IND vs BAN दूसरे टेस्ट के दो दिन का खेल धुला तो स्टेडियम पर उठे गंभीर सवाल, कानपुर में अब टेस्ट मैच होना मुश्किल!

IND vs BAN दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन तीन बार सुबह 10 बजे, दोपहर 12 बजे और दो बजे मैच का मुआयना हुआ लेकिन आउटफील्ड गीली रही जिसके बाद खेल को रद्द कर दिया गया.

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Shakti Shekhawat

कानपुर टेस्ट के पहले तीन दिन बारिश से प्रभावित रहे हैं.

कानपुर टेस्ट के पहले तीन दिन बारिश से प्रभावित रहे हैं.

Highlights:

भारत और बांग्लादेश के दूसरे टेस्ट में दो दिन का खेल बिना एक भी गेंद फेंके रद्द हो गया.

कानपुर टेस्ट के तीन दिन के खेल में अभी केवल 35 ओवर का खेल हो सका है.

भारत और बांग्लादेश के बीच कानपुर में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट में दो दिन का खेल बिना कोई गेंद फेंक रद्द हो गया. पहले दिन 35 ओवर के खेल के बाद दूसरा और तीसरा दिन बिना किसी तरह के खेल के धुल गया. दूसरे दिन तो बारिश की वजह से खेल नहीं सका लेकिन तीसरे दिन को बरसात नहीं हुई फिर भी मैदान खेल लायक नहीं हो सका. अंपायर्स ने तीन बार सुबह 10 बजे, दोपहर 12 बजे और दो बजे मैच का मुआयना किया लेकिन आउटफील्ड गीली रही जिसके बाद खेल को रद्द कर दिया गया. अब दूसरे टेस्ट में केवल दो दिन बचे हैं और इसमें नतीजा निकलना मुश्किल है. तीन दिन के बाद जो हालात सामने आए हैं उसने ग्रीन पार्क स्टेडियम को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. आने वाले समय में यहां पर इंटरनेशनल क्रिकेट होना मुश्किल लग रहा है.

 

क्या कानपुर स्टेडियम के ड्रेनेज सिस्टम में सुधार की जरूरत है?


भारत और बांग्लादेश के बीच दूसरे टेस्ट के तीसरे दिन का खेल रद्द होने के बाद कानपुर स्टेडियम के ड्रेनेज सिस्टम की पोल खुल गई. ग्राउंड्समैन ने बारिश से बचाने के लिए मैदान को कवर किया लेकिन फिर भी आउटफील्ड गीली हो गई. कुछ जगहों पर पानी जमा हो गया हो गया था और इसे सुखाया नहीं जा सका. इस मैदान में तीन सुपर सॉपर थे लेकिन मैदान खेल के लिए तैयार नहीं किया जा सका. इससे साफ होता है कि इस मैदान में ड्रेनेज सिस्टम इंटरनेशनल स्तर का नहीं है. उदाहरण के तौर पर बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में कमाल का ड्रेनेज सिस्टम है. वहां पर नए सिरे से आउटफील्ड बिछाई गई है जिसके नीचे बारिश के पानी को निकालने का बंदोबस्त है.

 

कानपुर स्टेडियम का ग्राउंड स्टाफ खेल के लिए क्या कर सकता था?


तीसरे दिन के खेल के दौरान आउटफील्ड में काफी नमी थी. इसे दूर करने के लिए सुपर सॉपर का इस्तेमाल किया गया लेकिन कामयाबी नहीं मिली. कुछ जगहों पर नमी बरकरार थी जो खेल के लिए खतरनाक हो सकती थी. ग्राउंड स्टाफ ने इन्हें सुखाने के लिए लकड़ी का बुरादा डाला. लेकिन कामयाबी नहीं मिली. बताया जाता है कि करीब 75 लोग इस दौरान काम कर रहे थे. बारिश की संभावना होने पर शुरू से ही ग्राउंड को कवर रखना चाहिए था. सिवाए इसके ग्रीन पार्क स्टेडियम का ग्राउंड स्टाफ और अब ज्यादा कुछ नहीं कर सकता था. माना जा रहा है कि जिस तरह की व्यवस्थाएं यहां दिखी है उससे आने वाले सालों में कानपुर में शायद ही टेस्ट हो पाए. अब बीसीसीआई लखनऊ को तवज्जो दे सकता है.

 

श्रीलंका से क्या सीख सकते हैं भारतीय क्रिकेट स्टेडियम?


श्रीलंका समंदर से चारों तरफ से घिरा हुआ है. ऐसे में यहां पर बारिश की संभावना लगातार रहती है. ऐसे में क्रिकेट मैदानों को खेल के लिए तैयार रखने के लिए ग्राउंड्समैन पूरे मैदान को प्लास्टिक के कवर से ढक देते हैं. इससे मैदान गीला नहीं होता है और बारिश रुकने पर कुछ ही समय में खेल शुरू हो जाता है. कई भारतीय स्टेडियम में यह समस्या है कि वहां पर पूरी आउटफील्ड को ढकने के लिए कवर नहीं होते है. इससे कई बार बारिश रुकने पर भी खेल नहीं हो पाता है. कोलकाता के ईडन गार्डंस ने इस समस्या से निपटने के लिए पूरे ग्राउंड को कवर करना शुरू किया है. बाकी स्टेडियम्स को भी यही राह अपनानी होगी. कानपुर में पहले दिन की बारिश के बाद तिरपाल लाए गए लेकिन तब तक गडबड़ हो चुकी थी. कुछ जगहों पर पानी भर चुका था.


क्या अच्छे ड्रेनेज सिस्टम वाले मैदानों में ही टेस्ट क्रिकेट होना चाहिए?


टेस्ट क्रिकेट को लेकर लोगों में दिलचस्पी पहले से ही घट रही है. ऐसे में बारिश और गीले मैदान के चलते खेल नहीं हो पाने से इस फॉर्मेट की समस्या बढ़ेगी ही. इसके अलावा ब्रॉडकास्टर्स मीडिया राइट्स के लिए मोटा पैसा खर्च करते हैं. अगर मैच इसी तरह से रद्द होंगे तो उन्हें भी वित्तीय घाटा होगा. इससे टेस्ट क्रिकेट को लेकर विरोध के सुर बढ़ते जाएंगे. इस लिहाज से बेहतर तो यही होगा कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की तरह कुछ मैदानों में ही टेस्ट होने चाहिए. इन्हें पूरी तरह से टेस्ट क्रिकेट के लिए तैयार रखना चाहिए. लेकिन भारत जैसे देश में ऐसा कर पाना मुश्किल लगता है जहां पर बहुत सारे स्टेडियम हैं और हरेक स्टेट एसोसिएशन चाहती है कि टेस्ट की मेजबानी मिले. ऐसे में बीसीसीआई के लिए कुछ ही स्टेडियम में टेस्ट कराना आसान नहीं होगा. इस समस्या के उपाय के तौर पर टेस्ट की मेजबानी करने वाले स्टेडियम्स को बेहतर तरह से तैयार करना ही समझदारी लगती है.

 

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