और मैट पर उतरने के लिए आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा.
क्या जसप्रीत बुमराह Asia Cup 2025 में नहीं खेलेंगे? इंग्लैंड दौरे पर आखिरी टेस्ट से रहे बाहर, अब आगे क्या होगा
ADVERTISEMENT