वर्ल्ड कप 2023 के लिए भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) का ऐलान 5 सितंबर (मंगलवार) को हो गया. रोहित शर्मा (Rohit Sharma) की कप्तानी में 15 खिलाड़ी चुन लिए गए. अब फैंस को 10 साल बाद आईसीसी ट्रॉफी और 12 साल बाद 50 ओवर क्रिकेट वर्ल्ड कप ट्रॉफी के सूखे के खत्म होने का इंतजार है. 5 अक्टूबर से शुरू हो रहे वर्ल्ड कप में भारत का पहला मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से है जो 8 अक्टूबर को चेन्नई में खेला जाएगा. इस बार वर्ल्ड कप भारत में ही हो रहा है. वह पहली बार अकेले 50 ओवर क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है. ऐसे में टीम इंडिया को घर में खेलने का फायदा मिलेगा लेकिन वर्ल्ड कप के लिए चुनी गई स्क्वॉड में तीन बड़ी कमियां हैं.
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भारत की वर्ल्ड कप 2023 स्क्वॉड में सात बल्लेबाज, चार तेज गेंदबाज, तीन ऑलराउंडर और एक स्पेशलिस्ट स्पिनर है. टीम में केएल राहुल, श्रेयस अय्यर और जसप्रीत बुमराह ऐसे नाम हैं जो चोट से उबरकर वर्ल्ड कप में उतरेंगे. तिलक वर्मा (Tilak Varma), युजवेंद्र चहल, प्रसिद्ध कृष्णा और संजू सैमसन (Sanju Samson) उन बड़े नामों में शामिल हैं जो वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा नहीं बन पाए. अब जान लीजिए टीम इंडिया में तीन कमियां कौनसी हैं.
ऑफ स्पिनर की कमी
भारतीय टीम में दो ऑलराउंडर समेत कुल तीन स्पिनर्स हैं. इनमें रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव और अक्षर पटेल के नाम आते हैं. दिलचस्प बात है कि तीनों ही बाएं हाथ के फिरकी बॉलर हैं. इनमें अकेले कुलदीप कलाई के स्पिनर हैं और वे चाइनामैन बॉलर हैं. टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप स्क्वॉड में कोई ऑफ स्पिनर नहीं रखा है. इस भूमिका के लिए आर अश्विन और वाशिंगटन सुंदर जैसे नाम थे लेकिन ये दोनों लंबे समय से भारत की वनडे टीम से दूर हैं. इस वजह से इनका सेलेक्शन नहीं हो पाया. 2011 में जब भारत ने वर्ल्ड कप जीता था तब हरभजन सिंह और अश्विन के रूप में दो ऑफ स्पिनर भारत के पास थे. भारत के स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों में केवल रोहित शर्मा ही ऐसे हैं जो ऑफ स्पिन करा सकते हैं. लेकिन उन्हें बॉलिंग किए लंबा अरसा गुजर चुका है.
टॉप ऑर्डर में कोई बाएं हाथ का बल्लेबाज नहीं
भारतीय टीम के 15 खिलाड़ियों में केवल चार ही ऐसे हैं जो बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हैं. इनमें इशान किशन, रवींद्र जडेजा, अक्षर पटेल और कुलदीप यादव ही ऐसे हैं जो लेफ्ट हैंडर हैं. लेकिन ये चारों ही निचले क्रम में खेलते हैं. भारत की मुख्य प्लेइंग इलेवन को देखा जाए तो पहले छह बल्लेबाजों में कोई भी बाएं हाथ का नहीं है. जडेजा सातवें नंबर पर बैटिंग करते हैं. अगर केएल राहुल को नहीं शामिल किया जाता है तब ही टॉप पांच में कोई बल्लेबाज लेफ्ट हैंडर होगा और वह नाम इशान का रहेगा. पिछले कुछ समय में देखा गया है कि भारत का टॉप ऑर्डर बाएं हाथ के पेसर्स के सामने फंसता है. बाएं हाथ का बल्लेबाज ऊपर रहने से फायदा होता है क्योंकि इससे फील्डिंग टीम को बार-बार बदलाव करना पड़ता है. साथ ही गेंदबाज को भी लाइन व लैंथ में तब्दीली लानी पड़ती है. 2011 की टीम इंडिया के पास टॉप ऑर्डर में गौतम गंभीर और युवराज सिंह थे.
बाएं हाथ का पेसर नहीं
टीम इंडिया ने जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, मोहम्मद शमी और शार्दुल ठाकुर के रूप में चार स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज चुने हैं. इनके अलावा हार्दिक पंड्या पेस बॉलिंग ऑलराउंडर के रूप में हैं. ये चारों ही दाएं हाथ के तेज गेंदबाज हैं. इसका मतलब है कि पेस बॉलिंग डिपार्टमेंट में टीम इंडिया के पास कोई बाएं हाथ का तेज गेंदबाज नहीं है. भारत के लिए यह चिंता का मसला होता है. लगभग सभी बड़ी टीमों के पास कम से कम एक बाएं हाथ का पेसर है. इस तरह का गेंदबाज होने से दाएं हाथ के बल्लेबाजों को दिक्कत होती है क्योंकि लेफ्ट आर्म पेसर एक कोण से गेंद फेंकते हैं. साथ ही वे जब गेंद को अंदर की तरफ लाते हैं तो बल्लेबाजों के आउट होने की संभावनाएं बढ़ जाती है.
अर्शदीप सिंह बाएं हाथ के पेस विकल्प हो सकते थे लेकिन वे शुरू से ही भारत के वर्ल्ड कप प्लान में नहीं थे. 2011 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम को देखेंगे तो तब जहीर खान और आशीष नेहरा के रूप में दो लेफ्ट आर्म पेसर भारत के पास थे.
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