Indian Team Selection Panel: भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket Team) के बड़े नाम राष्ट्रीय चयनकर्ता के पद के लिये आवेदन करने से अक्सर कतराते आए हैं और जानकारों का मानना है कि जो बनना भी चाहते हैं, उन्हें इस पद के लिए वेतन कम होने के कारण गंभीरता से नहीं लिया जाता. इसका कारण है वेतन कम होना. उत्तर क्षेत्र से चेतन शर्मा (Chetan Sharma) की जगह बीसीसीआई (BCCI) को तब तक कोई बड़ा नाम नहीं मिलेगा जब तक वेतन में इजाफा नहीं होता. शर्मा को फरवरी में एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद पद गंवाना पड़ा. इस स्टिंग में वह भारतीय खिलाड़ियों और टीम चयन को लेकर गोपनीय जानकारी पर बात करते नजर आए थे.
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भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज शिवसुंदर दास को शर्मा की जगह अध्यक्ष बनाया गया जबकि एस शरत (दक्षिण), सुब्रतो बनर्जी ( मध्य) और सलिल अंकोला (पश्चिम ) चयन समिति में हैं. सीनियर चयन समिति के अध्यक्ष को एक करोड़ रुपये सालाना मिलते हैं जबकि चार अन्य सदस्यों को 90 लाख रुपये सालाना दिए जाते हैं. आखिरी बार कोई बड़ा क्रिकेटर चयन समिति का अध्यक्ष था जब दिलीप वेंगसरकर (2006 से 2008) और कृष्णामाचारी श्रीकांत ( 2008 से 2012) ने यह जिम्मेदारी संभाली थी. वेंगसरकर का काम अवैतनिक था जबकि श्रीकांत के चयनकर्ता बनने के बाद से बीसीसीआई ने वेतन देना शुरू किया.
सहवाग के अलावा नॉर्थ जोन के बाकी बड़े सितारे दावेदार क्यों नहीं
मोहिंदर अमरनाथ भी चयन समिति में थे और संदीप पाटिल भी इसके अध्यक्ष रहे. इस समय उत्तर क्षेत्र से चयन समिति में शामिल किए जाने के लिये एक ही बड़ा नाम उभरता है और वह है वीरेंद्र सहवाग. बीसीसीआई के एक अधिकारी ने बताया, ‘प्रशासकों की समिति के कार्यकाल के दौरान वीरु को मुख्य कोच के पद के लिए आवेदन करने के लिये कहा गया जो बाद में अनिल कुंबले बने. अब नहीं लगता कि वह खुद से आवेदन करेंगे. इसके अलावा उनके जैसे बड़े खिलाड़ी को उसके कद के अनुरूप वेतन भी देना होगा. लेकिन कद के हिसाब से देखा जाए तो नॉर्थ जोन से केवल वही खरे उतरते हैं.’
सूत्र ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि बीसीसीआई सेलेक्शन कमिटी चेयरमैन को 4-5 करोड़ रुपये नहीं दे सकती. इससे असल मे कई सारे हितों के टकराव के मसले खत्म हो जाएंगे जिनकी वजह से प्रमुख खिलाड़ी सेलेक्शन कमिटी में आने से बचते हैं.’ उत्तर क्षेत्र से अन्य दिग्गज खिलाड़ी या तो प्रसारक चैनलों से जुड़े हैं या आईपीएल टीमों से. कुछ की अकादमियां है तो कुछ कॉलम लिखते हैं. गौतम गंभीर, हरभजन सिंह और युवराज सिंह भी उत्तर क्षेत्र से है लेकिन क्रिकेट को अलविदा कहे को पांच साल पूरा होने के मानदंड पर खरे नहीं उतरते. भारत के पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह दो बार आवेदन कर चुके हैं. पहली बार उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया लेकिन दूसरी बार नहीं.
नॉर्थ जोन से कौन है सेलेक्टर बनने के दावेदार
अगर बीसीसीआई नॉर्थ जोन से किसी बड़े नाम को नहीं बुलाता है तो पूर्व विकेटकीपर अजय रात्रा एक विकल्प हैं. उनका क्रिकेट एडवायजरी कमिटी ने इंटरव्यू भी किया था. उनके अलावा विवेक राजदान का नाम भी हैं जो करीब एक दशक से बीसीसीआई के कमेंटेटर पैनल में रहे हैं और उन्होंने काफी घरेलू क्रिकेट देखा है.
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