SAFF चैंपियनशिप जीतने के बाद जैक्सन सिंह ने इस खास झंडे के साथ क्यों मनाया जश्न, बवाल मचा तो देनी पड़ी सफाई

भारत ने SAFF चैंपियनशिप पर कब्जा जमा लिया है. लेकिन मैच के बाद जैक्सन सिंह का विवाद सामने आया.

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भारत ने कुवैत को साल 2023 के SAFF चैंपियनशिप (SAFF Championship) फाइनल में मात देकर 9वीं बार खिताब पर कब्जा कर लिया. दोनों टीमों के बीच मंगलवार को बैंगलोर में फाइनल खेला गया जहां अंत में पेनल्टी शूटआउट में नतीजा निकला. लेकिन इन सबके बीच अब एक बड़ा विवाद सामने आ रहा है. दरअसल मैच खत्म होने के बाद मणिपुर के फुटबॉलर जैक्सन सिंह को एक अलग तरह के झंडे के साथ देखा गया. इसके बाद सोशल मीडिया पर विवाद शुरू हो गया कि आखिर जैक्सन सिंह ने भारत की बजाय ये अलग सा झंडा क्यों लिया था. ऐसे में अब जैक्सन ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर टीम की फोटो के साथ इस झंडे को लेकर सफाई दी है.

 

 

 

जैक्सन ने किया मैतेई झंडे का समर्थन


जैक्सन मणिपुर से आते हैं जहां फिलहाल काफी ज्यादा हिंसा देखने को मिल रही है. ऐसे में उन्होंने मैतेई समुदाय का झंडा लिया था. हिंसा में फिलहाल यही समुदाय ट्रेंड कर रहा है. मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला. लेकिन जो कुकी और दूसरे समुदाय हैं वो इसका विरोध कर रहे हैं. और इसी को लेकर लगातार हिंसा देखने को मिली रही है. मैतेई समुदाय का मणिपुर की आबादी में 53 प्रतिशत योगदान है.

 

जैक्सन सिंह डिफेंसिव मिडफील्डर हैं और वो मणिपुर के थौबल जिले से आते हैं. भारत को 9वीं बार खिताब पर कब्जा करवाने में इस खिलाड़ी ने अहम रोल निभाया है. 22 साल के फुटबॉलर ने 7 रंगों वाला झंडा लिया था जिसे सलाई तरेत झंडा कहते हैं. ये 7 रंग मैतेई के 7 राजवंशों का संकेत देती है. लेकिन पिछले दो महीनों से चल रहे हिंसा में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है.

 

लोगों ने किया ट्रोल


कई लोगों ने जैक्सन सिंह की इस हरकत को ट्रोल किया और कहा कि, एक इंटरनेशनल फुटबॉलर को ऐसा नहीं करना चाहिए. आप इंटरनेशनल लेवल पर खेल रहे हो और भारत के झंडे की जगह आपने अपनी समुदाय का झंडा पकड़ा है.

 

जैक्सन का बयान


जैक्सन सिंह ने अब सोशल मीडिया पर इस मुद्दे में सफाई दी है और कहा है कि, मणिपुर में लगातार जो हिंसा चल रही है उसको लेकर उन्होंने ये झंडा उठाया था. वो इस कदम से किसी को दुख नहीं पहुंचाना चाहते हैं. मैं भारत और मणिपुर सभी को ये साफ कर देना चाहता हूं. आप शांति बनाकर रखें. दो महीने हो गए और अभी भी लड़ाई जारी है. मैं इसे और नहीं चाहता. मैं बस सरकार और लोगों तक ये बात पहुंचाना चाहता हूं और शांति का मैसेज देना चाहता हूं. मेरा परिवार सुरक्षित है लेकिन कई और भी परिवार हैं जो अब तक अपना घर खो चुके हैं.

 

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