भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने हाल ही में एक निशानेबाज के लिए नियमों में बदलाव किया है, जिसे कम स्कोर के बावजूद पेरिस ओलिंपिक के ट्रायल में हिस्सा लेने की अनुमति मिल गई है. एनआरएआई पेरिस ओलिंपिक के चयन ट्रायल के मानदंडों को लेकर अदालती लड़ाई लड़ रही है. दरअसल ट्रैप निशानेबाज करण शॉटगन चयन ट्रायल के लिए एनआरएआई के मानदंड से दो अंकों से चूक गए, लेकिन इसके बावजूद उन्हें ओलिंपिक के ट्रायल में हिस्सा लेने की अनुमति दी गई. जबकि पिछले साल नेशनल चैंपियनशिप के दौरान समान स्कोर हासिल करने वाले कई अन्य निशानेबाजों के नामों पर विचार नहीं किया गया.
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एनआरएआई ने पिछले साल नवंबर में जारी एक परिपत्र में ‘शॉटगन चयन मानदंड 2024 और शॉटगन स्पर्धा के लिए ओलंपिक चयन मानदंड 2024 के अनुसार चयन ट्रायल’ की घोषणा की थी. उनके अनुसार 66वीं नेशनल चैपियनशिप (के दौरान सीनियर पुरुष ट्रैप में 110 स्कोर वाले निशानेबाज दिसंबर, 2023 से मार्च 2024 के बीच आयोजित अभ्यास के लिए पात्र होंगे. जबकि सेना के निशानेबाज करण ने 108 का स्कोर ही किया था. इसके बावजूद एनआरएआई ने उन्हें ट्रायल में भाग लेने की अनुमति दे दी.
सेना से आई सिफारिश
करण चार चयन ट्रायल की सीरीज में वर्तमान में 15वें स्थान पर है और वह नेशनल टीम में भी जगह बनाने में विफल रहे हैं. अब इसके पीछे की वजह बताते हुए एनआरएआई सचिव राजीव भाटिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया-
करण एक ‘उभरते हुए’ निशानेबाज हैं और उनके लिए सिफारिश सेना से आई थी. हमने एक अपवाद दिया, क्योंकि वो एक उभरते हुए अच्छे निशानेबाज हैं. केवल दो अंकों का अंतर था और वह अच्छे स्कोर बना रहे हैं. यही कारण है कि हमने विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक के ट्रायल में उसे शामिल किया है. हम केवल ‘लकीर के फकीर’ नहीं बन सकते.
एनआरएआई दिल्ली उच्च न्यायालय में कुछ ओलिंपिक दावेदारों के साथ कानूनी लड़ाई में फंसा हुआ है, जहां वह इस बात पर जोर दे रहा है कि राइफल और पिस्टल में शीर्ष पांच निशानेबाजों से अधिक को मौजूदा ट्रायल में अनुमति नहीं दी जाएगी. भाटिया ने ये भी साफ कर दिया है कि ट्रायल में अपवाद का मतलब यहे नहीं है कि उन्हें विश्व कप और विश्व चैंपियनशिप जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए भारतीय टीम में चुना गया है.
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