नई दिल्ली. दो खेल, एकजैसी समानताएं लेकिन फिर भी एक-दूसरे से बेहद जुदा. बात क्रिकेट और बेसबॉल की है. इन दोनो खेलों में बल्ले और गेंद का इस्तेमाल किया जाता है. अपनी-अपनी तरह से रन बनाने होते हैं. एक खेल में बैटर गेंद को जब मैदान से बाहर मारता है तो क्रिकेट में उसे सिक्स तो बेसबॉल में उसे होम रन कहा जाता है. बेसबॉल में जहां एक टीम में अधिकतम 9 खिलाड़ी होते हैं तो क्रिकेट में 11 खिलाड़ी एक टीम में खेलते हैं. इस तरह क्रिकेट और बेसबॉल के खेल में इस्तेमाल होने वाले बैट से रन तो बनते हैं लेकिन इन दोनों खेलों के बल्ले में काफी अंतर है. क्रिकेट का बल्ला जहां सिर्फ लकड़ी का बना होता है. वहीं बेसबॉल के बैट में एल्युमिनियम से लेकर लकड़ी तक कई परिवर्तन हुए. स्पोटर्स तक स्पेशल की इस कड़ी में आइए जानते हैं कि बेसबॉल और क्रिकेट के बैट में क्या अंतर होता है. जबकि इन दोनों के बैट को पकड़ने का तरीका भी एक ही है.
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इंग्लैंड से जाकर अमेरिका में कैसे चमका बेसबॉल
बेसबॉल की बात करें तो 18वीं सदी में एक समय इंग्लैंड में जब जेंटलमैन यानि व्यस्क लोग क्रिकेट जैसे खेल को खेलते थे. तो दूसरी तरफ बच्चे बेसबॉल खेला करते थे. धीरे-धीरे जब इंग्लिश लोग अमेरिका गए तो वहां जाकर उन्होंने बेसबॉल खेलना शुरू किया. इसका नतीजा यह रहा कि अमेरिका में बेसबॉल ने क्रान्ति ला दी और 19वीं सदी के अंत तक यह खेल अमेरिका का पॉपुलर खेल बन गया. बेसबॉल का खेल अब उत्तरी, मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों, कैरिबियन और पूर्वी एशिया, विशेष रूप से जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान में भी खेला जाता है. जिसका फैन बेस देखा जाए तो दुनिया में करीब चार हजार करोड़ के आस-पास है. अमेरिका की मेजर लीग बेसबॉल (एमएलबी) इस खेल की प्रमुख प्रतियोगिताओं में से एक है.
बेसबॉल और क्रिकेट बैट के बीच पांच सबसे बड़े अंतर (The Five Biggest Differences Between Baseball and Cricket Bats in hindi) :-
बैट के आकार (शेप) में अंतर
क्रिकेट के बल्ले का आकार सामने की तरफ से चपटा होता है और उसके दोनों तरफ एज होती है. जिसके चलते बल्लेबाज सामने से आने वाली गेंद को क्रिकेट के बैट से सिर्फ एक तरफ से ही हिट कर सकता है. जिसके चलते वह पिच पर पड़ने वाली गेंद के अनुसार 360 डिग्री में ड्राइव, कट, ग्लांस, स्वीप, हुक या पुल जैसे तमाम शॉट्स गेंद को देखकर खेल सकता है. इतना ही नहीं इसमें बल्लेबाज 150 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से आने वाली गेंद को किसी भी दिशा में खेलता है. यही कारण है कि बल्ले के सामने का भाग चपटा होने के चलते उसे ये सब शॉट खेलने में मदद मिलती है.
वहीं बेसबॉल के बल्ले की बात करें तो ये पतला और चारों तरफ से राउंड (गोलाकार) होता है. इसके बैट से हिट करने वाला बल्लेबाज किसी भी तरफ से गेंद को मार सकता है. हालांकि क्रिकेट की तरह बेसबॉल में बैटर के पास मारने के लिए 360 डिग्री डायरेक्शन में शॉट खेलने का विकल्प नहीं होता है. इसमें बल्लेबाज को सामने की तरफ डायमंड शेप के आर्क में ही गेंद को मारना होता है.
बैट की लम्बाई में अंतर
क्रिकेट और बेसबॉल बल्ले की लंबाई पर नजर डालें तो क्रिकेट का बैट छोटा होता है. एक बेसबॉल बैट की लंबाई का मानक 42 इंच होता है. जिससे बेसबॉल का बैटर इसे सिर्फ होरिजेंटल प्लेन (Horizontal Plane) की दिशा में ही घुमाता है. जबकि क्रिकेट बैट की लंबाई के बारे में बात करें तो इसका मानक साइज़ 38 इंच यानि कि बेसबॉल के बैट साइज़ से चार इंच कम होता है. मगर क्रिकेट के बैट को बल्लेबाज होरिजेंटल और वर्टिकल प्लेन दोनों दिशा में घुमाता है.
हिटिंग फ़ोर्स भी अलग
बल्ले की ताकत जिसे हम स्ट्रोक भी कहते हैं. इसके बारे में देखा जाए तो यहां भी बेसबॉल के बल्ले से लगने वाली गेंद काफी दूर जाती है. क्योंकि बेसबॉल के बल्ले में ट्रैम्पोलिन इफेक्ट होता है. जिसका मतलब है कि गेंद जब बेसबॉल के बल्ले में लगती है तो वह इस तरह से बाउंस होती है जैसे कि किसी स्प्रिंग से लगने के बाद विपरीत दिशा में गेंद तेजी से बाउंस हो. इस तरह का इफेक्ट बेसबॉल के बल्ले में पाया जाता है. जबकि क्रिकेट बैट की बात करें तो उसमें ये ट्रैम्पोलिन इफेक्ट न के बराबर होता है. यही कारण है कि क्रिकेट में बल्लेबाज को टाइमिंग के साथ शॉट मारने से कम मेहनत में ज्यादा सफलता मिलती है.
किस मैटेरियल के बनते हैं दोनों खेलों के बैट?
क्रिकेट के बल्ले की बात करें तो जबसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत साल 1877 से हुई है तबसे इस खेल में बल्ले को बनाने के लिए इंग्लिश विलो की लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि बीच में जरूर साल 1979 के दौरान ऑस्ट्रेलिया के डेनिस लिली मैदान में एल्युमिनियम का बल्ला लेकर उतरे थे मगर अंपायर ने उसी मैच में इस बैट का इस्तेमाल करने से रोक दिया था. इसके बाद आईसीसी ने भी क्रिकेट में लकड़ी के अलावा किसी भी मैटेरियल के बने बल्ले पर बैन लगा डाला.
बेसबॉल में भी नहीं हिट हुआ एल्युमिनियम बैट
अब बेसबॉल के बल्ले की बात करें तो ये इनके निर्माण में तमाम तरह के मैटेरियल को मिक्स करके बनाया जाता है. हालांकि बेसबॉल की शुरुआत में इसके बल्ले राख और मेपल लकड़ी के इस्तेमाल से बनाए जाते थे. लेकिन बाद में बेसबॉल के बल्ले में एल्युमिनियम और एलॉय के मिश्रण से इसके बैट को बनाया जाने लगा. इस तरह मिश्रण से तैयार कंपोजिट बैट पहले के बेसबॉल बैट की तुलना में काफी अधिक प्रभावशाली और लोकप्रिय बने. हालांकि 1970 में आने वाले एल्युमिनियम बैट को अमेरिका की एमएलबी लीग में इस्तेमाल करने से मना हो गया. क्योंकि इस बैट से जहां गेंद को दूर मारने में आसानी हो रही थी. वहीं स्कूल स्तर पर कई खिलाड़ी चोटिल भो होने लगे थे. इस तरह एल्युमिनियम बैट का चलन रफ्तार पकड़ता एमएलबी ने इसे पहले ही मना कर दिया. क्योंकि इससे खेल का रोमांच भी खत्म होने लगा था और लकड़ी के बैट की तुलना में इससे गेंद करीब 75 प्रतिशत रफ्तार से हिट करने के बाद निकल रही थी. क्योंकि इसका ट्रैम्पोलिन इफेक्ट काफी अधिक था.
लकड़ी और राख के निर्मित बेसबॉल बैट
अब बेसबॉल के बैट में भी हार्ड लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन मेपल लकड़ी के साथ सफ़ेद राख का इस्तेमाल किया जाता है. जो कि इन दिनों बेसबॉल की दुनिया में काफी कॉमन है. इस तरह मैटेरियल ही बेसबॉल बैट को क्रिकेट बैट से अलग बनाता है. जिससे लगने के बाद गेंद क्रिकेट बैट की तुलना में काफी अधिक दूरी तय करती है.
बल्ले का कमाल
क्रिकेट बैट की बात करें तो एक बल्लेबाज मैच में गेंद के हिसाब से इसे 360 डिग्री हिसाब से किसी भी दिशा में घुमाकर शॉट्स मार सकता है. जबकि बेसबॉल में ऐसा कुछ भी नहीं है. बेसबॉल में गेंद बैटर के सामने वाले कंधे की तरफ से आती है और उसे सामने की तरफ एक आर्क के अंदर ही शॉट खेलना होता है. इसलिए बेसबॉल के बल्ले से आप ज्यादा तरीके के शॉट्स नहीं खेल सकते हैं. जबकि क्रिकेट बैट से आप सभी तरह के शॉट्स खेलकर फैंस का दिल जीत सकते हैं.
क्रिकेट बैट vs बेसबॉल बैट
क्रिकेट बैट लम्बाई : 38 इंच vs बेसबॉल बैट लम्बाई : 42 इंच
क्रिकेट बैट आकार : आयताकार (चौड़ाई - 38 सेमी और मोटाई - 67 मिमी) vs बेसबॉल बैट आकार : गोलाकार लंबी लकड़ी की तरह ( मोटाई - 7 सेमी डायमीटर)
क्रिकेट बैट वजन : 1360 ग्राम vs बेसबॉल बैट वजन : 940 ग्राम
क्रिकेट बैट मैटेरियल : इंग्लिश विलो लकड़ी vs बेसबॉल बैट मैटेरियल : राख और मेपल लकड़ी
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